विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। 13 गांवों के अवशेष मात्र होने का दावा गलत है। प्राकृतिक आपदा में कुछ गांवों से संपर्क कट गया था, जिसे फिर से बहाल कर लिया गया है। दावे संग वायरल हो रही संघ के कार्यकर्ताओं की तस्वीर भी पुरानी है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तराखंड के चमोली जिले में हालिया आपदा के बाद सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई दावे वायरल रहे हैं। ऐसा ही एक दावा ग्लेशियर टूटने के असर और इससे जुड़े राहत कार्यों को लेकर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद तपोवन इलाके के लगभग 13 गांवों के सिर्फ अवशेष बचे हैं। इस दावे के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं का राहत कार्यों में जुटे होने की तस्वीर भी शेयर की जा रही है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। 13 गांवों के अवशेष मात्र होने का दावा गलत है। प्राकृतिक आपदा में कुछ गांवों से संपर्क कट गया था, जिसे फिर से बहाल कर लिया गया है। वहीं, दावे के साथ वायरल की जा रही संघ कार्यकर्ताओं की तस्वीर 2013 आपदा के वक्त किए गए राहत कार्यों की है।
विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी ये वायरल दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। हमें यही दावा ट्विटर और फेसबुक पर भी वायरल मिला। त्रिवेन्द्र सिंह राठौड़ (निमाड़ वाले) नाम के ट्विटर यूजर ने संघ के गणवेश में कंधे पर बोरी उठाए कुछ लोगों की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है, ‘चमोली… तपोवन !! लगभग 13 गांवो के तो अवशेष ही बचे हैं… सैकड़ों स्त्री-पुरुष-बच्चे खुले में पड़े हैं… दिन जैसे तैसे कट जाता है,लेकिन रात में तापमान 1-2 डिग्री हो जाता है… उस पर जंगली भालुओं का डर !! पुल बह चुका है… सड़कों का नामोनिशां नहीं… आभार !! स्वयंसेवकों !’ इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
हमें यह तस्वीर फेसबुक पर भी मिली। Rahul Sharma नाम के फेसबुक यूजर ने एक पोस्ट में इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है कि उत्ताखंड में ग्लेशियर टूटने की त्रासदी के बाद लोगों की मदद करते RSS वॉलंटियर्स। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
आपको बता दें कि 7 फरवरी 2021 को उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से तबाही देखने को मिली। विश्वास न्यूज ने उत्तराखंड हादसे के संबंध में वायरल हो रहे दावे को सबसे पहले इंटरनेट पर सर्च किया। हमें 7 फरवरी 2021 को प्रकाशित बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के हवाले से बताया गया है कि ग्लेशियर टूटने से नदी में बाढ़ आई औऱ रैणी गांव के आसपास के 17 गांवों का संपर्क सड़क मार्ग से कट गया। इस रिपोर्ट में कहीं भी गांवों के अवशेष मात्र बचे होने की बात नहीं कही गई है।
इसी तरह 8 फरवरी 2021 को हमारे सहयोगी दैनिक जागरण की वेबसाइट पर भी हमें इस हादसे से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में लिखा है, ‘आपदा में सड़क पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हेलिकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है।’ यहां भी गांवों के संपर्क टूटने की ही बात कही जा रही है। इस रिपोर्ट में भी ऐसा कुछ नहीं मिला, जो इस दावे की पुष्टि करे कि 13 गांवों का अस्तित्व ही लगभग खत्म हो गया है।
हमें इंटरनेट पर पड़ताल के दौरान ऐसी कोई प्रामाणिक मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जो वायरल दावे की पुष्टि करती हो।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे के साथ शेयर की जा रही तस्वीर पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। हमें यह तस्वीर Kaushlesh Kumar Singh नाम के ब्लॉग पर 7 फरवरी 2014 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली। इसके कैप्शन में इसे उत्तराखंड में चल रहे राहत कार्य़ की तस्वीर बताया गया है।
इस जानकारी के आधार पर ऑनलाइन पड़ताल करने पर हमें यही तस्वीर samvada.org पर जुलाई 2013 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली। इसमें बताया गया है कि 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं ने राहत अभियान में मदद किया था।
हमारी अबतक की पड़ताल से ये साफ हो चुका था कि आरएसएस कार्यकर्ताओं की यह तस्वीर हालिया आपदा की नहीं, बल्कि करीब 8 साल पुरानी है।
विश्वास न्यूज ने इस संबंध में आगे की पड़ताल के लिए जोशीमठ (चमोली के जोशीमठ ब्लॉक में ही प्रभावित क्षेत्र हैं) उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि हालिया आपदा में 13 गांवों के अवशेष मात्र रहने का दावा गलत है। उपजिलाधिकारी के मुताबिक, गांवों से संपर्क टूटा था, जिसे काफी हद तक बहाल कर लिया गया है और प्रभावित जगहों पर राहत सामग्री शुरुआत से ही हेलिकॉप्टर इत्यादि सर्विसेज से पहुंचाई जा रही है।
हमने इस वायरल दावे को अपने सहयोगी दैनिक जागरण के चमोली ब्यूरो चीफ देविंदर रावत संग भी साझा किया। उन्होंने बताया कि वायरल पोस्ट के दावे झूठे हैं। गांवों के रास्ते प्रभावित हो गए थे। अब झूला ट्रॉली शुरू कर दी गई हैं। राहत सामग्री सेना और हेलिकॉप्टर की मदद से पहुंचाई जा रही है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर त्रिवेन्द्र सिंह राठौड़ (निमाड़ वाले) की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और यह प्रोफाइल मई 2018 में बनाई गई है। फैक्ट चेक किए जाने तक इस प्रोफाइल के 5300 फॉलोअर्स थे।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। 13 गांवों के अवशेष मात्र होने का दावा गलत है। प्राकृतिक आपदा में कुछ गांवों से संपर्क कट गया था, जिसे फिर से बहाल कर लिया गया है। दावे संग वायरल हो रही संघ के कार्यकर्ताओं की तस्वीर भी पुरानी है।
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