Fact Check: मथुरा की 5 साल पुरानी तस्वीर गलत दावे के साथ हुई वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2016 की है। साल 2016 में कुछ लोगों ने मिलकर मथुरा के जामा मस्जिद के बाहर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। ये तस्वीर उसी दौरान की है। जिसे अब लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

Fact Check: मथुरा की 5 साल पुरानी तस्वीर गलत दावे के साथ हुई वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। वसीम रिजवी ने बीते 6 दिसंबर को गाजियाबाद के डासना मंदिर में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। वायरल तस्वीर में एक शख्स पुजारी की पोशाक पहने हुए खड़ा है, तो वहीं बाकी लोग मुस्लिम समुदाय की पोशाक पहने हुए खड़े हैं। इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वसीम रिजवी के धर्म परिवर्तन के बाद यूपी में 34 मुस्लिम परिवारों ने कि हिन्दू धर्म में वापसी की है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2016 की है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

ट्विटर यूजर मुन्ना सिंह अकेला ने वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है कि यूपी में 34 मुस्लिम परिवारों ने कि हिन्दू धर्म मे वापसी। जय जय श्री राम। सनातन ही सत्य है।

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। पोस्ट के आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां देखें। फेसबुक पर भी यूजर्स इस दावे को शेयर कर रहे हैं।

https://twitter.com/HV7woi56R1pJunX/status/1470393410641031170

पड़ताल –

वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। सर्च के दौरान हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली कि उत्तर प्रदेश में 34 मुस्लिम परिवारों ने कि हिन्दू धर्म में वापसी की है। फिर पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें तस्वीर से जुड़ी एक खबर अमर उजाला की वेबसाइट पर 24 सितंबर 2016 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के उड़ी सैन्य मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के बाद मथुरा में लोगों ने एकत्र होकर पाकिस्तान के खिलाफ रोष व्यक्त किया था। इस हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद गुस्साए लोगों ने मिलकर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। ये तस्वीर उसी दौरान की है।

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण के मथुरा के सीनियर रिपोर्टर विनीत शर्मा से संपर्क किया। हमने वायरल पोस्ट को वॉट्सऐप के जरिए शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि यह तस्वीर साल 2016 की है, इसका हाल-फिलहाल से कोई लेना-देना नहीं है। उड़ी हमले के बाद शाही जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद उमर कादरी और महामंडलेश्वर नवल गिरि महाराज के साथ मिलकर कुछ लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। ये तस्वीर उसी दौरान की है। जिसे अब लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं। तस्वीर मथुरा के जामा मस्जिद के बाहर की है।

पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर मुन्ना सिंह अकेला की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर एक खास विचारधारा से प्रभावित है। यूजर के ट्विटर पर 72 फॉलोअर्स है और यह अकाउंट जुलाई 2021 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2016 की है। साल 2016 में कुछ लोगों ने मिलकर मथुरा के जामा मस्जिद के बाहर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। ये तस्वीर उसी दौरान की है। जिसे अब लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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