Fact Check : शव को कब्र से निकालकर घर में फेंकने की आठ साल पुरानी खबर अब वायरल

Fact Check : शव को कब्र से निकालकर घर में फेंकने की आठ साल पुरानी खबर अब वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्‍लेटफार्म पर अखबार की एक कटिंग वायरल हो रही है। खबर को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि राजस्‍थान के उदयपुर में कुछ लोग शव को कब्र से निकालघर में फेंक गए हैं। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इस अखबार की कटिंग को अभी का समझकर वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की विस्‍तार से जांच की। पड़ताल में पता चला कि आठ साल पहले की अखबार की कटिंग को अब वायरल करके भ्रम और झूठ फैलाने की कोशिश की जा रही है। यह सोशल मीडिया के अलावा वॉट्सऐप पर भी काफी वायरल है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर फिरदौस खातून ने 19 जनवरी 2024 को अखबार की एक कटिंग को शेयर करते हुए लिखा, “देवबंदी जहन्नुमी होते हैं सुन्नी बरैलवीयों का जन्नत में कोटा चलता है”

अखबार की खबर का शीर्षक है : गडे मुर्दे को कब्र से निकाल घर में फेंक गए।

पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई का पता लगाने के लिए सबसे पहले अखबार की वायरल कटिंग के शीर्षक को टाइप करके गूगल में सर्च किया। आठ साल पहले भास्‍कर डॉट कॉम पर पब्लिश खबर और वायरल कटिंग का कंटेंट एक ही है।

भास्‍कर डॉट कॉम की खबर में बताया गया, “जिंदगीभर पाकीजगी के धागे बुनने वाले शहर के प्रमुख मोली व्यवसायी और खांजीपीर निवासी 88 वर्षीय मुहम्मद यूसुफ ने जिंदगी में कभी नहीं सोचा होगा कि मौत एक दिन उनकी ऐसी बेकद्री करेगी। जिस समाज को उन्होंने ताउम्र प्रेम और धर्म की पाकीजगी भरे धागों में बांधने की कोशिश की, उसी समाज के कुछ लोग उनको कब्रिस्तान में केवल दो गज जमीन नहीं देंगे, बल्कि उनकी गड़ी हुई देह तक को बड़ी बेरहमी से निकालकर उनके घर में फेंक जाएंगे। महज इसलिए कि उन्हें समाज का एक तबका वहाबी या देवबंदी मानता था। समाज के लोगों का कहना है कि उदयपुर में रहने वाले 98 प्रतिशत से ज्यादा मुसलिम सुन्नी या बरेलवी हैं। मुहम्मद यूसुफ की देह मंगलवार को देर रात मंदसौर में उनके पैतृक गांव में सुपुर्दे खाक की गई, जिसे उन्होंने छह दशक पहले छोड़ दिया था।” पूरी खबर यहां पढ़ें।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच के अगले चरण दैनिक जागरण, उदयपुर के सुभाष शर्मा से संपर्क किया। उनके साथ वायरल कटिंग को शेयर किया। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया कि आठ साल पुरानी खबर को अब वायरल किया जा रहा है। हाल-फिलहाल में उदयपुर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

पड़ताल के बाद बारी थी आठ साल पुरानी खबर को अब वायरल करने वाले यूजर की जांच करने की। पता चला कि फिरदौस खातून को दस हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल कटिंग आठ साल पुरानी है। उस वक्‍त उदयपुर में घटी एक घटना की खबर को कुछ लोग अब वायरल करके भ्रम फैला रहे हैं।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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