विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर भारतीय सेना के अस्पतालों को लेकर एक मैसेज वायरल हो रहा है। इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दौरान ICU बेड की कमी को देखते हुए भारतीय सेना ने अपने सभी सैन्य अस्पतालों को आम नागरिकों के लिए खोल दिया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा गलत निकला है। कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए भारतीय सेना भी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रही है। जहां मुमकिन है, वहां सैन्य अस्पताल आम लोगों के लिए खोले जा रहे हैं, लेकिन सारे सैन्य अस्पतालों को खोले जाने का दावा सही नहीं है।
विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी ये दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। एक यूजर ने हमारे साथ वायरल मैसेज को शेयर किया है। यह मैसेज काफी लंबा है। इस मैसेज में लिखा गया है कि कोरोना के समय में ICU बेड की कमी को देखते हुए भारतीय सेना ने अपने सभी सैन्य अस्पतालों को आम नागरिकों के लिए खोलने का फैसला लिया है। इसके अलावा वायरल मैसेज में राज्यवार अस्पतालों की एक लिस्ट भी दी हुई है। इस वायरल मैसेज के स्क्रीनशॉट को यहां नीचे देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज को यह दावा सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी वायरल मिला। फेसबुक पेज The Daily Hindustan ने भी 3 मई को इस वायरस मैसेज को पोस्ट किया है और इसे शेयर करने की अपील भी की है।
इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इंटरनेट पर सर्च कर यह जानना चाहा कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय सेना क्या-क्या कदम उठा रही है। हमें ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें सेना द्वारा उठाए जा रहे कई कदमों की जानकारी मिली। हमें 5 मई 2021 को मिंट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में भारतीय सेना के हवाले से बताया गया है कि कोविड-19 संक्रमण से लड़ाई के लिए सेना के मेडिकल प्रोफेशनल्स की तैनाती से सेना की अपनी कार्यक्षमता पर असर नहीं पड़ेगा। इसी रिपोर्ट में 29 अप्रैल को पीएम मोदी से चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल एमएम नरवाने की मुलाकात का जिक्र है। इस मुलाकात में पीएम को ब्रीफ करते हुए जनरल नरवाने ने कोविड-19 से बचाव के लिए सेना द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी थी। तब आर्मी चीफ ने बताया था कि जहां कहीं भी संभव है, सेना अपने अस्पतालों को नागरिकों के लिए खोल रही है। यानी यहां सेना के सारे अस्पतालों को खोलने की बात नहीं की गई है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
हमें ऐसी तमाम रिपोर्ट मिली, जहां सेना द्वारा कई राज्यों में अपने मेडिकल प्रोफेशनल्स भेजने और अस्थाई कोविड अस्पताल खोलने की जानकारी मिली। हालांकि, ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस बात की पुष्टि करती हो कि सेना ने अपने सारे अस्पतालों को आम नागरिकों के लिए खोल दिया है।
इंटरनेट पर जरूरी कीवर्ड्स से पड़ताल के दौरान हमें ADG PI – INDIAN ARMY के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 2 मई 2021 को सीरीज में किए गए ट्वीट मिले। इस ट्वीट में साफ लिखा गया है कि सोशल मीडिया पर आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज (AFMS) अस्पतालों की एक लिस्ट शेयर कर दावा किया जा रहा है कि इन सभी को कोविड संक्रमित आम नागरिकों के लिए खोल दिया गया है। इस ट्वीट थ्रेड में बताया गया है कि रक्षा मंत्रालय ने कुल 50 AFMS अस्पतालों को डेडिकेटेड एंड मिक्स्ड कोविड अस्पताल के तौर पर चलाने की अनुमति दी है। इसमें 42 थल सेना के, 5 वायु सेना के और 3 नौसेना के AFMS अस्पताल हैं। ट्वीट के मुताबिक, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के रेफरल के आधार और बेड की उपलब्धता के मुताबिक, इनमें आम नागरिकों को भी भर्ती कराया जा सकेगा। इस ट्वीट थ्रेड को यहां नीचे देखा जा सकता है।
पड़ताल के क्रम में हमें इंडियन आर्मी साउदर्न कमांड पुणे के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किया गया एक ट्वीट भी मिला। 2 मई 2021 को किए गए इस ट्वीट में वायरल मैसेज को शेयर करते हुए इसे फर्जी बताया गया है। इस ट्वीट को यहां नीचे देखा जा सकता है।
हमने इस संबंध में रक्षा मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू से संपर्क किया। उन्होंने वायरल दावे को गलत बताते हुए कहा कि इस संबंध में सेना की तरफ से पहले ही आधिकारिक रूप से जानकारी शेयर की जा चुकी है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक पेज The Daily Hindustan को स्कैन किया। फैक्ट चेक किए जाने तक इस पेज के 4698 फॉलोअर्स थे।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में सारे सैन्य अस्पतालों को आम नागरिकों के लिए खोले जाने का दावा गलत निकला है। कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए भारतीय सेना भी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रही है। जहां मुमकिन है, वहां सैन्य अस्पताल आम लोगों के लिए खोले जा रहे हैं, लेकिन सारे सैन्य अस्पतालों को खोले जाने का दावा सही नहीं है।
यह फैक्ट चैक एकता कंसोर्टियम (भारत में छह फैक्ट चेक संगठनों का समूह) के सहयोग से प्रकाशित किया गया है।
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