हमारी जांच से स्पष्ट है कि कुल चलन वाले नोटों में से 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी लगातार गिर रही है लेकिन यह दावा गलत और महज अफवाह है कि एक जनवरी 2023 से 2000 रुपये के नोटों की जगह 1000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि एक जनवरी 2023 से एक हजार रुपये का नोट आने वाला है और 2000 रुपये के नोट वापस कर लिए जाएंगे।
हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल हो रहा दावा गलत और बेतुका है। नोटबंदी के1000 रुपये के नोटों की जगह पर 2000 रुपये के नए नोटों को जारी किया गया था और इसके बंद किए जाने का दावा गलत है। यह सही है कि नोटबंदी के बाद जारी किए गए 2000 रुपये के नए नोटों के चलन में लगातार गिरावट आई है लेकिन सरकार की तरफ से 2000 रुपये के नोटों को बंद कर एक जनवरी 2023 से 1000 रुपये के नोटों को फिर से वापस लाए जाने की कोई योजना नहीं है।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर्स ने इस वायरल वीडियो को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था।
नोटबंदी की घोषणा के बाद आरबीआई ने करेंसी मार्केट में 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोटों को जारी किया था, जो अभी तक प्रचलन में हैं। आरबीआई की वेबसाइट पर नोटबंदी के बाद जारी किए गए सभी नई सीरीज के नोटों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है।
वायरल दावे को लेकर विश्वास न्यूज ने आरबीआई के प्रवक्ता से संपर्क किया। 1 जनवरी से 2000 रुपये के नोटों की जगह 1000 रुपये के नोटों को जारी किए जाने के दावे को उन्होंने अफवाह करार दिया।
केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की तरफ से भी इस दावे का खंडन करते हुए लोगों से इस मैसेज को फॉरवर्ड नहीं करने की अपील की गई है। पीआईबी ने बताया है कि केंद्र सरकार की तरफ से 2000 रुपये के नोटों को बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, 15 मार्च 2021 को लोकसभा में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि अप्रैल 2019 के बाद 2000 रुपये के एक भी नए नोट की छपाई नहीं हुई है।
इस वजह से बाजार में 2000 रुपये के नोटों के चलन में कमी आई। मई 2022 में आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई थी कि 2000 रुपये के नोटों के चलन में गिरावट आई है और इस साल मार्च के अंत तक चलन वाले कुल नोट में इसकी हिस्सेदारी घटकर मात्र 1.6 फीसदी रह गई है।
मई में जारी आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मार्च 2020 के अंत तक चलन वाले नोटों में 2000 रुपये के नोटों की संख्या 274 करोड़ थी, जो कुल चलन वाले नोटों का 2.4 फीसदी है। यह संख्या मार्च 2021 में घटकर 245 करोड़ हो गई, जो कुल चलन वाले नोटों के मुकाबले 2 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष के अंत में इसमें और गिरावट आई और यह संख्या कम होकर 214 करोड़ हो गई, जो कुल चलन वाले नोटों के मुकाबले 1.6 फीसदी है।’
इन रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर 2000 रुपये के नए नोटों को बंद किए जाने की अटकलें लगाई जाती रही हैं। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूद संसद के शीतकालीन सत्र में बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने चरणबद्ध तरीके से 2000 रुपये के नोटों को बैकिंग तंत्र से बाहर किए जाने की मांग की थी। शून्य काल में उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था कि देश के अधिकांश एटीएम से 2000 रुपये के नोट गायब हैं और देश में ऐसी अफवाह है कि यह नोट जल्द ही बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना होगा, क्योंकि आरबीआई ने तीन साल पहले से ही इन नोटों की छपाई बंद कर दी है।
21 दिसंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने संसद को जानकारी देते हुए बताया कि अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ती है तो भी दूसरी नोटबंदी की कोई योजना नहीं है।
निष्कर्ष: हमारी जांच से स्पष्ट है कि कुल चलन वाले नोटों में से 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी लगातार गिर रही है, लेकिन यह दावा गलत और महज अफवाह है कि एक जनवरी 2023 से 2000 रुपये के नोटों की जगह 1000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे।
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