Fact Check : गाय तस्करी के 7 साल पुराने वीडियो को हाल का बताकर फैलाया जा रहा भ्रम

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि गाय तस्करी का वायरल वीडियो का हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि करीब 7 साल पुराना है। साल 2016 में हुई तस्करी के वीडियो को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर गाय तस्करी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक मशीन की मदद से गायों को बॉर्डर के इस पार से उस पर लेकर जाया जा रहा है। यूजर्स इस वीडियो को हालिया का बताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि करीब 7 साल पुराना है। साल 2016 में हुई तस्करी के वीडियो को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर नागेश सिंह ने 1 मार्च को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “भारत बांग्लादेश सीमा पर गाय की तस्करी का वीडियो, पहचानो ये कौन लोग हो सकते है किस धर्म के किस जाति के होंगे सोच कर बताओ ये भक्त है या चमचे ऐसा कौन कर सकता है।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

https://twitter.com/ajaychauhan41/status/1763476218069107068

पड़ताल 

वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें दावे से जुड़ी रिपोर्ट इंडिया टुडे की आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिली। वीडियो रिपोर्ट को 25 सितंबर 2016 को शेयर किया गया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, हर दिन भारत से बांग्लादेश में करीब 800 गायों की तस्करी की जा रही है। 21 सेकेंड पर वायरल वीडियो वाले हिस्से को देखा जा सकता है।

पड़ताल के दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी रिपोर्ट बंगादेश की वेबसाइट ढाका ट्रिब्यून पर मिली। रिपोर्ट को 9 सितंबर 2016 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो को 6 सितंबर को एक सब- इंस्पेक्टर पुलिस मोहम्मद इस्माइल हुसैन ने लालमोनिरहाट जिले में दुर्गापुर सीमा का बताते हुए शेयर किया था। रिपोर्ट में वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट को देखा जा सकता है।

हमें जांच के समय यह वीडियो इसी जानकारी के साथ कई अन्य फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर साल 2016 में शेयर हुआ मिला।

इसकी अधिक जानकारी के लिए हमने बांग्लादेश स्थित फैक्ट चेकिंग वेबसाइट रूमर स्कैनर के सह-संस्थापक मोहम्मद सकीजुमन से संपर्क कर उनको वायरल वीडियो भेजा। उन्होंने हमें बताया कि यह वीडियो पुराना है। हाल-फिलहाल का नहीं है।

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर के करीब छह हजार फॉलोअर्स हैं। यूजर ने प्रोफाइल पर खुद को महाराष्ट्र का रहने वाला बताया है।

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि गाय तस्करी का वायरल वीडियो का हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि करीब 7 साल पुराना है। साल 2016 में हुई तस्करी के वीडियो को हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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