Fact Check : अयोध्या से जुड़ी 2018 की घटना की खबर को अब किया जा रहा है वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। अयोध्‍या में राम मंदिर का निर्माण चालू है। 22 जनवरी 2024 को भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा होगी। लेकिन सोशल मीडिया पर राम मंदिर और अयोध्‍या के नाम पर कई प्रकार के फर्जी और भ्रामक पोस्‍ट वायरल हो रहे हैं। अब एक अखबार की कटिंग को वायरल करते हुए इसे हालिया घटना बताया जा रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि अयोध्‍या के चंद्रहरि मंदिर का महंत दुष्‍कर्म में अरेस्‍ट हो गया है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। पता चला कि दिसंबर 2018 की घटना से जुड़ी खबर को अब वायरल करके भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। हाल फिलहाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। इसलिए हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर विद्रोही अछूतानन्द ने अखबार की एक कटिंग को शेयर करते हुए लिखा, “पता नहीं कौन है ये बुढा। जिसने मंदिर को ही बनाया दुष्कर्म का अड्डा!”

खबर का शीर्ष है : अयोध्‍या के चंद्रहरि मंदिर का महंत कृष्णकांताचार्य दुष्‍कर्म में गिरफ्तार।

सोशल मीडिया पर दूसरे यूजर्स भी इस कटिंग को हालिया समझकर वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्यों ही लिखा गया है। इसके अकाइव वर्जन को यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल कटिंग की जांच के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्‍तेमाल किया। इस खबर को अमर उजाला अखबार की बताया गया। गूगल ओपन सर्च में कीवर्ड से सर्च करने पर यही खबर हमे अमर उजाला डॉट कॉम वेबसाइट पर मिली। एक जनवरी 2019 को इस खबर को पब्लिश किया गया था। इसका शीर्षक था कि अयोध्या के चंद्रहरि मंदिर के महंत पर दुष्कर्म का केस, गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है। खबर पढ़ने से यह स्‍पष्‍ट हुआ कि दिसंबर 2018 की घटना को अब वायरल किया जा रहा है।

सर्च के दौरान जागरण डॉट कॉम पर एक जनवरी 2019 को प्रकाशित खबर में बताया गया कि अयोध्‍या में आध्यात्मिक ज्ञान लेने आई एक महिला के साथ दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया। महिला ने लक्ष्मणघाट इलाके के एक प्रतिष्ठित मंदिर के महंत पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। पुलिस ने महिला की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपी महंत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।

इसके बाद हमने दैनिक जागरण के अयोध्या यूनिट के संपादकीय प्रभारी रमा शरण अवस्थी से संपर्क किया। उन्होंने इस पोस्ट को भ्रामक बताते हुए कहा, “यह काफी पुराना मामला है। हाल में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है।”

पड़ताल के अंत में अखबार की पुरानी कटिंग को अब वायरल करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर विद्रोही अछूतानन्द के सात सौ से ज्‍यादा फॉलोअर हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के अनुसार, यूजर दिल्‍ली में रहता है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। दिसंबर 2018 में हुई घटना की खबर को अब वायरल करके भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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