Fact Check: पाकिस्तान में हिंदू मंदिर को क्षतिग्रस्त किए जाने की पुरानी घटना के वीडियो को हाल का बताकर किया जा रहा शेयर

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिंदू मंदिर को उन्मादियों के द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने की पुरानी घटना के वीडियो को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। यह घटना 2020 की है और मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में खैबर पख्तूनख्वा सरकार को तत्काल मंदिर का पुनर्निर्माण कराए जाने का आदेश दिया था।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल एक वीडियो में उन्मादी भीड़ को इमारत को ढहाते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो पाकिस्तान का है, जहां उन्मादियों की भीड़ ने 100 साल पुराने शिव मंदिर को ढहा दिया।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। वायरल हो रहा वीडियो पाकिस्तान का ही है, लेकिन यह पुराना वीडियो है, जिसे हाल का बताकर भड़काऊ दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक मौलवी के नेतृत्व में उन्मादी भीड़ ने मंदिर को ढहा दिया था। मामला सामने आने के बाद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने स्थानीय प्रशासन को तत्काल इस मंदिर का पुनर्निर्माण करने का आदेश दिया था।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Pankaj Sinha’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”देखिए पाकिस्तान में 100 साल पुराना भगवान शिव के मंदिर को कैसे तोड़ा गया । देखिए पाकिस्तान में 100 साल पुराना भगवान शिव के मंदिर को कैसे तोड़ा गया ।
और यहां सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बनने वाला राम जन्मभूमि मंदिर ना सिर्फ “हरे कीड़ों” को बल्कि कुछ तथाकथित सेकुलर हिंदुओ को खटक रहा है ।”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी इस वीडियो को कई अन्य यूजर्स ने समान दावे के साथ शेयर किया है। ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस वीडियो को शेयर किया है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि यह पाकिस्तान में घटित हाल की घटना है।

https://twitter.com/shrikantryvbjp/status/1614125521859936256

पड़ताल

सोशल मीडिया सर्च में ट्विटर पर तुर्की के पत्रकार मुबशिर जैदी का ट्वीट मिला, जो वायरल वीडियो से मेल खाता है। 30 दिसंबर 2020 को किए गए ट्वीट के मुताबिक, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानीय मौलवी के नेतृत्व में उन्मादियों की भीड़ ने हिंदू मंदिर को तबाह कर दिया। हिंदू समुदाय को स्थानीय प्रशासन ने मंदिर का विस्तार करने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन स्थानीय मौलवियों ने भीड़ को जुटाया और उनके साथ मिलकर मंदिर को तबाह कर दिया और इस दौरान पुलिस व प्रशासन मूकदर्शक बने रहे।

इस ट्वीट में उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को टैग किया है, जिससे साफ है कि यह घटना पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यकाल में हुई थी।

कीवर्ड सर्च में हमें कई पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है। thecurrent.pk की वेबसाइट पर पांच जनवरी 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ”सुप्रीम कोर्ट के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के आईजी सनाउल्लाह अब्बासी ने कहा कि घटनास्थल पर 92 पुलिसवाले मौजूद थे, लेकिन वह भीड़ को काबू में न कर सकें। मैंने 12 पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है।”

रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने खैबर पख्तूनख्वा सराकर को तत्काल मंदिर का पुनर्निर्माण कराए जाने का आदेश दिया।

बीबीसी हिंदी ने भी इस घटना की रिपोर्टिंग की है। बीबीसी हिंदी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 30 दिसंबर 2020 को अपलोड किए गए वीडियो बुलेटिन के मुताबिक, पाकिस्तान में उन्मादी भीड़ ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक हिंदू संत की समाधि को नुकसान पहुंचाया।

वायरल वीडियो को लेकर हमने पाकिस्तान स्थित पत्रकार और फैक्ट चेकर लुब्ना जरार नकवी से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि यह वीडियो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का ही है, लेकिन पुरानी घटना का है और इस मामले के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया था।

वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब डेढ़ लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

2022 में विश्वास न्यूज ने केवल हिंदी में करीब डेढ़ हजार से अधिक फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया और इन रिपोर्ट्स का विश्लेषण हमें साल के दौरान भारतीय परिदृश्य में मिस-इन्फॉर्मेशन के ट्रेंड्स के बारे में रोचक जानकारी देता है। विश्वास न्यूज की इस विशेष रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिंदू मंदिर को उन्मादियों के द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने की पुरानी घटना के वीडियो को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। यह घटना 2020 की है और मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में खैबर पख्तूनख्वा सरकार को तत्काल मंदिर का पुनर्निर्माण कराए जाने का आदेश दिया था।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट