Fact Check : तुर्किये की 6 साल पुरानी तस्वीर को पाकिस्तान के आर्थिक संकट से जोड़कर किया जा रहा शेयर

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ। वायरल तस्वीर का पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है। वायरल तस्वीर साल 2016 में तुर्किये में हुए एक आंदोलन की है, जिसे अब गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि भूख से बेहाल पाकिस्तान की जनता ने वहां के सैनिकों को पीटना शुरू कर दिया है। तस्वीर को शेयर कर यूजर दावा कर रहे हैं कि जब पाकिस्तान के लोगों ने सैनिकों से आटा मांगा तो उन्होंने लोगों को फटकारना शुरू कर दिया, जिसके बाद लोगों को गुस्सा आ गया और उन्होंने सैनिकों की ही बेल्ट से उन्हें पीटना शुरू कर दिया।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ। वायरल तस्वीर का पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है। वायरल तस्वीर साल 2016 में तुर्किये में हुए एक आंदोलन की है, जिसे अब गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर सरला मुद्रा ने 13 फरवरी 2023 को वायरल तस्वीर को शेयर किया है। पोस्ट पर लिखा हुआ है, “ये तस्वीर सियालकोट पाकिस्तान से आई है। भूख से परेशान जनता को जब पाकिस्तान की फौज ने आटा देने की बजाय फटकारना शुरू किया तो जनता ने बेल्ट से गिरा गिरा के कूट दिया फौजियों को। ये हालत कर दी है पाकिस्तान की मोदी जी ने।”

वायरल पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है। वायरल तस्वीर को मिलते-जुलते दावे के साथ अन्य यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट एनबीसी न्यूज की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 17 जुलाई 2016 को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, तुर्किये के कुछ सैनिकों ने राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके बाद उनके समर्थकों ने बगावत करने वाले सैनिकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। यह तस्वीर उसी दौरान की है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक अन्य रिपोर्ट द गार्जियन की वेबसाइट पर 16 जुलाई 2016 को प्रकाशित मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, तुर्किये में सैनिकों के बगावत के बाद राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के समर्थकों ने सैनिकों की पिटाई की थी। यह तस्वीर उसी घटना के दौरान की है। इस तस्वीर को फोटो जर्नलिस्ट गोखन तन ने खींचा था।

सर्च के दौरान हमें तुर्किये में सैनिकों के बगावत से जुड़ी कई अन्य तस्वीरें गेट्टी इमेज की वेबसाइट पर भी मिली। यहां पर भी तस्वीरों को इसी जानकारी के साथ शेयर किया गया है।

अधिक जानकारी के लिए हमने फोटो जर्नलिस्ट गोखन तन (Gokhan Tan) से संपर्क किया है। रिप्लाई आने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा।

विश्वास न्यूज ने फोटो को लेकर पाकिस्तान के आज टीवी के सीनियर प्रोड्यूसर आदिल अली से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, वायरल दावा गलत है। इस तरह की कोई घटना पाकिस्तान में नहीं हुई है। यह तस्वीर पाकिस्तान की नहीं है।

पड़ताल के अगले चरण में फर्जी मैसेज करने वाले यूजर सरला मुद्रा की जांच की गई। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से जुड़ा हुआ है। प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर ओडिशा का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ। वायरल तस्वीर का पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है। वायरल तस्वीर साल 2016 में तुर्किये में हुए एक आंदोलन की है, जिसे अब गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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