Fact Check : झारखंड की ट्रेन की 6 साल पुरानी तस्वीर को वंदे भारत एक्सप्रेस की बताकर किया जा रहा वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि ट्रेन की वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर तकरीबन 6 साल पुरानी हैं और झारखंड के धनबाद की है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल तस्वीर का वंदे भारत से कोई संबंध नहीं है।

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। वंदे भारत ट्रेन के कन्नूर पहुंचने के बाद उसकी छत से पानी रिसने की कई खबरें सामने आई, जिसका खंडन करते हुए रेलवे ने कहा कि एसी से जुड़ी कुछ समस्याएं सामने आई थी। उन्हें ठीक कर दिया गया था। अब इस घटना से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को शेयर किया जा रहा है, जिसमें लोकोमोटिव पायलट को ट्रेन में छाता लेकर बैठे देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर उसी वंदे भारत ट्रेन की है, जिसमें पानी रिसने की समस्या आई थी।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल तस्वीर तकरीबन 6 साल पुरानी हैं और झारखंड के धनबाद की है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल तस्वीर का वंदे भारत ट्रेन से कोई संबंध नहीं है।

क्या हो रहा है वायरल ?

ट्विटर यूजर क्रिस नायर ने 26 अप्रैल 2023 को वायरल तस्वीर को शेयर किया है। यूजर ने अंग्रेजी में कैप्शन में लिखा है, “मोदी का “वंदे भारत” मोदी की तरह ही एक आपदा है। उद्घाटन के पहले दिन केरल में वंदे भारत की छत से बारिश का पानी टपकने लगा। तस्वीर अपने आप सारी सच्चाई बता रही है।

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

https://twitter.com/KrisNair1/status/1651119775425388544

पड़ताल 

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गौर से देखा हमने पाया कि वंदे भारत का लुक, इंटीरियर या गेट ऐसा नहीं है। दोनों में कोई मैच नहीं है। वायरल तस्वीर वंदे भारत ट्रेन से काफी अलग है। पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने तस्वीर को गूगल लेंस के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें इससे जुड़ा एक वीडियो पत्रकार सुचेता दलाल के ट्विटर अकाउंट पर मिला। रेलवे की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने वीडियो को 9 अगस्त 2017 को शेयर किया गया था। कमेंट में लोगों ने वीडियो को झारखंड का बताया हुआ है। 

रेल मंत्रालय ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, “इसे लेकर हम वास्तव में चिंतित हैं। इस घटना को लेकर पूछताछ की गई है। यह वीडियो डेड इंजन का है, जिसे दूसरा चालू इंजन खींच रहा था। वीडियो में ऐसा होते हुए देखा जा सकता है।

इसी आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें इससे जुड़ी एक रिपोर्ट इंडिया टाइम्स की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 11 अगस्त 2017 को शेयर किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह वीडियो झारखंड के धनबाद का है। 

अन्य रिपोर्ट को यहां पर देखा जा सकता है।

हमें पंजाब केसरी बिहार/झारखंड के आधिकारिक फेसबुक पेज पर घटना के बारे में एक अधिकारी की प्रतिक्रिया सहित एक वीडियो रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो 25 जुलाई, 2017 को रिकॉर्ड किया गया था। वीडियो में अधिकारी को बोलते हुए सुना जा सकता है, “वायरल वीडियो बंद इंजन का है, जिसे दूसरा इंजन खींच रहा है। इंजन की छत से पानी टपक रहा है, यह गलत है। इंजन को ठीक होने के लिए भेज दिया गया है।”

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण धनबाद के एडिटोरियल इंचार्ज चंदन शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, यह तस्वीर 2017 की है और गोमो (नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन) स्टेशन के पास की है। यह गोमो-चोपन पैसेंजर की घटना है। तब धनबाद रेल मंडल के डीआरएम मनोज कृष्ण अखौरी थे। उन्होंने हमें बताया था कि हां लीकेज हुई थी। लेकिन बाद में उसे ठीक करा दिया गया था। इंजन की रखरखाव में चूक हुई थी और हमने इसे गंभीरता से लिया था।

द मराठी भूमि पर 26 अप्रैल 2023 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेन के कन्नूर पहुंचने पर वंदे भारत एक्सप्रेस में पानी के रिसाव की कुछ खबरें सामने आई। रेलवे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इन सभी खबरों का खंडन किया और कहा, सभी रिपोर्ट्स गलत हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि ट्रेन के उद्घाटन के दौरान एयर कंडीशनर नलिकाओं के पास पानी की कुछ बूंदें बन गई थीं। उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य घटना थी, खासकर जब एसी यूनिट नई हो। हालांकि, यात्रा के दौरान इस पर ध्यान दिया गया और ट्रेन को बीच में रोकने के बजाय कन्नूर पहुंचने पर इसे ठीक करने का निर्णय लिया गया।

पड़ताल के अंत में हमने वायरल तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के पेज की सोशल स्कैनिंग की। यूजर को ट्विटर पर 30 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यूजर बेंगलुरु का रहने वाला है। यूजर ट्विटर पर जनवरी 2018 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि ट्रेन की वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर तकरीबन 6 साल पुरानी हैं और झारखंड के धनबाद की है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल तस्वीर का वंदे भारत से कोई संबंध नहीं है।

False
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