Fact Check: चीन के सिचुआन की 2010 की तस्वीर को तवांग हिंसा का बताकर शेयर कर रहे यूजर्स

साल 2010 में तिब्बत के सिचुआन प्रांत में जंगल में लगी आग में मारे गए चीनी सैनिकों के शवों की तस्वीर को तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का बताकर वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हालिया झड़प के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह उस झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों के शवों की तस्वीर है। वायरल तस्वीर में चीनी झंडे में लिपटे सैनिकों के शवों को देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। वायरल हो रही तस्वीर करीब 12 साल पुरानी घटना की तस्वीर है, जब तिब्बत के सिचुआन प्रांत में लगी आग में 15 चीनी सैनिकों समेत 22 लोगों की मौत हो गई थी। इसी पुरानी घटना की तस्वीर को हालिया सैन्य झड़प का बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Dr. Shah’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”💥Tawang Says Hi (credit – Slayer squad. Half size Ching Chong Ding Dong single-child pampered sissy lulu should not mess with double the size Men in Uniform.

https://twitter.com/ankitatIIMA/status/1602369384692924417

फेसबुक पर भी कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल तस्वीर में चीनी झंडे में लिपटे सैनिकों की तस्वीर नजर आ रही है। तस्वीर के ओरिजिनल स्रोत को ढूंढने के लिए रिवर्स इमेज सर्च की मदद ली। सर्च में हमें यह तस्वीर chinanews.com.cn की वेबसाइट पर सात दिसंबर 2010 को चीनी भाषा में प्रकाशित रिपोर्ट में लगी मिली।

chinanews.com.cn की वेबसाइट पर मौजूद 2010 की रिपोर्ट

दी गई जानकारी के मुताबिक, ये तस्वीरें सिचुआन प्रांत के जंगलों में लगी आग में मारे गए सैनिकों की तस्वीर है। की-वर्ड सर्च में इंडिया टुडे की वेबसाइट पर 10 दिसंबर 2010 की रिपोर्ट लगी मिली, जिसके मुताबिक, तिब्बत के सिचुआन प्रांत में जंगल में लगी आग में कुल 22 लोगों की मौत हो गई थी। इन 22 लोगों में से 14 सैनिक थे, जो राहत और बचाव के दौरान मारे गए थे।

एक अन्य चीनी वेबसाइट पर मौजूद दिसंबर 2010 की रिपोर्ट में भी यह तस्वीर समान संदर्भ में लगी हुई है। रिपोर्ट में इस घटना की अन्य तस्वीरों को भी देखा जा सकता है।

हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल हो रही तस्वीर अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प की नहीं है। हमारे सहयोगी दैनिक जागरण में अंतरराष्ट्रीय मामलों को कवर करने वाले जे पी रंजन ने कहा, ‘चीन की तरफ से तवांग हिंसा में घायल या मृत किसी भी सैनिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।’

गौरतलब है कि 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प हुई थी। सैन्य झड़प की घटना के सामने आने के बाद 13 दिसंबर को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के दोनों सदनों में बयान देकर स्थिति को स्पष्ट किया। रक्षा मंत्री के बयान के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांगशे एरिया में 9 दिसंबर 2022 को चीनी सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण की इस कोशिश का भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया और चीनी सैनिकों को वापस जाने पर मजबूर कर दिया।

तवांग हिंसा के पहले गलवान और सिक्किम में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी और इन दोनों घटनाओं से संबंधित अपुष्ट वीडियो और तस्वीरों (जो सोशल मीडिया पर 2020 से मौजूद हैं) को तवांग का बताकर वायरल किया जा रहा है। विश्वास न्यूज ने ऐसे कई वीडियो की जांच की है, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को ट्विटर पर करीब दस हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: साल 2010 में तिब्बत के शिचुआन प्रांत में जंगल में लगी आग में मारे गए चीनी सैनिकों के शवों की तस्वीर को तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का बताकर वायरल किया जा रहा है।

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