भारतीय न्यायिक व्यवस्था में राजनीतिक पूर्वाग्रहों वाले जजों की नियुक्ति पर चिंता जताते हुए व्यक्ति भारत के मशहूर कानूनी शिक्षाविद डॉक्टर मोहन गोपाल हैं, जिन्हें सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें नजर आ रहे व्यक्ति सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुदर्शन मेनन है, जो भारत में वैसे जजों की बढ़ती संख्या के बारे में चिंता जता रहे हैं, जो संविधान की बजाए धर्म को कानून का स्रोत मानते हैं। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कोशिश भारत को 2047 तक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की है और यह काम संविधान को खारिज कर नहीं,बल्कि उसकी व्याख्या के जरिए किया जाएगा। अपने भाषण में वह जजों की नियुक्ति में सरकार की किसी भूमिका को नकारते हुए कॉलेजियम व्यवस्था को बनाए रखने की वकालत करते हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो में नजर आ रहे व्यक्ति सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नहीं, बल्कि प्रोफेसर जी मोहन गोपाल हैं। प्रोफेसर गोपाल नेशनल जूडिशियरी एकेडमी के निदेशक और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी के पूर्व निदेशक हैं।
सोशल मीडिया यूजर ‘Farhat Jabin Shakil’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “The Chief Justice of the Supreme Court of Singapore, Sundaresh Menon, speaks on how the Constitution of India could be hijacked by Chaddi judges to turn India into a Hindu Rashtra.” (“सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सुदर्शन मेनन ने बताया कि कैसे विचारधारा विशेष से प्रेरित जजों द्वारा भारत के संविधान की मनमानी व्याख्या कर उसे हिंदू राष्ट्र में बदला जा रहा है।”)
कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल वीडियो क्लिप में कानूनी खबरों की जानकारी देने वाली वेबसाइट लाइव लॉ का लोगो लगा हुआ है। रिवर्स इमेज सर्च में इसकी वेबसाइट पर 18 फरवरी 2023 को प्रकाशित खबर मिली, जिसमें लगी हुई तस्वीर वायरल वीडियो में बोल रहे व्यक्ति की है। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर मशहूर कानूनविद डॉ. मोहन गोपाल की है, जिन्होंने ‘कैंपेन फॉर जूडिशियल अकाउंटिबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीएजीआर) ऑन एग्जीक्यूटिव इंटरफरेंस इन जूडिशियल अप्वाइंटमेंट्स’ पर बोलते हुए राजनीतिक पूर्वाग्रहों के आधार पर जजों की नियुक्ति को लेकर चिंता जताई थी। अपने इस संबोधन में उन्होंने जजों की नियुक्ति के मामले में कॉलेजियम व्यवस्था की वकालत की थी।
लाइव लॉ हिंदी की वेबसाइट पर भी यह रिपोर्ट प्रकाशित है। अपने संबोधन में उन्होंने 2047 तक ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दोतरफा रणनीति का जिक्र करते हुए कहा, “ऐसा करने के लिए पहला चरण न्यायाधीशों की नियुक्ति कर रहा है, जो संविधान से परे धार्मिक स्रोतों को देखने के लिए खुले हैं। दूसरा चरण, जो अब शुरू होगा, न्यायाधीशों को नियुक्त करना है, जो स्रोत की पहचान करते हैं। यह शुरू हुआ, उदाहरण के लिए, हिजाब के फैसले में, जहां दो न्यायाधीशों में से एक ने वास्तव में कहा- “पंथ निरापक्ष” का अर्थ धर्म है न कि धर्म और कहा कि संविधान “धर्म निरापक्ष” नहीं कहता है, यह “पंथ निरापक्ष” कहता है। और उन्होंने कहा कि धर्म संविधान पर लागू होता है और वास्तव में फैसले में कहते हैं कि संवैधानिक कानून धर्म है। धर्म से उनका मतलब सनातन धर्म है। इसलिए वह कह रहे हैं कि हमारा संवैधानिक कानून सनातन धर्म है। वह कह रहे हैं कि हमें कानून को लागू करने में धर्म को ध्यान में रखना होगा।”
वायरल हो रहा क्लिप उनके इसी संबोधन का अंश है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भारत की संवैधानिक व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। वायरल वीडियो क्लिप को लेकर विश्वास न्यूज ने लाइव लॉ के एसोसिएट एडिटर बृज द्विवेदी से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया, “वीडियो में नजर आ रहे मशहूर कानूनी कानूनी शिक्षाविद प्रोफेसर जी मोहन गोपाल हैं, न कि सिंगापुर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस।”
लाइव लॉ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर उनके कई अन्य वीडियो को भी देखा जा सकता है।
सिंगापुर की आधिकारिक वेबसाइट judiciary.gov.sg पर सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों के बारे में जानकारी दी गई है। जानकारी के मुताबिक, सुदर्शन मेनन वहां की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। नीचे दर्शाए गए कोलाज में सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुदर्शन मेनन और मशहूर भारतीय कानूनी शिक्षाविद डॉ. मोहन गोपाल की तस्वीरों के फर्क को साफ-साफ देखा जा सकता है।
वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल विचारधारा विशेष से प्रेरित है। हिंदी और अंग्रेजी समेत कुल 12 भाषाओं में विश्वास न्यूज की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: भारतीय न्यायिक व्यवस्था में राजनीतिक पूर्वाग्रहों वाले जजों की नियुक्ति पर चिंता जताते हुए व्यक्ति भारत के मशहूर कानूनी शिक्षाविद डॉक्टर मोहन गोपाल हैं, जिन्हें सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
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