Fact Check: ट्रेन हत्याकांड के खिलाफ राजस्थान में प्रदर्शन के नाम पर वायरल वीडियो अन्य घटना का है

चलती ट्रेन में हुए हत्याकांड के खिलाफ राजस्थान में मुस्लिमों के प्रदर्शन के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो पुरानी और असंबंधित घटना का है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह राजस्थान में मुस्लिमों की तरफ से किए गए प्रदर्शन का वीडियो है। दावा किया जा रहा है कि यह प्रदर्शन कुछ समय पहले हुई उस घटना के विरोध का है, जिसमें रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कॉन्स्टेबल चेतन सिंह ने अपने वरिष्ठ सहयोगियों समेत चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिनमें से तीन मुस्लिम समुदाय के थे।

हमने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो का राजस्थान से कोई संबंध नहीं है। जिस घटना के विरोध में आयोजित प्रदर्शन का बताकर इसे शेयर किया जा रहा है, यह उससे पहले की तारीख से सोशल मीडिया पर मौजूद है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘सोच बदलो देश बदलेगा’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “अपनी आँखों को खोल‌ कर देख जो अभी तक सोये हुए हो यह लोग ट्रेन में जो तीन मुस्लिमों की हत्या हुई थी, उसी के विरोध में जयपुर में प्रोस्टेट कर रहे हैं, सोच लो अगर ऐसी भीड़ उन्मादी हो गयी तो फिर ??”

कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई यूजर्स ने इसे राजस्थान का बताकर शेयर किया है।

https://twitter.com/chandnii__/status/1688499380821917696

पड़ताल

वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर यह वीडियो ‘Asaad Fakharuddin’ नामक यूजर की वेरिफाइड प्रोफाइल से पोस्ट किया हुआ मिला।

https://twitter.com/AsaadFakhar/status/1667745149110108163

11 जून 2023 को इस वीडियो को शेयर करते हुए उन्होंने इसे जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की रैली का बताया है, जिसे करीब 10 साल बाद बांग्लादेश में रैली या प्रदर्शन करने की इजाजत मिली। पोस्ट में दावा किया गया है कि जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान 2022 से बिना किसी आरोप के जेल में बंद हैं।

कई अन्य न्यूज रिपोर्ट्स से भी इसकी पुष्टि होती है। भारतीय न्यूज चैनल ‘वियॉन’ ने अपनी न्यूज बुलेटिन में बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की रैली के बारे में जानकारी दी है, जिसे करीब एक दशक बाद रैली करने की मंजूरी मिली।

रिपोर्ट के मुतबाकि, कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने ढाका में राजनीतिक रैली आयोजित कर देश में अगला चुनाव कराए जाने के लिए एक केयरटेकर सरकार के गठन की मांग की। 2013 के बाद यह संगठन की पहली राजनीतिक रैली थी, जब हाई कोर्ट ने बतौर राजनीतिक दल संगठन की मान्यता को रद्द कर दिया था।

हिंदुस्तान टाइम्स की 31 जुलाई की रिपोर्ट के मुताबिक, “आरपीएफ कॉन्स्टेबल ने चलती ट्रेन में अपने वरिष्ठ सहयोगी समेत तीन मुस्लिम यात्रियों की हत्या कर दी। वायरल वीडियो में आरोपी कॉन्स्टेबल चेतन सिंह (34) को पीड़ितों के शव के पास खड़ा देखा जा सकता है।”

इंडिया टीवी की रिपोर्ट के मतुाबिक, इसी घटना के विरोध में जयपुर में मुस्लिमों ने विरोध प्रदर्शन किया था। न्यूज बुलेटिन में नजर आ रहा विरोध प्रदर्शन का वीडियो वायरल वीडियो के विजुअल से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है। दूसरा, वायरल पोस्ट में शेयर किए गए वीडियो को जिस घटना के विरोध में आयोजित प्रदर्शन का बताकर शेयर किया जा रहा है, वह घटना 31 जुलाई को हुई, जबकि प्रदर्शन का वीडियो 11 जून से सोशल मीडिया पर मौजूद है।

वायरल वीडियो को लेकर हमने राजस्थान दैनिक जागरण के संवाददाता नरेंद्र शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “यह राजस्थान में आयोजित किसी रैली का वीडियो नहीं है।” विश्वास न्यूज स्वतंत्र रूप से वायरल वीडियो के लोकेशन और तारीख की पुष्टि नहीं करता है लेकिन हम इस बात की पुष्टि करते हुए यह राजस्थान में आयोजित मुस्लिमों के विरोध प्रदर्शन का नहीं है।

वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 13 हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: चलती ट्रेन में हुए हत्याकांड के खिलाफ राजस्थान में मुस्लिमों के प्रदर्शन के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो पुरानी और असंबंधित घटना का है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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