Fact Check : नए ट्रैफिक नियम के नाम पर वायरल हो रहा है लखनऊ का 2013 का वीडियो
- By: Ashish Maharishi
- Published: Sep 10, 2019 at 03:50 PM
- Updated: Sep 10, 2019 at 05:50 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। एक सितंबर से देश में नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद से कई पुराने वीडियो की बाढ़ आ गई है। चालान के नाम पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें दो पुलिसवाले आपस में लड़ते हुए दिख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि चालान काटने के बाद सही बंटवारा नहीं होने से दो जवान आपस में भिड़ गए। विश्वास टीम की पड़ताल में पता चला कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है। ओरिजनल वीडियो 22 मई 2013 का है। उस दिन लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के बाहर दो जवान आपस में भिड़ गए थे। उसी घटना के वीडियो को अब चालान से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक पर भोमसा गोयल नाम के यूजर से दो पुलिसवालों की लड़ाई का वीडियो अपलोड करते हुए दावा किया चालान काटने के बाद हिसाब का सही बंटवारा ना होने पर रुझान आया। इस वीडियो को अब तक 64 हजार बार शेयर किया जा चुका है। कमेंट करने वालों की संख्या 2.3 हजार से ज्यादा है, जबकि इस वीडियो को 14 लाख बार देखा जा चुका है।
पड़ताल
विश्वास टीम ने सबसे पहले वायरल वीडियो को ध्यान से देखा। 41 सेकंड के वीडियो को देखने से एक बात तो साफ हो गई कि वीडियो यूपी के किसी जिले का है,क्योंकि पुलिसवाले वाले खड़ी हिंदी में बात कर रहे थे। ऐसी हिंदी खासतौर से यूपी में ही बोली जाती है।
इसके बाद हमने वीडियो को InVID टूल में अपलोड करके कई ग्रैब निकाले और गूगल रिवर्स इमेज में ओरिजनल वीडियो खोजने की कोशिश की। पहला वीडियो हमें एनडीटीवी की वेबसाइट पर एक खबर में मिला।
22 मई 2013 की खबर के मुताबिक, लखनऊ में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सिक्युरिटी में लगे दो पुलिस जवान आपस में भीड़ गए। खबर में बताया गया कि दोनों को अरेस्ट करके जेल भेजा गया।
खबर में हमें उस वक्त के यूपी के आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) राजकुमार विश्वकर्मा का बयान मिला। उन्होंने बताया कि आपस में उनका कुछ विवाद हुआ था। दोनों पीएसी के जवान थे। विश्वास टीम ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वह घटना बहुत पुरानी है। उस वक्त वे आईजी लॉ एंड ऑर्डर थे।
पड़ताल के दौरान हमें हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर एक खबर मिली। 22 मई 2013 को पब्लिश इस खबर से हमें पता चला कि घटना 22 मई की है। उस दिन लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के बाहर हेड कॉन्स्टेबल मुकुंद चंद्र यादव और कॉन्स्टेबल सुनील दीक्षित ने एक-दूसरे पर लाठियों से वार किया था। दोनों जवान बाराबंकी के 10वें पीएसी (प्रॉविंसियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी) बटालियन से जुड़े हुए थे। जिस वक्त यह घटना घटी थी, उस वक्त अखिलेश यादव इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एक कॉन्फ्रेंस अडेंट कर रहे थे।
वायरल वीडियो को लेकर लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी कहते हैं कि वीडियो काफी पुराना है। उस वक्त दो जवान आपस में भिड़ गए थे। उसी वीडियो को अब फैलाया जा रहा है।
इसके बाद विश्वास टीम ने लखनऊ स्थित Jagran.com के को-ऑर्डिनेटर धमेंद्र पांडेय से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि चालान के नाम पर वायरल वीडियो 2013 का है। यह वीडियो इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के बाहर का है। उस वक्त दो जवान आपस में भिड़ गए थे। उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे। यह घटना उनके एक कार्यक्रम के बाद घटी थी।
अंत में, हमने 2013 के वीडियो को चालान के नाम पर अब वायरल करने वाले फेसबुक यूजर भोमसा गोयल के अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता लगा कि भोमसा महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। इनके अकाउंट पर अधिकांश पोस्ट वीडियो के फॉर्मेट में है। ये वायरल कंटेंट को ज्यादा पोस्ट करते हैं।
निष्कर्ष : विश्वास टीम की पड़ताल में पता चला कि चालान काटने के हिसाब को लेकर पुलिसवाले के आपस में भिड़ जाने का वीडियो फर्जी है। 22 मई 2013 में दो पुलिसवाले आपस में भिड़ गए थे। ओरिजनल वीडियो उसी घटना का है। इसका चालान काटने से कोई संबंध नहीं है।
चालान के नाम पर अन्य पड़ताल
Fact Check: चालान की ‘कमाई’ को लेकर नहीं हुई पुलिसवालों के बीच मारपीट, पुराना वीडियो वायरल
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- Claim Review : चालान काटने के बाद हिसाब का सही बंटवारा ना होने पर रुझान आया
- Claimed By : फेसबुक यूजर भोमसा गोयल
- Fact Check : झूठ
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