Fact Check : गुजरात के 4 साल पुराने वीडियो को हरियाणा हिंसा का बताकर किया जा रहा वायरल 

विश्वास न्यूज ने हरियाणा के मेवात में हो रही हिंसा के नाम से वायरल दावे की पड़ताल की। हमने पाया कि वायरल वीडियो हरियाणा का नहीं, बल्कि गुजरात में साल 2019 में हुई हिंसा का है। अब इसे गलत दावों के साथ हरियाणा का बताकर शेयर किया जा रहा है। 

नई दिल्‍ली (विश्वास न्यूज)। हरियाणा के मेवात में हिंसा के बाद से ही सोशल मीडिया पर कई प्रकार की फर्जी तस्‍वीरें और वीडियो वायरल करके माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। अब एक वीडियो को वायरल करते हुए हरियाणा का बताते हुए समुदाय विशेष पर निशाना साधा जा रहा है। इस वीडियो में कुछ लोगों को एक बस को नुकसान पहुंचाते हुए देखा जा सकता है। 

विश्‍वास न्‍यूज वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की। हमने पाया कि वायरल वीडियो हरियाणा का नहीं, बल्कि गुजरात में साल 2019 में हुई हिंसा का है। अब इसे गलत दावों के साथ हरियाणा का बताकर शेयर किया जा रहा है। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘दीपक सोनी’ ने 2 अगस्त 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “इनके लिए, हमने कल टैक्स रिटर्न फाइल कर दिया है …जय हिंद वंदे मातरम भारत माता की जय मनोहर लाल खट्टर की जगह कोई और होना चाहिए हरियाणा में #CM कोई कठोर कार्रवाई करने का जिगरा रखे ऐसा व्यक्ति ..जय हिंद।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो को गौर से देखा। हमने पाया कि बस पर गुजरात की नंबर प्लेट लगी हुई है। साथ ही हमने यह भी पाया कि बस पर एक जगह Sitilink लिखा हुआ है। इसके बारे में गूगल पर सर्च करने पर हमने पाया कि ये बसें सूरत में चलती हैं। इसका मतलब रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है। 

इसी आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें यह वीडियो ‘ख़ार से प्यार’ नामक एक ट्विटर अकाउंट पर 14 जुलाई 2019 को शेयर हुआ मिला। यूजर ने इस वीडियो को महाराष्ट्र का बताते हुए शेयर किया था। लेकिन हमने पाया कि कमेंट में कई लोग इसे सूरत का बता रहे थे।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने एक बार फिर अन्य कीवर्ड्स से सर्च किया। हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट टीवी9 गुजराती पर 5 जुलाई 2019 को अपलोड मिली। रिपोर्ट के अनुसार, यह वीडियो सूरत के नानपुरा इलाके में हुई हिंसा का है। 

अन्य न्यूज रिपोर्ट को यहां पर देखा जा सकता है। 

पड़ताल के दौरान हमें इस हिंसा से जुड़ी एक रिपोर्ट आजतक की वेबसाइट पर 5 जुलाई 2019 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट के अनुसार, “गुजरात के सूरत में मॉब लिंचिंग के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे प्रदर्शन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। सूरत के नानपुरा इलाके में लोगों ने मौन रैली का आयोजन किया। हालांकि, पुलिस ने रैली की इजाजत नहीं दी। पुलिस ने लोगों को जब रैली करने से रोका तो उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, इस झड़प के दौरान 4-5 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। मॉब लिंचिंग के नाम पर निकली मौन रैली में शामिल भीड़ ने ना सिर्फ पुलिस पर हमला किया, बल्कि सिटी बसों में तोड़फोड़ भी की। पुलिस ने भीड़ और हिंसा पर काबू पाने के लिए हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े। बढ़ती हिंसा को देखते हुए इलाके में धारा 144 लगा दी गई है।”

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल के अगले चरण में गुजराती जागरण, सूरत के रिपोर्टर मयूर ठाकुर से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल दावा गलत है। यह वीडियो करीब 4 साल पहले सूरत में हुई एक हिंसा की है।”

दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 1 अगस्त 2023 को प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, “31 जुलाई को नूंह में बृजमंडल यात्रा के दौरान हुई हिंसा के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया था। हिंसा के मामले में अब तक 139 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस हिंसा की आग गुरुग्राम तक भी पहुंची थी।”

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर के 910 मित्र हैं। यूजर नवंबर 2018 से फेसबुक पर सक्रिय है।

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने हरियाणा में हो रही हिंसा के नाम से वायरल दावे की पड़ताल की। हमने पाया कि वायरल वीडियो हरियाणा का नहीं, बल्कि गुजरात में साल 2019 में हुई हिंसा का है। अब इसे गलत दावों के साथ हरियाणा का बताकर शेयर किया जा रहा है। 

False
Symbols that define nature of fake news
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