Fact Check: बस के ऊपर बने घर की यह तस्वीर असल नहीं है, AI इमेज को गलत दावे से शेयर किया जा रहा है

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर असली नहीं, बल्कि एआई यानी की आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस  की मदद से बनाई गई है।

Fact Check: बस के ऊपर बने घर की यह तस्वीर असल नहीं है, AI इमेज को गलत दावे से शेयर किया जा रहा है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक बस की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें बस पर घर बना हुआ है। तस्वीर को असली समझते हुए कई यूजर्स इसे वायरल कर रहे हैं।  

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में बस की यह फोटो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की एआई से तैयार की गई है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर Leela Maurya ने (आर्काइव लिंक ) 5 सितंबर 2024 को वायरल तस्वीर को शेयर किया है और लिखा है,”सपने तो हम भी बड़े- बड़े देखते हैं ,छोटा न ही समझना हमें ….जैसे कि ये वाला घर जो कि 5 करोड़ था मैंने खरीद लिया…जब आंखे खुली तो जेब में सिर्फ 5 रुपय्या बचा तो मैंने उस पैसे से कुरकुरे खरीदे…और एक- एक कुरकुरे को आंखे बंद करके खाते खाते पूरे घर में टहलते रहे…यकीन मानो क्या ग़ज़ब का घर था भाई…लेकिन पूरा  घर छान लिया और कुरकुरे भी खत्म हो गए लेकिन कहीं भी किसी कोने मे मेरा परिवार नहीं दिखा..,किसी भी ओर से बच्चों का शोर सुनाई नहीं पड़ा….फिर क्या,,,,,मैंने जिसे घर समझा वो तो मकान निकला…जो काग़ज़ के फ़ूलों की तरह निकला इसमें पल भर की खूबसूरती जरूर थी लेकिन खुशबू और मोहब्बत नहीं दिखी……मतलब साफ़ है कि मकान कितना भी खूबसूरत हो या क़ीमती हो….. परिवार साथ हो तो वो घर लगता है वर्ना एक खोखला मकान…..और हम ऐसे सपनों को ठोकर मारते हैं।”

पड़ताल

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च किया। हमें तस्वीर से जुड़ी कोई जानकारी या न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली। तस्वीर देखने से ही असली नहीं लग रही, जिससे इसके एआई से बने होने का शक होता है।

जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने एआई टूल के जरिए फोटो को सर्च किया। हमने तस्वीर को एआई टूल हाइव मॉडरेशन पर पर अपलोड कर सर्च किया। इस टूल में फोटो के एआई से बने होने की संभावना 99.5 फीसदी आई है।

हमने वायरल तस्वीर की जांच के लिए एक अन्य टूल हगिंग फेस का इस्तेमाल किया। हमने तस्वीर को इस टूल पर अपलोड किया। इस टूल पर भी तस्वीर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया हुआ बताया। टूल ने फोटो को 92 फीसदी एआई की मदद से बनाया गया बताया है।

हमने तस्वीर को brandwell.ai के जरिए भी सर्च किया। यहाँ तस्वीर को 92 फीसदी एआई से बनी हुई बताया है।

हमने फोटो को एआई एक्सपर्ट अंश मेहरा के साथ शेयर किया। उन्होंने तस्वीर को एआई टूल की मदद से बनाया हुआ बताया है।

विश्वास न्यूज के एआई सेक्शन में एआई और डीपफेक वीडियोज से जुड़ी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अंत में हमने पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को 21 हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर असली नहीं, बल्कि एआई यानी की आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस  की मदद से बनाई गई है।

False
Symbols that define nature of fake news
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