Fact Check: दिल्‍ली में ऑटो ड्राइवर की पिटाई की करीब चार साल पुरानी फोटो किसानों के प्रदर्शन से जोड़कर वायरल

वायरल तस्‍वीर दिल्‍ली के मुखर्जी नगर थाने के बाहर करीब चार साल पहले हुई घटना की है। इसका हरियाणा में हुए किसानों के प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है।

Fact Check: दिल्‍ली में ऑटो ड्राइवर की पिटाई की करीब चार साल पुरानी फोटो किसानों के प्रदर्शन से जोड़कर वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। हरियाणा में समर्थन मूल्‍य पर सूरजमुखी की खरीद की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज के बाद सोशल मीडिया पर कुछ पोस्‍ट वायरल हो रही हैं। इनमें एक पोस्‍ट में सिख व्‍यक्ति की तस्‍वीर को शेयर किया जा रहा है। उसकी पीठ पर चोटों के निशान को देखा जा सकता है। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इस तस्‍वीर को किसानों के प्रदर्शन से जोड़कर शेयर कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्‍वीर 2019 यानी करीब चार साल पुरानी है। इसका हालिया किसानों के प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट

फेसबुक यूजर ‘काशी राम लोधी‘ (आर्काइव लिंक) ने 8 जून को इस तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए लिखा,

किसानों ने सिर्फ़ अपनी फसलों की एमएसपी माँगी थी. लेकिन क्रूर तंत्र ने उन्हें लाठियाँ और गिरफ़्तारियाँ दीं.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की गिरफ़्तारी की हम निंदा करते हैं,
आंदोलन में शहीद हुए किसान की खबर ने आँखें नम कर दी हैं

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इससे पता चला कि महिला पहलवान साक्षी मलिक (आर्काइव लिंक) और राज्‍यसभा सांसद संजय सिंह (आर्काइव लिंक) ने भी इस तस्‍वीर को कुछ अन्‍य तस्‍वीरों के साथ इनको किसानों के प्रदर्शन से जोड़कर ट्वीट किया है।

https://twitter.com/SakshiMalik/status/1666464667844370432

इस तस्‍वीर को और सर्च करने पर हमें ट्विटर यूजर रूपा मूर्ति (आर्काइव लिंक) का एक ट्वीट मिला। इसमें उन्‍होंने साक्षी मलिक द्वारा ट्वीट की गई तस्‍वीर को 2019 की घटना का बताया है। यूजर ने 17 जून 2019 को किए गए एक ट्वीट का स्‍क्रीनशॉट भी शेयर किया है। इसमें वायरल तस्‍वीर को देखा जा सकता है। स्‍क्रीनशॉट में लिखा है कि सिख ड्राइवर और उसके बेटे को मुखर्जी नगर पुलिस स्‍टेशन के बाहर पीटा गया।

इसके बाद हमने कीवर्ड से इस घटना के बारे में गूगल पर सर्च किया। 17 जून 2019 को किया गया ट्वीट (आर्काइव लिंक) भी हमें मिल गया। सिख संघर्ष के हैंडल से इस ट्वीट को किया गया था। इसमें इस तस्‍वीर को दिल्‍ली में हुई एक घटना का बताया गया।

https://twitter.com/SikhSangarsh/status/1140332923629051908

17 जून 2019 को आज तक की वेबसाइट पर भी इस खबर को देखा जा सकता है। इसके अनुसार, “मामला दिल्‍ली के मुखर्जी नगर थाने के बाहर का है। वहां पुलिसकर्मियों और सिख ग्रामीण सेवा चालक में कहासुनी हो गई। आरोप है कि इस दौरान ड्राइवर ने कृपाण निकाल ली। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने बीच सड़क पर ड्राइवर और उसके बेटे की पिटाई कर दी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। मामला बढ़ने के बाद तीन पुलिसकर्मियों को सस्‍पेंड कर दिया गया था।”

इसकी अधिक पुष्टि के लिए हमने पश्चिमी दिल्‍ली में दैनिक जागरण के क्राइम रिपोर्टर गौतम से बात की। उन्‍होंने कहा, “यह तस्‍वीर 2019 में हुई घटना की है। मामला मुखर्जी नगर थाने के बाहर का है।

इस तस्‍वीर को पहले किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया गया था, जिसकी पड़ताल विश्‍वास न्‍यूज ने की थी। उस दौरान विश्‍वास न्‍यूज से बातचीत में दिल्‍ली पुलिस के अतिरिक्‍त जनसंपर्क अधिकारी एएसीपी अनिल मित्‍तल ने इसे फेक बताया था। फैक्‍ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

7 जून 2023 को न्‍यूज 18 में छपी खबर में लिखा है कि सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर किसानों ने कुरुक्षेत्र में हाईवे जाम कर दिया। काफी देर तक हंगामा होने के बाद भी जब किसान हाईवे से नहीं हटे तो पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग किया। लाठीचार्ज में कई किसान घायल हुए हैं।

पड़ताल के अंत में हमने तस्‍वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘काशी राम लोधी‘ की प्रोफाइल को स्‍कैन किया। इसके मुताबिक, यूजर मध्‍य प्रदेश के कटनी जिले के बकल के रहने वाले हैं। उनके करीब 4200 फॉलाअर्स हैं। यूजर एक विचारधारा से प्रेरित है।

निष्कर्ष: वायरल तस्‍वीर दिल्‍ली के मुखर्जी नगर थाने के बाहर करीब चार साल पहले हुई घटना की है। इसका हरियाणा में हुए किसानों के प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है।

Misleading
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