मध्य प्रदेश में ईवीएम चोरी की घटना के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान का है, जब मतगणना प्रशिक्षण के लिए ले जाए जा रहे ईवीएम वाले वाहन को रोककर चुनाव में इस्तेमाल ईवीएम कह कर अफवाह को फैलाने का काम किया गया था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। लोकसभा चुनाव 24 के लिए जारी मतदान के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की चोरी की घटना सामने आई है। वायरल वीडियो में कुछ लोगों को ईवीएम से भरे वाहन पर कब्जा करने के साथ हंगामा करते हुए देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक और गुमराह करने वाला निकला। वायरल वीडियो 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान का है, जब मतगणना से पहले कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए ईवीएम को ले जाया जा रहा था और यह सभी ईवीएम अनयूज्ड यानी चुनाव में इस्तेमाल नहीं किए गए ईवीएम थे। प्रत्येक चुनाव के दौरान मतगणना से पहले ऐसे ईवीएम के साथ मतगणना कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है। जिन ईवीएम का इस्तेमाल चुनाव में होता है, वह स्ट्रॉन्ग रूम में बंद होती है और उसकी लगातार निगरानी की जाती है। वायरल वीडियो में नजर आ रहे ईवीएम प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाला अनयूज्ड ईवीएम (चुनाव आयोग के वर्गीकरण के मुताबिक, कैटेगरी डी के तहत वर्गीकृत) था, जिसे चुनाव में इस्तेमाल हुआ ईवीएम बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया गया।
सोशल मीडिया यूजर ‘truthful_politics_’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “मध्य प्रदेश: बीजेपी पार्टी के गद्दार दो वैन में चोरी कर रहे ईवीएम! इन गद्दारों के बारे में पूरा देश जानें, संदेश सभी तक पहुंचाएं।”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल वीडियो में एक व्यक्ति को साफ-साफ “पहाड़िया मंडी” में “ईवीएम चोरी” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सुना जा सकता है। इसी की-वर्ड से सर्च में हमें कई पुरानी पोस्ट्स मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है। सोशल मीडिया सर्च में हमें समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव का पुराना पोस्ट भी मिला, जिसमें उन्होंने इस घटना को लेकर ट्वीट (आर्काइव लिंक) किया है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी आठ मार्च 2022 को इस वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट (आर्काइव लिंक) करते हुए वाराणसी में ईवीएम में हेराफेरी का आरोप लगाया था।
हमें इस वीडियो (आर्काइव लिंक) का थोड़ा लंबा वर्जन अरुण राजभर के फेसबुक प्रोफाइल पर भी लगा मिला। इन-विड टूल की मदद से हमने इस वीडियो के कई फ्रेम्स को निकाला और इनमें हमें ईवीएम और वीवीपैट के विजुअल से संबंधित दो फ्रेम मिला, जिसमें नजर आ रहे ईवीएम और वीवीपैट पर साफ-साफ और स्पष्ट शब्दों में “प्रशिक्षण/जागरूकता ईवीएम” लिखा हुआ है।
न्यूज सर्च में हमें रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस घटना पर तत्कालीन जिलाधिकारी का बयान और स्पष्टीकरण है। न्यूज एजेंसी एएनआई के आठ मार्च 2022 के ट्वीट (आर्काइव लिंक) के मुताबिक, वाराणसी के तत्कालीन जिलाधीश और जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया, “ये ईवीएम प्रशिक्षण के लिए थे, जिन्हें मंडी स्थित खाद्य गोदाम से यूपी कॉलेज ले जाया जा रहा था। कुछ राजनीतिक दलों ने ऐसे ईवीएम को ले जा रहे वाहन को रोका और इन्हें चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम कहकर अफवाह फैलाई।”
आठ मार्च 2022 को प्रकाशित न्यूज एजेंसी एएनआई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ईवीएम में हेराफेरी का विवाद सामने आने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी सह जिलाधीश कौशल राज शर्मा ने कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, “करीब 20 ईवीएम को यूपी कॉलेज प्रशिक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इस वाहन को रोका और यह अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि गाड़ी में ले जाया जा रहा ईवीएम चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम है, जबकि चुनाव में इस्तेमाल होने वाला ईवीएम अलग स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और प्रशिक्षण वाले ईवीएम को अलग स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। कल (9 मार्च) को मतगणना में शामिल कर्मचारियों के प्रशिक्षण का दूसरा दिन है और इन मशीनों का इस्तेमाल हमेशा ही प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।”
उन्होंने कहा, “यहां पर स्ट्रॉन्ग रूम है। चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम को वहां रखा गया है और उसकी बैरिकेडिंग की गई है, जिसका कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। जिले में दूसरा स्ट्रॉन्ग रूम और गोदाम हैं, जहां प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाले ईवीएम को रखा जाता है। दोनों ही जगह रखे जाने वाले ईवीएम का एक-दूसरे से संपर्क नहीं होता है। इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है। मतदान के दौरान जिन ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था, उनके नंबर को सभी दलों को ईमेल कर दिया गया है। साथ ही उन्हें हार्ड कॉपी भी दी गई है। ये 20 ईवीएम अलग वाहन में रखे गए थे। नंबर का मिलान किया जा रहा है और इसे उम्मीदवारों को दिखाया जा रहा है कि ये ईवीएम चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम नहीं है।”
कई अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में उनके इस स्पष्टीकरण का जिक्र है।
घटना को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश की तरफ से भी स्पष्टीकरण जारी किया गया। दी गई जानकारी में उन्हीं बातों का उल्लेख है, जिसका जिक्र ऊपर किया गया है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग समय-समय पर चुनाव बाद ईवीएम की सुरक्षा और उसके रख-रखाव को लेकर दिशा-निर्देश जारी करते रहता है। 22 मार्च 2019 को जारी निर्देशों के मुताबिक, कैटेगरी D के तहत अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर, जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट को दी जाती हैं। इन मशीनों का इस्तेमाल मतदान में नहीं होता है।
नीचे दिए गए आयोग के दिशानिर्देशों में इसे साफ-साफ पढ़ा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो पहले भी समान दावे के साथ वायरल हुआ था, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
वायरल दावे को लेकर हमने वाराणसी के उप-जिला निर्वाचन अधिारी रणविजय सिंह से संपर्क किया था। ईवीएम हेराफेरी के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा था, “सभी ईवीएम को मतगणना प्रशिक्षण में लगे कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए उदय प्रताप डिग्री कॉलेज ले जाया जा रहा था। ये सभी ईवीएम प्रशिक्षण के लिए थी और इनका इस्तेमाल चुनाव में नहीं किया गया था।”
उन्होंने कहा, “सभी ईवीएम चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक वर्गीकृत कैटेगरी डी (अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट्स) की थी, जिनका इस्तेमाल चुनाव में नहीं होता है और न ही इसे चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम के साथ एक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है।”
वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब 68 हजार लोग फॉलो करते हैं। चुनाव से संबंधित अन्य भ्रामक व फेक दावों की जांच करती फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज के चुनावी सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
चुनाव आयोग की घोषणा (आर्काइव लिंक) के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के तहत अब तक पांच चरणों का मतदान हो चुका है और छठें चरण के लिए मतदान 25 मई को होगा, जिसमें सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की कुल 57 सीटों पर वोटिंग होगी।
निष्कर्ष: मध्य प्रदेश में ईवीएम चोरी की घटना के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान का है, जब मतगणना प्रशिक्षण के लिए ले जाए जा रहे ईवीएम वाले वाहन को रोककर चुनाव में इस्तेमाल ईवीएम कह कर अफवाह को फैलाने का काम किया गया था।
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