विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2018 का है। साल 2018 में सिरसा जिले के चकेरियां गांव के लक्कड़वाली रोड पर ये पासपोर्ट मिले थे।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। गुजरात के द्वारका में अवैध कब्जे को लेकर चल रहा अतिक्रमण अभियान अभी भी जारी है। अभी तक कुल 137 अतिक्रमण हटाए गए हैं। इसी से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें खेत से पासपोर्ट निकालते हुए कुछ लोगों को देखा जा सकता। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो गुजरात के द्वारका का है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2018 का है। साल 2018 में सिरसा जिले के चकेरियां गांव के लक्कड़वाली रोड पर ये पासपोर्ट मिले थे।
फेसबुक यूजर सनातनी शिव ने 1 अप्रैल 2023 को वायरल वीडियो को शेयर किया है। यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “जिस प्रकार गुजरात में बेट द्वारका के पास हज़ारों अवैध मुसलमान बसे थे, उस आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है की देश में हज़ारों कसाब बसाये जा चुके हैं। खेत से मिल रहे ये पासपोर्ट, आधार कार्ड और कागजात देख कर आपकी रूह काँप जाएगी।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो को गौर से देखा। हमने पाया कि वीडियो में नजर आ रहे लोग गुजराती नहीं, बल्कि, पंजाबी बोलते हुए नजर आ रहे हैं। इसी से हमें दावे के भ्रामक होने का अंदाजा हुआ। पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान दावे से जुड़ी एक पोस्ट सुखजीत बानी नामक फेसबुक अकाउंट पर 10 मार्च 2018 को अपलोड हुई मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, “सिरसा जिले के चकेरियां गांव के लक्कड़वाली रोड पर 250 पासपोर्ट मिले।”
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 11 मार्च 2018 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट के अनुसार, “सायं गांव चकेरियां से लकडांवाली जाने वाली सड़क पर ग्रामीणों को सड़क किनारे सैकड़ों की संख्या में पासपोर्ट बिखरे हुए मिले। गिनती के बाद पासपोर्ट की संख्या 256 बताई गई। सभी पासपोर्ट बिल्कुल नई कंडीशन में थे। सड़क पर ढेर के रूप में बिखरे पासपोर्टो को देखकर ग्रामीणों ने इसकी सूचना कालांवाली पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने सभी पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिए। संदिग्ध रूप से बिखरे मिले इन पासपोर्ट को चंडीगढ़, अमृतसर, जालंधर, पटना साहिब और बिहार के निवासियों का बताया गया।”
अन्य न्यूज रिपोर्ट्स को यहां देखा जा सकता है।
जांच के दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ी कई वीडियो रिपोर्ट भी मिली। सभी में इस वीडियो को सिरसा का बताया गया है।
अमर उजाला में 14 मार्च 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे मिलती-जुलती एक घटना जनवरी 2018 में हुई थी। जनवरी 2018 में चंडीगढ़ पासपोर्ट अथॉरिटी की ओर से नए जारी 254 पासपोर्ट वाला बैग बठिंडा पोस्ट आफिस पहुंचने से पहले ही गायब हो गया था। ये पासपोर्ट 16 जनवरी को बठिंडा पहुंचने थे, लेकिन बैग रास्ते से ही गायब हो गया।
अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण सिरसा के चीफ रिपोर्टर सुधीर आर्या की मदद से गांव चकेरियां के सरपंच प्रतिनिधि गुरमीत सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। यह वीडियो सिरसा में 5 साल पहले खेतों में मिले पासपोर्ट का है। 10 मार्च 2018 को सिरसा के चकेरियां गांव के लक्कड़वाली रोड पर 250 से ज्यादा पासपोर्ट मिले थे। इनमें से ज्यादातर पासपोर्ट पंजाब के थे।
पड़ताल के अंत में हमने वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के फेसबुक अकाउंट की स्कैनिंग की। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है और यूजर को 21 लोग फेसबुक पर फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2018 का है। साल 2018 में सिरसा जिले के चकेरियां गांव के लक्कड़वाली रोड पर ये पासपोर्ट मिले थे।
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