Fact Check : हमदर्द कंपनी के नाम पर फिर वायरल हुआ फर्जी और सांप्रदायिक दावा

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी ऐसी ही पोस्‍ट की जांच की थी। दावा बेबुनियाद साबित हुआ।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्‍लेटफॉर्म पर एक बार फिर से एक पोस्‍ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि हमदर्द कंपनी में हिंदुओं को नौकरी नहीं मिलती है। यहां गैर-मुस्लिमों को नौकरी पर नहीं रखा जाता है।

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी ऐसी ही पोस्‍ट की जांच की थी। दावा बेबुनियाद साबित हुआ। हमारी पड़ताल में पता चला कि हमदर्द कंपनी में कई सारे गैर-मुस्लिम भी काम करते हैं। इसमें से कई उच्‍च पदों पर भी कार्यरत हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर चंद्रशेखर सिंह ने 19 मार्च को एक पोस्‍ट किया। इसमें दावा किया गया, “मशहूर यूनानी दवा कंपनी हमदर्द में एक भी हिन्दू युवक को काम नहीं मिलता वो भी सिर्फ इसलिए कि वो हिन्दू है। अल्पसंख्यक मंत्रालय और वक्फ बोर्ड के करोड़ो रूपये की सहायता से चलने वाला “हमदर्द” वक्फ लैबरोटरी, जिसके प्रोडक्ट साफी, रूह आफजा, सौलिन, जोशिना आदि है। उसके डिस्ट्रीब्यूटर या C&F बनने के लिए पहली शर्त है कि आवेदक सिर्फ मुस्लिम होना चाहिए… इस कंपनी में सेल्समैन से लेकर एमडी तक प्रत्येक काम करने वाला मुस्लिम है। इसी कंपनी की ब्रांच पाकिस्तान में भी है। सरकारी पैसे से चलने वाले दवा की कम्पनी का ये रुल है… जहाँ हिन्दूओ को सेकुलरवाद की घुट्टी पिलाकर नींद में सुला दिया गया है। मीडिया यह बात आपको कभी नहीँ बताएगी।”

पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट में किए गए दावे की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले हमदर्द की वेबसाइट को स्‍कैन किया। यहां हमें वेबसाइट के लीडरशिप सेक्शन में टॉप मैनेजमेंट की लिस्‍ट में कई ऐसे नाम मिले, जो गैर-मुस्लिम थे। यदि यहां सिर्फ मुस्लिमों को नौकरी दी जाती, तो यह नाम यहां नहीं होते।

जांच को आगे बढ़ाते हुए गूगल ओपन सर्च टूल का इस्‍तेमाल किया गया। सर्च के दौरान हमें कई फैक्‍ट चेक खबरें मिलीं, जिसमें वायरल दावे को फर्जी बताया जा चुका है। विश्‍वास न्‍यूज ने पहले भी इसकी पड़ताल की थी। उस फैक्‍ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ सकते हैं ।

विश्‍वास न्‍यूज ने पिछली पड़ताल के दौरान हमदर्द के मार्केटिंग डिवीज़न के मैनेजर मोहम्मद शारिक से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया, “वायरल पोस्‍ट पूरी तरह झूठ और बेबुनियाद है। हमदर्द में कई गैर-मुस्लिम कर्मचारी हैं। ऐसी पोस्‍ट कई साल से वायरल होती रही है।”

जांच के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर चंद्रशेखर सिंह बिहार के मुंगेर के रहने वाले हैं। इस अकाउंट को अक्‍टूबर 2016 को बनाया गया।

निष्कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में हमदर्द कंपनी के नाम पर वायरल दावा फर्जी निकला। यहां गैर-मुस्लिम भी काम करते हैं। ऐसे में यह कहना कि यहां हिंदुओं को नौकरी नहीं दी जाती है, यह गलत साबित होता है।

False
Symbols that define nature of fake news
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