Fact Check : लखनऊ की 2017 की तस्‍वीर फर्जी दावे के साथ नोएडा के नाम पर वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में नोएडा के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। लखनऊ की पुरानी तस्‍वीर को फर्जी दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया में एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक पुलिस अफसर को एक कपल से पूछताछ करते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यूपी के नोएडा में एक पार्क के पास पुलिस ने इन्‍हें पकड़ा। लड़का दूसरे धर्म का था।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमारी जांच में यह फर्जी साबित हुई। जिस तस्‍वीर को नोएडा की बताकर वायरल किया जा रहा है, वह 2017 की लखनऊ की तस्‍वीर है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर स्मिता शुक्‍ला ने 30 मार्च का एक तस्‍वीर को अपलोड करते हुए दावा किया : ‘नोएडा में ओखला के पास एक पार्क है । नाम है बुद्ध पार्क…..कल वहाँ एक लड़का और एक लड़की को पकड़ लिया योगी जी की एंटी रोमियो squad ने। लड़के से नाम पूछा तो बताया ललित और लड़की ने बताया वंदना। दोनों बोले मर्जी से बैठे हैं…… पुलिसवाले चाचा कहाँ मानने वाले थे। बोले अपना ID दिखाओ। लड़की ने झट कॉलेज का ID निकाल कर दिखा दिया। लड़का ना नुकर करने लगा तो दरोगा जी ने कान पकड़ लिए। फिर आख़िरकार पर्स में से ID निकाला। नाम था रेहान। लड़की के पैरों तले जमीन खिसक गई। वंदना तो ललित के गले में पड़े हनुमान जी का लॉकेट के अलावा कुछ देख ही नहीं पाई थी कुछ समझे? आखिर ये एंटी रोमियो स्क्वाड किस लिए बनाई गई है? अपनी बहन -बेटी को समझायें की बिना परिवार की सहमति के किसी भी लड़के से दोस्ती न करें । किसी भी प्रकार के झाँसा में या प्रलोभन में न फँसे। जय सत्य सनातन हिन्दू धर्म।’

इस तस्‍वीर को दूसरे यूजर्स भी नोएडा की मानकर शेयर कर रहे हैं। फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की पड़ताल गूगल रिवर्स इमेज टूल से शुरू की। शुरुआती जांच में ही हमें वायरल तस्‍वीर 2017 में पब्लिश एक लेख में मिली। scroll.in नाम की वेबसाइट पर 25 जून 2017 को पब्लिश इस लेख में यूपी सरकार के रिपोर्ट कार्ड के बारे में बताया गया। इसमें तस्‍वीर को लेकर बताया गया कि 22 मार्च 2017 को लखनऊ में यूपी पुलिस के एंटी रोमियो स्‍क्‍वॉड ने कपल से पूछताछ की थी। पूरी खबर यहां देखें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने लखनऊ में संपर्क किया। दैनिक जागरण के क्राइम रिपोर्टर ज्ञान मिश्रा के साथ हमने वायरल तस्‍वीर को शेयर की। उन्‍होंने तस्‍वीर में दिख रहे तत्‍कालीन इंस्‍पेक्‍टर डीके उपाध्‍याय से बात की। फिलहाल डीके उपाध्‍याय महाराजगंज जिले में डिप्‍टी एसपी हैं। उन्‍होंने बताया कि वायरल तस्‍वीर पुरानी है। यह लखनऊ के हजरतगंज के नेशनल कॉलेज के पास हुई एक चेकिंग की तस्‍वीर है।

जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने गौतमबुद्ध नगर के क्राइम रिपोर्टर प्रवीण से संपर्क किया। उन्‍होंने वायरल पोस्‍ट को फेक बताया। उनके अनुसार, नोएडा में ऐसी कोई चेकिंग नहीं हुई है।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फर्जी पोस्‍ट करने वाली यूजर की जांच की। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर स्मिता शुक्‍ला को 32 हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इस अकाउंट को जून 2011 को बनाया गया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में नोएडा के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। लखनऊ की पुरानी तस्‍वीर को फर्जी दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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