Fact Check: फौजियों को अलविदा कहते इन बच्चों की 2016 की तस्वीर, यूक्रेन-रूस की जंग के बाद हुई वायरल

विश्वास न्यूज़ ने वायरल तस्वीर की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह फोटो यूक्रेन की 2016 की है। इसको मौजूदा हालात से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ वायरल कर दिया गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग के बाद से ही भ्रामक वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं। इसी कड़ी में एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें दो बच्चों को फौजी दस्ते को अलविदा कहते हुए देखा जा सकता है। तस्वीर को यूक्रेन में चल रही जंग से जोड़ते हुए यूजर वायरल कर रहे हैं। जब विश्वास न्यूज़ ने इस तस्वीर की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह फोटो यूक्रेन की 2016 की है। इसको मौजूदा हालात से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ वायरल कर दिया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ‘दो छोटे यूक्रेनियाई बच्चे रूसियों से लड़ने के लिए सैनिकों को भेज रहे हैं। देखो उनकी पीठ पर क्या है।’

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल रिवर्स इमेज के ज़रिये वायरल तस्वीर को सर्च किया। सर्च में हमें यह फोटो यूक्रेन की एक वेबसाइट पर 23 मार्च 2016 को अपलोड हुए एक आर्टिकल में मिली। यहाँ तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘चिल्ड्रन ऑफ़ वॉर’: रक्षा मंत्रालय ने आतंकवाद विरोधी अभियान क्षेत्र से युवा यूक्रेनियों की दिलकश तस्वीरें प्रकाशित की हैं।” इसी आर्टिकल में हमें रक्षा मंत्रालय फेसबुक पेज का लिंक मिला, जहाँ से इस तस्वीर को शेयर किया गया है।

यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय के फेसबुक पेज पर भी हमें यही तस्वीर 22 मार्च 2016 को शेयर हुई मिली। यहाँ इस तस्वीर के साथ के साथ दिए गए कैप्शन के मुताबिक, ‘हमारे लिए प्यारे माता-पिता, प्यारे बच्चों, प्रियजनों, रिश्तेदारों; लेकिन किसी चीज के लिए प्यार की सभी धारणाएं एक शब्द “होमलैंड” (सिसरो) में संयुक्त हैं। एल्बम “चिल्ड्रन ऑफ़ वॉर” से अविश्वसनीय तस्वीरों के लिए धन्यवाद। ऑथर दिमित्री मुराव्स्की।

दिमित्री मुराव्स्की के फेसबुक पेज 22 मार्च 2016 को अपलोड हुई वायरल तस्वीर मिली।

यह बात साफ़ है, ये वायरल तस्वीर का इस वक़्त यूक्रेन में चल रही जंग से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन हमने इस पर ज़्यादा जानकारी हासिल करने के लिए यूक्रेन की फैक्ट चेकिंग टीम से ईमेल के ज़रिये संपर्क किया। वहां से जवाब आते ही खबर को अपडेट कर दिया जायेगा।

तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर को 25,143 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने वायरल तस्वीर की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह फोटो यूक्रेन की 2016 की है। इसको मौजूदा हालात से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ वायरल कर दिया गया है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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