नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। भारत समेत दुनिया भर में कोविड-19 वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के खतरे के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि दवा कंपनी फाइजर के वैज्ञानिकों ने इस नए वैरिएंट के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए साप्ताहिक आधार पर वैक्सीन (टीका) का बूस्टर डोज दिए जाने की चेतावनी दी है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल दावे के साथ जिस खबर के स्क्रीनशॉट को शेयर किया जा रहा है, वह एक व्यंग्य वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट है, जिसे लोगों ने सही खबर मानकर सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया। दुनिया के कुछ देशों ने बूस्टर डोज को लगाए जाने की मंजूरी दी है और इजरायल अपने नागरिकों को एक बार फिर से बूस्टर डोज लगाने जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘Tshepiso Lehlomela Mahlangu’ ने वायरल खबर के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा है कि फाइजर ने साप्ताहिक टीकाकरण को लेकर चेतावनी दी है।
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस खबर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में किसी न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के स्क्रीनशॉट को शेयर किया है, जिसके मुताबिक नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के संक्रमण को देखते हुए फाइजर के वैज्ञानिकों ने फिर से लॉकडाउन को रोकने के लिए साप्ताहिक टीकाकरण को लेकर चेताया है।
न्यूज सर्च में हमें न तो ऐसी कोई खबर मिली और न ही फाइजर के वेबसाइट पर ऐसी कोई जानकारी मिली, जिसमें वैज्ञानिकों ने साप्ताहिक स्तर पर टीके का बूस्टर डोज दिए जाने की सलाह दी है।
वायरल पोस्ट में अंग्रेजी में लिखी हेडलाइन ‘Pfizer Scientists Warn Weekly Vaccinations May Be Needed For Omicron Variant COVID-19 To Prevent Lockdown’ से गूगल सर्च करने पर हमें thestonkmarket.com की वेबसाइट पर एक दिसंबर 2021 को समान हेडलाइन से प्रकाशित रिपोर्ट मिली।
रिपोर्ट में लिखी गई अन्य बातें (जैसे फाइजर के स्टॉक में आया 420.69% का उछाल (इस साल आज की तारीख-23-12-2021 – तक कंपनी के शेयर में करीब 62% का उछाल आया है) और एलन मस्क द्वारा स्टॉक की गतिविधि को लेकर किया ट्वीट) भी तथ्यों से मेल नहीं खाती हैं और इस वजह से इस रिपोर्ट के न्यूज रिपोर्ट होने पर संदेह उत्पन्न होता है।
वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक TheStonkMarket.com फाइनेंशियल सटायर (वित्तीय रूप से व्यंग्य वाली रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाला) पोर्टल है और उपरोक्त आर्टिकल उसी श्रेणी में आता है। इस वेबसाइट पर प्रकाशित अन्य रिपोर्ट से इस दावे की पु्ष्टि होती है।
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, (रिपोर्ट लिखे जाने तक) भारत में अब तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के 236 मामले सामने आ चुके हैं और संक्रमण के बढ़ते खतरों को देखते हुए गुरुवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति की समीक्षा करने जा रहे हैं।
दुनिया के कई देश अपने नागरिकों को वैक्सीन का बूस्टर डोज लगा चुके हैं। इस मामले में इजरायल पहला वैसा देश था, जिसने अपने नागरिकों को वैक्सीन की बूस्टर डोज दी थी। टाइम्स ऑफ इजरायल की न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, अब इजरायल अपने नागरिकों को चौथा बूस्टर डोज देने की तैयारी कर रहा है।
वहीं, ब्रिटेन भी अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दिए जाने के बारे में विचार कर रहा है। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अगस्त महीने में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज की अनुशंसा की थी।
बूस्टर डोज को लगाए जाने की फ्रीक्वेंसी और यह कैसे काम करता है, के बारे में समझने के लिए विश्वास न्यूज ने लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर निशांत वर्मा से संपर्क किया। वर्मा ने बताया, ‘भारत में अभी तक बूस्टर डोज को लेकर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। वायरस के नए संक्रमण (नए वैरिएंट) को देखते हुए सरकार अपने नागरिकों को बूस्टर डोज लगाने का निर्णय लेती है, ताकि लोगों की इम्युनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता को और अधिक मजबूत किया जा सके। आम तौर पर एक साल में एक ही बूस्टर डोज लगाया जाता है।’
वर्मा ने कहा, ‘भारत में अभी भी पूरी आबादी को टीका का दोनों डोज मिलना बाकी है और बूस्टर डोज तभी मिलेंगे, जब लोगों को दो डोज मिल चुके होंगे। बूस्टर डोज के मामले में अभी नए वैरिएंट से होने वाले खतरों का आकलन किया जा रहा है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट के मुताबिक बूस्टर डोज, वैक्सीन की एक डोज होती है, जो प्राथमिक टीकाकरण (भारतीय संदर्भ में वैक्सीन का दो डोज प्राथमिक टीकाकरण है) के डोज को पूरा करने के बाद दिया जाता है। cdc.gov की वेबसाइट पर अलग-अलग वैक्सीन के आधार पर बूस्टर डोज को लगाए जाने की अवधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
मिसाल के तौर पर अगर किसी व्यक्ति ने मॉडर्ना का टीका लिया हुआ है, तो 18 वर्ष से अधिक की उम्र के व्यक्ति को बूस्टर टीका मिलेगा और यह वैक्सीन के प्राथमिक डोज को पूरा करने के छह महीने के बाद लिया जा सकता है।
निष्कर्ष: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को साप्ताहिक स्तर पर टीका का बूस्टर डोज दिए जाने के दावे के साथ वायरल हो रही खबर व्यंग्य में लिखी गई रिपोर्ट है, जिसे लोगों ने सही मानकर गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया। दुनिया के कुछ देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे चुके हैं और एक अन्य बूस्टर डोज देने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन साप्ताहिक स्तर पर बूस्टर डोज को लगाए जाने का दावा मनगढ़ंत और फेक है।
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