FACT CHECK: रिपब्लिक टीवी के पैरोडी अकाउंट से किया गया गलत ट्वीट फर्जी क्लेम के साथ हो रहा है वायरल
- By: Pallavi Mishra
- Published: Jun 11, 2019 at 07:11 PM
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। आज कल सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें न्यूज़ चैनल रिपब्लिक टीवी के नाम से एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट दिख रहा है जिसमें अंग्रेजी में टेक्स्ट लिखा है जिसका अनुवाद, “नाबालिग बलात्कारी भी इंसान है, क्या उनके मानवाधिकार नहीं है, ये हिंदूवादी सरकार इस अध्यादेश से नाबालिग बलात्कारियों को फांसी देने के बहाने ज्यादा से ज्यादा संख्या में मुस्लिमों को फांसी पे लटकाना चाहती है, मुस्लिम अब भारत में सुरक्षित नहीं है: राणा अय्यूब।” यह बयान राणा अयूब का बताया गया है। राणा अयूब एक एक्टिविस्ट और पत्रकार हैं। हमारी पड़ताल में पाया कि यह पोस्ट फर्जी है। यह ट्वीट रिपब्लिक टीवी द्वारा नहीं, बल्कि इसी चैनल के पैराडी ट्विटर अकाउंट द्वारा किया गया था। बाद में इस अकाउंट को डिलीट कर दिया गया।
CLAIM
वायरल पोस्ट में न्यूज़ चैनल रिपब्लिक टीवी के के नाम से एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट दिख रहा है जिसमें अंग्रेजी में टेक्स्ट लिखा लिखा है “Minor child rapists are also human, do they have no human rights. This Hindutva Government is bringing ordinance for death to child rapists just to hang muslims in larger numbers. Muslims aren’t safe in India anymore.”जिसका हिंदी अनुवाद होता है। “नाबालिग बलात्कारी भी इंसान है, क्या उनके मानवाधिकार नहीं है, ये हिंदूवादी सरकार इस अध्यादेश से नाबालिग बलात्कारियों को फांसी देने के बहाने ज्यादा से ज्यादा संख्या में मुस्लिमों को फांसी पे लटकाना चाहती है, मुस्लिम अब भारत में सुरक्षित नहीं है: राणा अयूब।”इस पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन लिखा है “सुश्री राणा अयूब…….छोटी बच्चियों का बलात्कार करने वाला प्रत्येक व्यक्ति जघन्य। अपराधी होता है…चाहे वो किसी भी धर्म का। क्यों न हो…ऐसे प्रत्येक अपराधी को फांसी की सज़ा का क़ानून बनाया गया है…….किन्तु आपकी ट्वीट स्वयं आपका उपहास उड़ा रही। है इसमें मानो आप ख़ुद स्वीकार कर रही हैं कि अधिकांश बलात्कारी मुसलमान होते हैं……..!!!!!!! अरे कम से कम कुछ सोच के लिखा कीजिये???”
FACT CHECK
हमने पड़ताल की तो पाया कि यह बयान सोशल मीडिया पर साल 2018 से चल रहा है। फेसबुक यूज़र्स द्वारा इस बयान को अब तक हजारों बार शेयर किया गया है। हमने इस ट्विटर हैंडल को ढूंढा तो हमें यह ट्विटर हैंडल नहीं मिला। यह ट्विटर हैंडल है @republicTv जबकि असली रिपब्लिक टीवी का ट्विटर हैंडल @republic है जिसपे नीले टिक का निशान लगा है। नीले टिक के निशान के होने का मतलब है कि यह अकाउंट वेरिफाइड है। वायरल ट्विटर हैंडल के आगे नीला टिक नहीं लगा था जिससे साफ़ है कि वो नकली हैंडल है।
हमने राणा अयूब के ट्विटर और फेसबुक अकाउंट को भी छाना पर हमें ऐसा कोई ट्वीट नहीं मिला। हमने रिपब्लिक टीवी के असली ट्विटर हैंडल की भी जांच की पर हमें कहीं भी ऐसा कोई ट्वीट नहीं मिला।
राणा ने खुद April 22, 2018 को अपने एक फेसबुक पोस्ट में इस वायरल पोस्ट को लेकर पुष्टि भी की थी। उस पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “The enormity of the fake news problem in India. This tweet has gone viral on whats app/ facebook/ twitter. My phone is inundated with messages from well meaning folks asking me to be ashamed for giving this statement. Few have realised that it is a fake twitter profile and it is being shared on almost every third facebook page/ whats app group. This is a virtual lynch mob !” जिसका हिंदी अनुवाद होता है “यह भारत में फर्जी समाचार समस्या की व्यापकता है। यह ट्वीट वॉट्सऐप / फेसबुक / ट्विटर पर वायरल हो गया है। मेरा फोन लोगों के संदेशों से भरा हुआ है, जो मुझे इस बात को कहने के लिए शर्मिंदा होने को कह रहे हैं। यह एक नकली ट्विटर प्रोफाइल है और इसे लगभग हर तीसरे फेसबुक पेज / वॉट्सऐप ग्रुप पर शेयर किया जा रहा है। यह फर्जी पोस्ट बहुत दुखदायी है।”
राणा अय्यूब ने हाल में इस खबर के फिर से वायरल होने पर 10 जून को ट्वीट करके दोबारा से इस मामले में सफाई दी और कहा कि यह खबर बेबुनियाद है। यह ट्वीट आप नीचे देख सकते हैं।
इस पोस्ट को Anil Kumar Srivastava नाम के एक फेसबुक यूजर ने पोस्ट किया था। इनके कुल 2,902 फेसबुक फ्रेंड्स हैं।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया की यह पोस्ट फर्जी है। यह ट्वीट रिपब्लिक टीवी द्वारा नहीं, बल्कि इसी चैनल के पैराडी ट्विटर अकाउंट द्वारा किया गया था। बाद में इस अकाउंट को डिलीट कर दिया गया। राणा ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में इस फर्जी वायरल पोस्ट को लेकर पुष्टि भी की थी।
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- Claim Review : पत्रकार और एक्टिविस्ट राना अय्यूब ने की रेपिस्ट्स को सजा ना देने की पहरेदारी
- Claimed By : Anil Kumar Srivastava
- Fact Check : झूठ