वर्ष 2019 में देवरिया के एक गांव में वायरल पोस्ट वाली घटना हुई थी। हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अखबार की एक कटिंग वायरल हो रही है। इस खबर का शीर्षक है : मुस्लिमों की भीड़ ने आंबेडकर की मूर्ति तोड़ी, दलितों को पीटा। इस खबर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यूपी के देवरिया में यह घटना अभी हाल में ही हुई है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। हमें पता चला कि वर्ष 2019 में देवरिया के एक गांव में वायरल पोस्ट वाली घटना हुई थी। हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
फेसबुक यूजर सोनिया सिंह ने 13 जून को एक अखबार की कटिंग शेयर करते हुए दावा किया, “ये वो लोग हैं जो एक दलित के घर घुस गए और दलित बेटी के छेड़छाड़ की… और कॉलोनी में लगी बाबा साहब अम्बेडकर की मूर्ति को तोड़कर हरा झंडा लगा दिया… दरअसल ये लोग गलतफहमी में थे कि समाजवादी पार्टी यूपी में ज्यादा सीट जीत गयी तो दलितों के साथ कुछ भी कर सकते हैं.. लेकिन भूल गए बाबा की सरकार है बाबा की पुलिस इलाज कर रही है… घटना देवरिया की है!!”
वायरल पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट में इस्तेमाल की गई खबर की सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्तेमाल किया। कीवर्ड से सर्च करने पर हमें अमर उजाला डॉट कॉम पर एक पुरानी खबर मिली। इस खबर और वायरल खबर का कंटेंट एक ही था।
21 अप्रैल 2019 को पब्लिश खबर में बताया गया, “घर में घुसकर किशोरी से छेड़खानी करने के विरोध पर कुछ लोगों ने अनुसूचित जाति की बस्ती में घुसकर जमकर उत्पात मचाया। किशोरी और उसके घरवालों की पिटाई की। बस्ती में लगी आंबेडकर प्रतिमा तोड़ दी। पिटाई से करीब 20 लोग जख्मी हुए। घटना गौरीबाजार के महुअवां गांव की है। पीड़ितों ने थाने पहुंचकर हंगामा किया। केस दर्ज कराने और प्रतिमा की मरम्मत की मांग को लेकर गुस्से का इजहार किया।” पूरी खबर को यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।
गूगल सर्च के दौरान हमें जागरण डॉट कॉम पर भी संबंधित घटना से जुड़ी खबर मिली। इसे 21 अप्रैल 2019 को पब्लिश की गई। इसमें बताया गया, “देवरिया जनपद के गौरीबाजार थानाक्षेत्र के करजहां महुअवां गांव में अपनी करतूत से खाकी एक बार फिर सवालों के घेरे में है। घटना के तत्काल बाद यदि पुलिस सक्रिय हुई होती तो शायद इतनी बड़ी घटना नहीं होती। घटना के बाद दलित बस्ती की महिलाएं डरी, सहमी और बदहवास हैं। पूछने पर काफी मुश्किल से बात करने को तैयार होती हैं। घटना के बारे में बताते हुए महिलाएं फफक पड़ती हैं।”
पूरी खबर यहां पढ़ें।
विश्वास न्यूज पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण, देवरिया के प्रमुख महेंद्र त्रिपाठी से संपर्क किया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वायरल पोस्ट वाली घटना काफी पुरानी है। हाल-फिलहाल में ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
जांच के अंत में सोनिया सिंह नाम के अकाउंट की जांच की गई। हमारी पड़ताल में यह अकाउंट फेक साबित हुआ।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि 2019 में देवरिया में हुई एक घटना से जुड़ी खबर को कुछ लोग अभी का बताकर वायरल कर रहे हैं। हमारी जांच में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई।
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