Fact Check : पैदा होते ही बच्‍ची ने नहीं बताया कोरोना का उपाचार, वायरल पोस्‍ट पूरी तरह झूठी है

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि जिस तस्‍वीर को अजमेर की बताकर वायरल किया जा रहा है, वह 19 मार्च 2020 की सिरोही के कालन्‍द्री की है। यह बच्‍चा मरा हुआ पैदा हुआ था। वायरल पोस्‍ट पूरी तरह फर्जी है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया में कोरोना वायरस के बचाव को लेकर एक पोस्‍ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि अजमेर के एक गांव में बच्‍ची ने जन्‍म लेते हुए कहा कि दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर हल्‍दी का लेप लगाने से कोरोना खत्‍म हो जाएगा। दावा ये भी है कि इतना कहने के बाद बच्‍ची की मौत हो गई।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। सच्‍चाई यह है कि सिरोही के कालन्‍द्री स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में एक अविकसित बच्‍चे का जन्‍म हुआ था। जो मरा हुआ ही पैदा हुआ था। ऐसे में इसके द्वारा कोरोना का इलाज बताया जाना हास्‍यास्पद है।

क्‍या हो रहा है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक पेज ‘Writer Santosh yadav fans‘ ने 1 अप्रैल को तीन तस्‍वीरों को पोस्‍ट करते हुए लिखा : ”आवश्यक सूचना:-अभी अभी जानकारी मिली है कि ग्राम नागेलाव वाया पीसांगन जिला अजमेर में एक बालिका का जन्म हॉस्पिटल में हुआ l बालिका ने जन्म लेते ही बोली कि भारत में जो कोरोना वायरस संक्रमण फैला हुआ है उसके बचाव के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर हल्दी का लेप (मेहंदी की तरह) लगाना है l इससे कोरोना का संक्रमण समाप्त हो जाएगा सभी नागरिक सकुशल रहेंगे l यह कहकर बालिका की उसी समय मृत्यु हो गई यह देखकर अस्पताल के डॉक्टर भी आश्चर्यचकित हो गए l अतः आपसे निवेदन है कि आप भी तत्काल इस तरह का लेप अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर लगाकर कोरोना वायरस संक्रमण से अपना एवंअपने परिवार का जीवन को बचाएं l यह फेक न्यूज़ नहीं है सत्य घटना है!”

इस पोस्‍ट को दूसरे यूजर्स भी लगातार वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीरों को ध्‍यान से देखा। इसमें हमें दो बातें ऐसी दिखीं, जो हमारी पड़ताल के लिए महत्‍वपूर्ण थीं। एक तस्‍वीर में हमें गुलाबी कपड़े पहनी हुईं एक महिला दिखीं। इनको देखकर यह अंदाजा लगाना आसान था कि तस्‍वीर राजस्‍थान की ही है। इसी तरह दूसरी तस्‍वीर में हमें ‘स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र कालन्‍द्री’ लिखा हुआ नजर आया। मतलब साफ था कि यह राजस्‍थान के किसी ऐसे गांव के स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र की तस्‍वीर है, जिसके नाम में कालन्‍द्री शब्‍द आता है।

पड़ताल के अगले चरण में जब हमने ‘कालन्‍द्री’ टाइप करके गूगल में सर्च किया तो हमें पता चला कि सिरोही में कालन्‍द्री नाम की एक जगह है। इसके बाद और सर्च करने पर हमारे सामने डॉ. सुमेर सिंह भाटी का नाम आया, जिनके क्लिनिक में इस बच्चे का जन्म हुआ था। डॉ. सुमेर सिंह भाटी से संपर्क करने के लिए हमने उनका मोबाइल नंबर सर्च करना शुरू किया।

आखिरकार विश्‍वास न्‍यूज ने कालन्‍द्री के वरिष्‍ठ चिकित्‍सा अधिकारी डॉ. सुमेर सिंह भाटी से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया, ”वायरल हो रही तस्‍वीरें 19 मार्च 2020 की हैं। उस वक्‍त हमारे यहां एक एक नॉर्मल डिलीवरी में मरा हुआ बच्‍चा पैदा हुआ था। यह वही बच्‍चा था, जिसकी तस्‍वीर फर्जी दावे के साथ वायरल हो रही हैं।”

उन्‍होंने आगे बताया कि राजस्‍थान के जालोर और सिरोही सबसे पिछड़े इलाके हैं। यहां अज्ञानता की वजह से गर्भवती महिलाएं हरी सब्जियां और सरकारी अस्‍पतालों से मिलने वालीं दवाइयां न के बराबर खाती हैं। फॉलिक एसिड की कमी की वजह से ऐसे बच्‍चों का जन्‍म होता है।

डॉ. सुमेर सिंह भाटी ने बताया कि वायरल पोस्‍ट में लिखी हर बात झूठ है। न तो इस बच्‍चे का जन्‍म अजमेर में हुआ और ना ही वह जिंदा पैदा हुआ था। डॉ. भाटी ने बताया कि दाएं पैर के अंगूठे पर हल्‍दी लगाने वाली बात तो सबसे ही ज्‍यादा हास्‍यास्पद है। यह किसी के दिमाग की उपज है। इसमें कोई सच्‍चाई नहीं है।

अब हमें यह जानना था कि क्‍या हल्‍दी कोरोना वायरस से बचा सकती है। इसका जवाब भी हमें न में मिला। दैनिक जागरण की एक खबर के अनुसार, ”हल्‍दी का सेवन भी इस वायरस के इलाज में कारगर नहीं है। हालांकि, हल्‍दी में कई तरह के प्राकृतिक गुण होते हैं। विश्‍‍‍व स्‍वास्‍‍‍‍थ्‍य संगठन ने साफ किया है अब तक ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है जिसमें इसकी पुष्टि की जा सके।”

पूरी खबर यहां पढ़ें

अंत में हमने फेसबुक पेज Writer Santosh yadav fans की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि इस पेज को 22 फरवरी 2017 को बनाया गया था। पेज को 300 से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि जिस तस्‍वीर को अजमेर की बताकर वायरल किया जा रहा है, वह 19 मार्च 2020 की सिरोही के कालन्‍द्री की है। यह बच्‍चा मरा हुआ पैदा हुआ था। वायरल पोस्‍ट पूरी तरह फर्जी है।

False
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट