Fact check: न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की 5 साल पुरानी तस्वीर को अभी का बताकर किया जा रहा शेयर

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की विस्‍तार से जांच की। हमें पता चला कि वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि साल 2017 की है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। जिसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि कानपुर में न्यूजीलैंड की टीम का स्वागत भगवा रंग का स्कार्फ पहना कर किया गया है। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। वायरल हो रही तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2017 की है। जिसे अब भ्रामक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। 

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर भारतीय हिंदू ने वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, “कानपुर में न्यूजीलैंड टीम का भगवा पटका पहना कर किया गया स्वागत। नमाजवादी पार्टी के नेताओं ने जताई आपत्ति। जेहादियों के दलालों को आपत्ति तो होगी ही तो होने दो हिंदुओं इसका फर्क नहीं पड़ता…!! जय सिया राम ।”

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। पोस्‍ट के आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां देखें। ट्विटर पर भी इस दावे को यूजर्स जमकर शेयर कर रहे हैं।

https://twitter.com/RoyalKushwahaS/status/1463378706160775171

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ी एक खबर जी न्यूज की आधिकारिक वेबसाइट 27 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, टीम इंडिया और न्यूजीलैंड तीसरा वनडे मैच खेलने के लिए कानपुर पहुंची थी। इसी दौरान दोनों टीमों का स्वागत पारंपरिक तरीके से तिलक लगाकर और भगवा गमछा पहनाकर किया गया था। ये तस्वीर उसी स्वागत के दौरान की है।

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण के स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट अभिषेक से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं है। यह तस्वीर साल 2017 की है। उस दौरान होटल स्टाफ ने सभी को भगवा रंग का गमछा पहनाया था, लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला। भगवा गमछा इस बार भी मौजूद था, लेकिन होटल स्टाफ ने सभी खिलाड़ियों को इसे नहीं पहनाया है। कुछ खिलाड़ी खुद ही इस गमछे को पहनते हुए नजर जरूर आए थे।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि फेसबुक पेज भारतीय हिंदू एक विचारधारा से प्रभावित है और यह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का रहने वाला है। 

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की विस्‍तार से जांच की। हमें पता चला कि वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि साल 2017 की है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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