अगस्त 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में डीजे पर पाबंदी लगाई थी। करीब दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाकर डीजे पर लगी पाबंदी हटा दी थी। अखबार की वायरल कटिंग करीब पांच साल पुरानी है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश में डीजे बजाने को लेकर सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट का एक आदेश वायरल हो रहा है। अखबार की इस कटिंग में दिया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में डीजे बजाने पर रोक लगा दी है। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इसे शेयर कर डीजे बजाने वाले पर कार्रवाई होने की बात कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि अगस्त 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई पर यह आदेश सुनाया था। इसके बाद करीब दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिससे डीजे पर लगा प्रतिबंध हट गया था। करीब पांच साल पुरानी खबर को हाल का समझकर शेयर किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने अखबार की इस कटिंग को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया। इसकी हेडिंग है, “प्रदेश में डीजे बजाने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर सुनाया फैसला”।
इसके मैटर में लिखा है, “शादी-ब्याह, पार्टियों और त्योहारों में डीजे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है, ‘बच्चों, बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों सहित मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण बड़ा खतरा है।’ कोर्ट ने मंगलवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। प्रयागराज के सुशील चंद्र श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल तथा जस्टिस पंकज भाटिया की ने खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का न पांच साल कैद, एक लाख तक का जुर्माना कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की प्राथमिकी दर्ज की जाए। ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। कानून के पालन की जिम्मेदारी थानाध्यक्षों की होगी।”
फेसबुक यूजर Sunil Kumar (आर्काइव लिंक) ने 4 अप्रैल को अखबार की कटिंग को पोस्ट किया है।
वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया। अमर उजाला की वेबसाइट पर 21 अगस्त 2019 को छपी खबर में लिखा है कि प्रयागराज के सुशील चंद्र श्रीवास्तव ने याचिका लगाई थी कि हासिमपुर रोड पर लगी एलसीडी सुबह 4 बजे से आधी रात तक बजती रहती है। इस शोर से अन्य लोगों और मरीजों को काफी परेशानी हेती है। याचिका में ध्वनि प्रदूषण का सख्ती से पालन कराने की अपील की गई थी। इस पर न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने डीजे बंद कराने का फैसला सुनाया था। ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने वाले को पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की बात भी कही गई थी।
वेबसाइट पर छपी खबर और वायरल अखबार की कटिंग में छपी खबर एक ही हैं। मतलब यह खबर करीब पांच साल पुरानी है।
21 नवंबर 2019 को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर पीटीआई के हवाले से छपी खबर में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की डीजे पर लगाई गई पाबंदी पर रोक लगा दी है। इससे यूपी में डीजे वालों को काफी राहत मिली है। जस्टिस उदय यू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने निर्देश दिया कि डीजे ऑपरेटरों को कानून के अनुसार इसकी अनुमति दी जाए। बता दें कि हाई कोर्ट ने 20 अगस्त को डीजे पर रोक लगा दी थी।
15 जुलाई 2021 को एबीपी लाइव की वेबसाइट पर भी इस बारे में खबर छपी है। इसमें दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में डीजे पर लगी रोक को हटा दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया था। जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन होना चाहिए और राज्य सरकार के नियमों के मुताबिक, लाइसेंस जरूरी है।
15 जुलाई 2021 को आजतक की वेबसाइट पर भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजे पर पाबंदी हटाने वाले फैसले की खबर को देखा जा सकता है।
इस बारे में प्रयागराज में दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी राकेश पांडे का कहना है कि हाल-फिलहाल में हाईकोर्ट ने ऐसा कोई फैसला नहीं सुनाया है। 2019 में हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए डीजे पर रोक लगाई थी। बाद में हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
अखबार की पुरानी खबर को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। देवरिया में रहने वाले यूजर के करीब पांच हजार फ्रेंड्स हैं।
निष्कर्ष: अगस्त 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में डीजे पर पाबंदी लगाई थी। करीब दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाकर डीजे पर लगी पाबंदी हटा दी थी। अखबार की वायरल कटिंग करीब पांच साल पुरानी है।
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