Fact Check: नियमों के मुताबिक वीवीपैट मशीनों से पर्चियों को निकाले जाने का वीडियो फेक दावे से वायरल

EVM वीवीपैट से पर्चियों को निकाल कर उसे नष्ट किए जाने का दावा फेक है और इसके साथ वायरल हो रहा वीडियो पुराना है। वीडियो में वीवीपैट मशीन से पर्चियों को निकाले जाने की प्रक्रिया चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक है, जिसके तहत अगले चुनाव से पहले मशीनों को तैयार करने के लिए वीवीपैट पर्चियों को निकालकर एक लिफाफे में रखकर सील कर दिया जाता है। वायरल वीडियो में इसे स्पष्ट रूप से देखा भी जा सकता है। हालांकि, इस वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि चुनाव में धांधली के लिए वीवीपैट पर्चियों को नष्ट किया जा रहा है।

Fact Check: नियमों के मुताबिक वीवीपैट मशीनों से पर्चियों को निकाले जाने का वीडियो फेक दावे से वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ छेड़छाड़ का वीडियो है, जिसमें वीवीपैट को मशीन से निकाल कर नष्ट किया जा रहा है, जबकि नियम के मुताबिक, इसे एक साल तक के लिए सुरक्षित रखना होता है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत और चुनावी दुष्प्रचार पाया। वायरल वीडियो में ईवीएम से वीवीपैट को निकाला जा रहा है, न कि इसे नष्ट किया जा रहा है, जो चुनाव आयोग के स्थापित दिशानिर्देशों के मुताबिक है। निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक, वीवीपैट पर्चियों को मशीन से निकाल कर काले लिफाफे में सुरक्षित रख कर उसे सील कर दिया जाता है, ताकि वीवीपैट का इस्तेमाल अगले चुनाव में किया जा सके। वायरल वीडियो में यह देखा जा सकता है कि पूरी प्रक्रिया को कैमरे में रिकॉर्ड किया जा रहा है और वीवीपैट पर्चियों को काले रंग के लिफाफे में रखा जा रहा है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Ravi Ravi’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को अपनी प्रोफाइल से तीन मई को शेयर किया है। उन्होंने लिखा है, “ईवीएम हटाओ देश बचाओ भाजपा सरकार भ्रष्टाचार।”

कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

अधिकांश यूजर्स ने ईवीएम में हेरा-फेरी के दावे के साथ ‘FekuExpress’ नाम के पेज से शेयर किए गए वीडियो को ही शेयर किया है, जिसे 14 दिसंबर 2022 को साझा किया गया है। इससे स्पष्ट है कि वायरल वीडियो पुराना है। वायरल वीडियो में स्ट्रॉन्ग रूम में लोगों को वीवीपैट मशीन से पर्चियों को निकालकर उसे काले रंग के लिफाफे में रखते हुए देखा जा सकता है और यह पूरी प्रक्रिया कैमरे में रिकॉर्ड की जा रही है।

दावा किया जा रहा है कि वीवीपैट पर्चियों को कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के तहत एक साल तक के लिए सुरक्षित रखा जाता है और इसके बाद उसे नष्ट कर दिया जाता है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी से इसकी पुष्टि होती है।

दिशानिर्देशों के मुताबिक, “पोलिंग स्टेशन के आधार पर वीवीपैट पेपर स्लिप को वीवीपैट ड्रॉप बॉक्स से निकाल कर काले रंग के लिफाफे में रखा जाएगा और फिर इसे सील कर दिया जाएगा।” इसमें कहा गया है, “पूरी प्रक्रिया को सीसीटीवी रिकॉर्डिंग/वीडियोग्राफी के तहत आरओ/एआरओ की निगरानी में किया जाएगा। साथ ही रिकॉर्डिंग इस तरह से की जाएगी, ताकि पूरी प्रक्रिया साफ-साफ नजर आए।”

वायरल वीडियो में हम इन सभी दिशानिर्देशों का पालन होता हुए देख सकते हैं। स्पष्ट है कि यह वीडियो जहां कहीं का भी है, वह चुनाव आयोग के स्थापित प्रक्रिया के मुताबिक है।

वीडियो के बारे में पता लगाने के लिए हमने की-वर्ड सर्च की मदद ली। सर्च में हमें 13 दिसंबर 2022 का एक ट्वीट मिला, जिसमें इस वीडियो को गुजरात के भावनगर विधानसभा चुनाव में हुई हेराफेरी के दावे के साथ वायरल किया गया था।

इस ट्वीट का भावनगर के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के ट्विटर हैंडल से जवाब देते हुए बताया गया था, “ईसीआई (चुनाव आयोग) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, मतगणना के बाद वीवीपैट पर्चियों को वीवीपैट से निकाल कर उन्हें काले रंग के लिफाफे में रख कर उसे सील कर दिया जाता है, ताकि वीवीपैट का इस्तेमाल अगले चुनाव में किया जा सके। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है और इसकी एक कॉपी स्ट्रॉन्ग रूम में,जबकि दूसरी संबंधित डीईओ के पास रखी जाती है।”

वायरल वीडियो को लेकर विश्वास न्यूज ने चुनाव आयोग की प्रवक्ता से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यह पुराना वीडियो है और इसमें जो कुछ नजर आ रहा है, वह ईसीआई के स्थापित मानकों के मुताबिक है।

यह पहली बार नहीं है, जब ईवीएम को लेकर सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया गया हो। विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर ईवीएम से संबंधित चुनावी दुष्प्रचार के दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: ईवीएम वीवीपैट से पर्चियों को निकाल कर उसे नष्ट किए जाने का दावा फेक है और इसके साथ वायरल हो रहा वीडियो पुराना है। वीडियो में वीवीपैट मशीन से पर्चियों को निकाले जाने की प्रक्रिया चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक है, जिसके तहत अगले चुनाव से पहले मशीनों को तैयार करने के लिए वीवीपैट पर्चियों को निकालकर एक लिफाफे में रखकर सील कर दिया जाता है। वायरल वीडियो में इसे स्पष्ट रूप से देखा भी जा सकता है। हालांकि, इस वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि चुनाव में धांधली के लिए वीवीपैट पर्चियों को नष्ट किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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