निष्कर्ष: राहुल गांधी ने 'भारत जोड़ो' यात्रा के दौरान संवाददाता सम्मेलन में पुजारियों के अपमान की बात नहीं की। उनका यह बयान कि भारत तपस्वियों का है, पुजारियों का नहीं, किसानों और मजदूरों के बारे में था और उन्होंने कहा था कि अगर भारत को सुपरपावर बनाना है तो इस देश के उत्पादकों की इज्जत करनी होगी और उन्हें मौके देने होंगे।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बीच सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के एक वायरल वीडियो क्लिप को लेकर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने पुजारियों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है। दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी ने पुजारियों की अहमियत को नकारते हुए विवादित बयान दिया है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक और राहुल गांधी के खिलाफ दुष्प्रचार निकला। वायरल हो रहा वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर नेताओं के खिलाफ होने वाले दुष्प्रचार का सर्वाधिक प्रचलित तरीका है, जिसमें उनके भाषण के एक अंश विशेष को संदर्भ से अलग कर सोशल मीडिया पर गुमराहपूर्ण मंशा के साथ वायरल किया जाता है। वायरल वीडियो क्लिप भी राहुल गांधी के प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए बयान का एक हिस्सा है, जिसे संदर्भ से अलग कर पेश किया जा रहा है और इस वजह से इसके अर्थ बदल जा रहे हैं।
सोशल मीडिया यूजर ‘Bhuvnesh Kukreti’ ने वारयल वीडियो क्लिप (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है कि राहुल गांधी को अब पुजारियों से भी तकलीफ हो रही है। कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो क्लिप को समान दावे के साथ शेयर किया है।
ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस क्लिप को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल हो रहा क्लिप ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के दौरान राहुल गांधी के संवाददाता सम्मेलन का है। संबंधित की-वर्ड्स के साथ सर्च करने पर हमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के यूट्यूब चैनल पर राहुल गांधी के इस संवाददाता सम्मेलन का पूरा वीडियो मिला।
दी गई जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी ने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस या संवाददाता सम्मेलन हरियाणा के समाना में किया था। करीब 37 मिनट लंबे इस कॉन्फ्रेंस के वीडियो में 26 मिनट के फ्रेम से उनकी बात को सुनने पर वायरल क्लिप का संदर्भ स्पष्ट हो जाता है। वह कहते हैं, ”……..एक बात मुझे समझ में आ गई है कि यह जो लड़ाई है, एक्चुअली राजनीतिक लड़ाई नहीं है। सुपरफिशिएली यह राजनीतिक लड़ाई है। जब हम बीएसपी से लड़ते हैं या टीआरएस से हमारा चुनाव होता है, तो वह राजनीतिक लड़ाई है। मगर अब देश में एक चेंज आ गया है, जब से आरएसएस ने देश के इंस्टीट्यूशंस को पकड़ा है, उस दिन से ये लड़ाई राजनीतिक नहीं रही। अब ये दूसरी लड़ाई हो गई है। उसको आप विचारधारा की लड़ाई कह दीजिए, उसे आप धर्म की लड़ाई कह दीजिए, उसे कुछ भी कह लें, लेकिन वह राजनीतिक लड़ाई नहीं है।”
वह आगे कहते हैं, ”…..कांग्रेस पार्टी की अगर आप हिस्ट्री देखें…जो आपने कहा कि कार्यकर्ता में जोश आ गया है, ये तपस्या का संगठन है। इसको अगर आप तपस्या में लगाते हैं तो एनर्जी बढ़ती है। बीजेपी पूजा का संगठन है। उसको अगर आप पूजा में लगाएंगे तो उसे स्ट्रेंथ आती है। अब पूजा दो तरीके की होती है। धर्म की बात करता हूं। पूजा नॉर्मली होती है, जब मैं भगवान के पास जाता हूं और मैं उनसे कुछ मांगता हूं। मगर इनिशिएटिव जो पूजा करता है, उसका होता है। आरएसएस की पूजा अलग है। आरएसएस चाहता है कि फोर्सेबली उनकी पूजा हो। मोदी जी चाहते हैं……इसलिए वह आपसे नहीं मिलते हैं कि फोर्सेबली उनकी पूजा हो और देश में सब लोग उनकी पूजा करें। उसका रिस्पॉन्स एक ही हो सकता है। तपस्या ही उसका रिस्पॉन्स हो सकता है। और कोई रिस्पॉन्स नहीं हो सकता है। और इसलिए जो ये यात्रा है, ये बहुत सक्सेसफुल है, क्योंकि इसमें सिर्फ कांग्रेस पार्टी तपस्या नहीं कर रही है। कोई एक व्यक्ति तपस्या नहीं कर रहा है, इसमें लाखों लोग तपस्या कर रहे हैं। इस यात्रा का मैसेज यही है।…..जो आपने अभी रोडमैप की बात पूछी कि इस देश में तपस्या की रिस्पेक्ट होनी चाहिए। स्किल्स की रिस्पेक्ट होनी चाहिए। काम की रिस्पेक्ट होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी ये कहती है। हिस्टोरिकली ये कहा है। और बीजेपी और आरएसएस कहती है कि नहीं भैया तपस्या की कोई रिस्पेक्ट नहीं होनी चाहिए। जो हमारी पूजा करेगा उसकी रिस्पेक्ट होगी। अब आप इस फ्रेमवर्क से नोटबंदी को देखिए। क्या नोटबंदी के हिंदुस्तान के गरीब की तपस्या की रिस्पेक्ट की? बिल्कुल नहीं। वो तपस्या पर आक्रमण था। उसका मैसेज था किसान से, मजदूर से छोटे व्यापारी से….भैया तू जितनी तपस्या कर ले, कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। और बीजेपी, आरएसएस इस देश को फोर्स पूजा की तरफ ले जा रहे हैं। धन का प्रयोग करके, इंस्टीट्यूशंस को कैप्चर करके, लोगों को डरा के, आप लोगों को डरा के। वो आप लोगों से कह रहे हैं कि तपस्या मत करो। आपकी तपस्या मतलब जो सच्चाई है उसे टेलीविजन पर मत डालो। मार देंगे। हमारी पूजा करो। इसलिए प्रधानमंत्री आपके सामने नहीं आ सकते, क्योंकि उसमें आपकी तपस्या की झलक दिख जाएगी। कहीं न कहीं से कोई सवाल पूछ जाएगा। तो ये लड़ाई पूजा और तपस्या के बीच है। हमारा संगठन तपस्या का है और अगर हमारे संगठन में कमी है, तो तपस्या की कमी है। और उस यात्रा ने उसको क्लियर कर दिया है कि यह तपस्या का संगठन है। वो पूजा का संगठन है, उनका वो काम है। हमारा ये काम है।”
वह भगवान शिव, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक की अभय मुद्रा का जिक्र करते हुए कहते हैं, ”…..आजादी की जो लड़ाई थी, वह तपस्या की लड़ाई थी और इन्हीं लोगों ने अंग्रेजों से पूजा करवाई थी। तो हिस्ट्री है ये, उसको मिटाया नहीं जा सकता है।” इसके बाद एक पत्रकार के पूछे गए सवाल (क्या अब आप तपस्वी हो गए हैं?) का जवाब देते हुए वह कहते हैं, ”…..नहीं, मैं तपस्वी था और आप भी तपस्वी हैं। ये देश तपस्वियों का देश है। जैसा लोगों ने कहा कि देखो राहुल गांधी कितने किलोमीटर चल गया, लोग ये क्यों नहीं कहते हैं कि किसान कितने किलोमीटर चलता है। हिंदुस्तान का कोई किसान नहीं है, जो मुझसे ज्यादा नहीं चला है। हिंदुस्तान का एक मजदूर नहीं मिलेगा, जो मुझसे कम चला है। हम ये क्यों नहीं कहते कि मजदूर कितने किलोमीटर चला है, क्योंकि हम तपस्या की रिस्पेक्ट नहीं करते हैं। मैं करता हूं। तो ये चेंज लाना है। ये देश तपस्वियों का है। रियलिटी इस देश की यही है। जैसा मैंने कहा कि अगर इस देश को सुपरपावर बनाना है, जो आप कहते रहते हो, तो तपस्वी की रिस्पेक्ट करनी होगी। उत्पादक की रिस्पेक्ट करनी होगी। उससे गले मिलना पड़ेगा। बैंक के दरवाजे उसके लिए खोलने होंगे। उसकी प्रोटेक्शन करनी होगी।”
वायरल वीडियो क्लिप को लेकर हमने यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता और इस यात्रा में शामिल अभिमन्यु त्यागी से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस यात्रा को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है और इस वजह से वह राहुल गांधी के भाषणों के साथ छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर उनकी छवि खराब करने का काम कर रही है। राहुल गांधी ने मजदूरों, किसानों और गरीबों के संदर्भ में यह बयान दिया था।
2022 में विश्वास न्यूज ने केवल हिंदी में करीब डेढ़ हजार से अधिक फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया और इन रिपोर्ट्स का विश्लेषण हमें साल के दौरान भारतीय परिदृश्य में मिस-इन्फॉर्मेशन के ट्रेंड्स के बारे में रोचक जानकारी देता है। 2022 के शीर्ष मिस-इन्फॉर्मेशन ट्रेंड्स में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा भी शामिल है। विश्वास न्यूज की इस विशेष रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
निष्कर्ष: राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के दौरान संवाददाता सम्मेलन में पुजारियों के अपमान की बात नहीं की। उनका यह बयान कि भारत तपस्वियों का है, पुजारियों का नहीं, किसानों और मजदूरों के बारे में था और उन्होंने कहा था कि अगर भारत को सुपरपावर बनाना है तो इस देश के उत्पादकों की इज्जत करनी होगी और उन्हें मौके देने होंगे।
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