उत्तराखंड के मंगलौर में कांवड़ियों की कार चालक के साथ मारपीट के वीडियो को गलत और भड़काऊ सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। इस घटना में शामिल दोनों ही पक्ष हिंदू हैं और इसमें कोई भी सांप्रदायिक पहलू शामिल नहीं है। साथ ही यह घटना सुनियोजित नहीं थी, जैसा कि सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सावन महीने में जारी कांवड़ यात्रा के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में कांवड़ियों को कार यात्री के साथ हील-हुज्जत करते हुए और कार में तोड़फोड़ करते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि कार में बैठे मुस्लिम दंपती जानबूझकर कांवड़ियों की भीड़ में अपनी कार लेकर गए और वहां उन्होंने कांवड़ियों को टक्कर मार दी। दावा किया जा रहा है कि इस वीडियो को कांवड़ियों को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल हो रहा वीडियो हरिद्वार के मंगलौर थाना क्षेत्र की घटना का है और इसमें किसी भी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था। कार चालक प्रताप सिंह हिंदू हैं और वीडियो में उन्हें काली टोपी पहने हुए देखा जा सकता है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के पहने जाने वाले गणवेश का हिस्सा है।
सोशल मीडिया यूजर ‘किरन कमलेश तिवारी’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “पहले ये मुस्लिम दम्पति ज़बरदस्ती गाड़ी लेकर अंदर घुसा जहाँ कांवड़ियों की भीड़ थी।
और उसके बाद कांवड़ियों को टक्कर मार दी।
उसके बाद वहाँ कांवड़ियों का ग़ुस्सा देखने को मिला।
लेकिन इस एक वीडियो के ज़रिए अब आप सबको ये बताने की कोशिश की जाएगी कांवड़ियों ने उत्पात मचा दिया ये कर दिया वो कर दिया।
कांवड़ियों को बदनाम करने की साज़िश बहुत समय से चल रही है।”
कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। सुदर्शन न्यूज के पत्रकार सागर कुमार के वेरिफाइड हैंडल से भी इस वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया गया है।
वायरल वीडियो में नीले रंग की बलेनो कार नजर आ रही है, जिसके रजिस्ट्रेशन प्लेट पर वाहन का नंबर साफ-साफ नजर आ रहा है। चेक करने पर मिली जानकारी के मुताबिक, यह वाहन उत्तराखंड के रुड़की में पंजीकृत है और वाहन मालिक का नाम प्रताप सिंह है।
दूसरा वायरल वीडियो में वाहन चालक के सिर पर काली टोपी है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के गणवेश का हिस्सा है। इन अवलोकनों से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा हिंदू-मुस्लिम का दावा गलत है।
‘हरिद्वार प्रताप सिंह कांवड़ियां’ की-वर्ड से सर्च करने पर हमें कई रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है। न्यूज नेशन की वेबसाइट पर न्यूज एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, “हरिद्वार में कांवड़ियों ने भाजपा नेता को मुस्लिम समझकर हमला करते हुए कार में तोड़फोड़ कर दी।” रिपोर्ट में नेता का भी बयान है, जिसके मुताबिक, “नेता ने कहा, मेरी कार गलती से एक कांवड़ से टकरा गई और जिन लोगों ने मुझ पर हमला किया, उन्होंने सोचा कि मैं मुस्लिम हूं, क्योंकि मैंने काली टोपी पहन रखी थी, दाढ़ी रखी हुई थी और मेरे साथ बुर्का पहने एक महिला थी। 10 जुलाई को हुई इस घटना का एक वीडियो व्यापक रूप से साझा किया गया, जिसमें कथित तौर पर कांवड़ियों को वाहन को पलटने और लाठियों से मारने से पहले कार मालिक प्रताप सिंह को जबरन वाहन से बाहर खींचते हुए दिखाया गया है। कार में सवार महिला भाजपा की स्थानीय अल्पसंख्यक शाखा की सदस्य थी।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “घटना के संबंध में मंगलौर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस दंगा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 427 (नुकसान पहुंचाने वाली शरारत) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।”
दी गई जानकारी के मुताबिक, “रास्ते में हमने (प्रताप सिंह) दोपहर का भोजन करने का फैसला किया और अपनी कार सड़क के किनारे पार्क कर दी। जब मैंने कार पार्क की, तो वहां कुछ भी नहीं था, लेकिन जब तक मैं वापस आया, तो किसी ने कार के ठीक सामने एक कांवड़ रख दी थी। उन्होंने कहा, जब मैंने कार स्टार्ट की तो वह गलती से कांवड़ से टकरा गई, जिसके बाद भीड़ इकट्ठा हो गई और मुझे मुस्लिम कहकर बाहर खींचने की कोशिश की और दूसरों से मुझे पीटने के लिए कहा। उन्होंने हमलावरों को यह बताने की कोशिश की कि वह हिंदू हैं और भाजपा और आरएसएस के सदस्य हैं, लेकिन वे नहीं माने और कार में तोड़फोड़ की। उन्होंने कहा कि बाद में वह स्थानीय पुलिस स्टेशन गए और शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया।”
फ्री-प्रेस जर्नल की रिपोर्ट में भी इस घटना का जिक्र है और रिपोर्ट में हरिद्वार पुलिस का भी बयान शामिल है, जिसमें संबंधित घटना में किसी भी सांप्रदायिक पहलू का खंडन किया गया है। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, इस मामले में मुकदमा दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है ।
सोशल मीडिया सर्च में हमें उत्तराखंड पुलिस के वेरिफाइड हैंडल से हरिद्वार के एसएसपी अजय सिंह का जारी किया हुआ बयान भी मिला, जिसमें वह साफ-साफ इस घटना के सुनियोजित होने और इसमें किसी भी तरह के सांप्रदायिक पहलू के दावे का खंडन करते हुए ऐसा करने वाले सोशल मीडिया यूजर्स को चेतावनी देते हुए नजर आ रहे हैं।
दी गई जानकारी के मुताबिक, इस मामले में सोशल मीडिया पर भ्रामक और झूठा प्रचार करने के संबंध में 153 ए के तहत मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर मंगलौर के सर्कल ऑफिसर से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि इस घटना में शामिल दोनों पक्ष हिंदू है और इसमें कोई भी सांप्रदायिक पहलू शामिल नहीं है।
चूंकि संबंधित घटना के मामले में मंगलौर पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज किया गया है, इसलिए हमने मंगलौर पुलिस स्टेशन के एसएचओ महेश जोशी से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि यह घटना न तो सुनियोजित थी और न ही इसमें कोई मुस्लिम शामिल था। दोनों ही पक्ष हिंदू थे और जिन लोगों ने तोड़फोड़ की, उन्हें मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद गिरफ्तार भी किया गया।
वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 66 हजार लोग फॉलो करते हैं और इस प्रोफाइल से विचारधारा विशेष से प्रेरित सामग्री शेयर की जाती है।
निष्कर्ष: उत्तराखंड के मंगलौर में कांवड़ियों की कार चालक के साथ मारपीट के वीडियो को गलत और भड़काऊ सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। इस घटना में शामिल दोनों ही पक्ष हिंदू हैं और इसमें कोई भी सांप्रदायिक पहलू शामिल नहीं है। साथ ही यह घटना सुनियोजित नहीं थी, जैसा कि सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है।
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