सऊदी अरब की जेलों में बंद 850 कैदियों को रिहा करने की 2019 की पुरानी घटना को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तस्वीर वाली ग्राफिक्स वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री के आग्रह पर सऊदी अरब की जेलों में बंद 850 मुस्लिमों को रिहा कर दिया गया है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। भारत और सऊदी अरब के संबंधों को मजबूती देते हुए 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 850 भारतीय कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। इसी पुरानी घटना को 2023 का बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Sutinder Chhabra’ ने वायरल ग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें लिखा हुआ है, “साऊदी अरब की, जेलों में बंद 850 मुस्लिम भारतियों को, रमजान से पहले मोदीजी के आग्रह पर छोड़ दिया गया है….कुछ समझे चमचो, न्याय करने का दावा करने वाले, 70 साल में ऐसा नहीं कर पाए…..।”
ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस ग्राफिक्स को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
सभी वायरल पोस्ट में यह दावा किया गया है कि रमजान से पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर सऊदी अरब की जेलों में बंद 850 मुस्लिम भारतीयों को जेल से रिहा किया गया है। हालांकि, न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इसका जिक्र हो।
न्यूज सर्च में हमें कई पुरानी रिपोर्ट्स जरूरी मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र था। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के आधार पर लिखी गई 20 फरवरी 2019 की इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “भारत-सऊदी अरब संबंधों को नया आयाम देते हुए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर वहां की जेलों में बंद 850 भारतीय कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है।”
न्यूज एजेंसी एएनआई समेत अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में भी इस वाकये का जिक्र है।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि सऊदी अरब की जेलों में बंद 850 भारतीयों को रिहा करने की 2019 की पुरानी घटना को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल दावे को लेकर विश्वास न्यूज ने गल्फ न्यूज के पूर्व संपादक बॉबी नकवी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “सऊदी अरब या खाड़ी के अन्य देशों में स्थापित प्रक्रिया के तहत ऐसे कैदियों को रिहा किए जाने की सामान्य परंपरा है। साल में एक या दो मौकों पर ऐसा किया जाता है।”
इससे पहले सोशल मीडिया पर संयुक्त अरब अमीरात में बैंक ऑफ बड़ौदा के अल-नाईन ब्रांच के बंद होने के मामले को अडाणी विवाद से जोड़कर वायरल किया गया है, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
वायरल ग्राफिक्स को शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 41 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
कर्नाटक चुनाव की घोषणा होने के बाद अप्रैल महीना सियासी गतिविधियों से भरा रहा और यही थीम फैक्ट चेक ट्रेंड्स में भी नजर आया। अप्रैल महीने में विश्वास न्यूज ने करीब 150 फैक्ट चेक रिपोर्ट्स प्रकाशित किए और इन रिपोर्ट्स में राजनीतिक विषयों से संबंधित फैक्ट चेक की बहुलता रही। अप्रैल महीने में भारतीय सोशल मीडिया पर मिस-इन्फॉर्मेशन के ट्रेंड्स को समझने के लिए विश्वास न्यूज की इस विशेष रिपोर्ट को पढ़ें।
निष्कर्ष: सऊदी अरब की जेलों में बंद 850 कैदियों को रिहा करने की 2019 की पुरानी घटना को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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