Fact Check: रिटायरमेंट के बाद नहीं मारी जाती है सेना के कुत्तों को गोली, वायरल हो रहा दावा भ्रामक है

भारतीय सेना उन कुत्तों को नहीं मारती, जो सेवा से सेवानिवृत्त होते हैं। उन कुत्तों के लिए मेरठ में वृद्धाश्रम है या फिर ऐसे कुत्तों को एडॉप्शन के लिए के लिए रखा जाता है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज):फेसबुक पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि भारतीय सेना में सेवारत कुत्तों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद मार दिया जाता है, क्योंकि वे अंदर के सभी स्थानों को जानते हैं। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को फर्जी पाया। भारतीय सेना में सेवारत कुत्तों को सेवानिवृत्ति के बाद नहीं मारा जाता है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर, ‘मॉम के लाडला परवेज’ ने रील शेयर करते हुए लिखा: “सेना के कुता को गोली मार दी जाती है। #viralreels #viralvideo #शॉर्ट्स #तथ्य #FactsMatters”

पोस्ट और उसके आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल:

विश्वास न्यूज ने कीवर्ड सर्च से अपनी पड़ताल शुरू की।

हमें वेबसाइट yourstory.com पर एक आर्टिकल मिला, जिसमें कहा गया था- “सूचना के अधिकार के सवाल पर चौंकाने वाली प्रतिक्रिया में भारतीय सेना ने खुलासा किया कि सेवानिवृत्ति बीमार कुत्तों को दया की मौत दी जाती है। यह जून 2015 में द हफिंगटन पोस्ट द्वारा रिपोर्ट किया गया था। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने एक घोषणा प्रस्तुत की है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार सेवानिवृत्ति के बाद सेना के कुत्तों की इच्छामृत्यु को रोकने की नीति पर काम कर रही है।”

यह पूरा आर्टिकल यहाँ पढ़ें।

हमें इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट भी मिली, जिसमें उल्लेख किया गया था, “सैन्य कुत्तों के सक्रिय सेवा में नहीं रहने के बाद उनकी इच्छामृत्यु की प्रथा थी। 2015 में एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी देते हुए सार्वजनिक हंगामा हुआ था, जिसके बाद नीति को संशोधित किया गया और प्रथा को बंद किया गया।”

जांच के अगले चरण में हमने कर्नल आमोद कुलकर्णी (सेवानिवृत्त) से बात की। उन्होंने हमें बताया कि सात साल पहले इच्छामृत्यु या मर्सी किलिंग एक आम बात थी, लेकिन केवल उन कुत्तों के लिए जो बहुत बीमार थे। कुत्तों को बेवजह नहीं मारा जाता था। हालांकि, अब इन कुत्तों को मेरठ भेज दिया जाता है और उनकी अच्छी देखभाल की जाती है या उन्हें एडॉप्शन के लिए रखा जाता है। यह प्रथा पहले घोड़ों और खच्चरों के लिए भी आम थी, लेकिन अब उन्हें भी उत्तराखंड के हेमपुर भेज दिया जाता है।”

जांच के आखिरी चरण में हमने वायरल रील शेयर करने वाले फेसबुक यूजर का सोशल बैकग्राउंड चेक किया। Mom’s Ladla Parwez के 11K फॉलोअर्स हैं और वह एक YouTuber हैं।

निष्कर्ष: भारतीय सेना उन कुत्तों को नहीं मारती, जो सेवा से सेवानिवृत्त होते हैं। उन कुत्तों के लिए मेरठ में वृद्धाश्रम है या फिर ऐसे कुत्तों को एडॉप्शन के लिए के लिए रखा जाता है।

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