Fact Check: राजस्थान में युवक के साथ अमानवीय बर्ताव की पुरानी घटना को भ्रामक दावे के साथ किया जा रहा शेयर
राजस्थान के पाली जिले के सुमेरपुर में एक युवक के साथ अमानवीय बर्ताव की पुरानी घटना को सवर्ण बनाम दलित का रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Apr 10, 2023 at 12:23 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति के साथ कुछ लोगों को अमानवीय बर्ताव करते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि इस घटना में पीड़ित युवक दलित है, जिसके साथ सवर्ण समुदाय के लोगों ने अमानवीय बर्ताव किया।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल हो रहा वीडियो राजस्थान में हुई करीब तीन साल पुरानी घटना का है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक संदर्भ में शेयर किया जा रहा है। घटना में शामिल पीड़ित और आरोपी दोनों एक ही समुदाय से संबंधित थे।
क्या है वायरल?
सोशल मीडिया यूजर ‘Salman Shareef’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए इसे दलित युवक सवर्णों के अत्याचार का बताया है।
कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज करने पर भास्कर डॉटकॉम की रिपोर्ट मिली। करीब तीन साल पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में शादीशुदा महिला से प्रेम-प्रसंग होने पर युवक को जूते में पानी और पेशाब पिलाए जाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
फ्री-प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित युवक का नाम कालूराम देवासी है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इस घटना को रिपोर्ट करते हुए छह आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना दी है।
कई अन्य रिपोर्ट में भी इस घटना का जिक्र है और किसी भी रिपोर्ट में दलित उत्पीड़न का जिक्र नहीं है। इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 143, 365, 384, 342 और 323 के तहत मुकदमा दर्ज किया है, जो मूलत: अपहरण और मारपीट की धाराएं हैं। अगर यह मामला दलित उत्पीड़न का होता तो इस मामले में मुकदमा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज किया गया होता। इससे यह स्पष्ट है कि यह मामला दलित उत्पीड़न का नहीं है।
घटना के वक्त सुमेरपुर थाना ही पदस्थापित एक पुलिसकर्मी ईश्वरलाल (अभी अन्य थाने में पदस्थापित) ने बताया कि इस घटना में शामिल दोनों पक्ष ओबीसी समुदाय से ही संबंधित थे।
विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर सुमेरपुर थाना के एचएम (हेड-मोरियर)-क्राइम कपूराराम से संपर्क किया। उन्होंने बताया, “यह घटना इसी थाना क्षेत्र की है और इस मामले में आरोपी और पीड़ित एक ही समुदाय के थे।”
राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, रेबाड़ी या देबासी पिछड़ी जाति से आते हैं। वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल से विचारधारा विशेष से प्रेरित सामग्री शेयर की जाती है। हिंदी और अंग्रेजी समेत कुल 12 भाषाओं में विश्वास न्यूज की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: राजस्थान के पाली जिले के सुमेरपुर में एक युवक के साथ अमानवीय बर्ताव की पुरानी घटना को सवर्ण बनाम दलित का रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। घटना में शामिल दोनों ही पक्ष एक ही समुदाय के हैं।
- Claim Review : सवर्णों ने किया दलित युवक का उत्पीड़न।
- Claimed By : FB User-Salman Shareef
- Fact Check : भ्रामक
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