Fact Check : फरीदाबाद के अटाली के नाम पर वायरल हुआ पुराना वीडियो, 4 साल पहले हुआ था बवाल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि कुछ मुसलमानों ने फरीदाबाद के अटाली गांव में मंदिर में कीर्तन कर रहीं महिलाओं पर पथराव किया।

विश्‍वास टीम की पडताल में पता चला कि वायरल वीडियो 2015 से सोशल मीडिया और Youtube पर मौजूद है। अटाली गांव में इनदिनों तनाव की कोई घटना नहीं हुई है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक यूजर आर.के. साहू ने एक पुराने वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ”कल शाम को अटाली गांव फरीदाबाद में शांतिप्रिय मुस्लिम लोगो द्वारा मंदिर में कीर्तन कर रही महिलाओ पर पथराव। एक जागरूक महिला ने वीडियो बनाया जो की पूरे हिंदुस्तान में फेल चूका है। किसी न्यूज़ चॅनेल पे ये नहीं दिखाया जाएगा।”

इस वीडियो को अलग-अलग यूजर्स फेसबुक पर अपलोड कर रहे हैं। इतना ही नहीं, यह वीडियो यूट्यूब और वॉट्सऐप पर भी वायरल हो रहा है।

पड़ताल

विश्‍वास टीम ने सबसे पहले गूगल में ‘अटाली में पथराव’ टाइप करके सर्च किया। हमें कई खबरें और वीडियो मिले। कुछ इसी साल अपलोड किए गए थे, तो कुछ पुराने थे।

हमें सबसे पुराना लिंक दैनिक जागरण की वेबसाइट पर मिला। इस खबर की हेडिंग थी : अटाली में कीर्तन पर पथराव के बाद तनाव

यह खबर 1 जुलाई 2015 को अपलोड की गई थी। इस पुरानी खबर के अनुसार, गांव अटाली में मुश्किल से शांत हुई सांप्रदायिक तनाव की आग एक बार फिर सुलग उठी है। बुधवार दोपहर बाद कीर्तन कर रहीं गांव की महिलाओं पर असामाजिक तत्व ने पत्थर फेंका। सूचना गांव के पुरुषों तक पहुंचने के साथ ही प्रभावित पक्ष के लोगों ने संप्रदाय विशेष के एक नंबरदार के घर पर पथराव कर तोड़फोड़ की। इसके बाद दोनों पक्षों के लोग पत्थर लेकर आमने-सामने डट गए।

2015 की इस खबर को खबर को पूरी आप यहां पढ़ सकते हैं।

इसके बाद हमने अटाली विवाद को समझने के लिए फिर से गूगल की मदद ली। सभी प्रमुख अखबारों, पत्रिकाओं और न्‍यूज चैनलों की खबरों के आधार पर हमें पता चला कि 4 साल पहले अटाली में एक धार्मिक स्‍थान के निर्माण को लेकर दो समुदाय आपस में भिड़ गए थे। स्थिति यहां तक बिगड़ी गई थी कि एक समुदाय के लोगों को पुलिस थाने में कई दिन तक शरण लेनी पड़ी। उस वक्‍त इस घटना पर खूब राजनीति भी हुई थी। नीचे आप आउटलुक की रिपोर्ट को पढ़ सकते हैं।

इसके बाद हमने वायरल हो रहे वीडियो की सच्‍चाई जानने के लिए InVID टूल की मदद ली। कई कीफ्रेम्‍स की मदद से हमें सबसे पुराना वीडियो हमें 3 जुलाई 2015 का मिला। इसे Madday Goswami नाम के यूटयूब अकाउंट पर अपलोड किया गया था। इससे यह पता चला कि जिस वीडियो को अभी का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह कम कम 4 साल पुराना है। इस वीडियो का वर्तमान से कोई संबंध नहीं है। इस वीडियो की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई।

इसके बाद हमने वर्तमान स्थिति जानने के लिए फरीदाबाद में बल्लभगढ़ पुलिस स्‍टेशन से संपर्क किया। वहां हमारी बात इंस्‍पेक्‍टर राजीव कुमार से हुई। उन्‍होंने बताया कि वायरल वीडियो उनके यहां का नहीं है। ऐसी कोई घटना हमारे यहां नहीं हुई है। हमारे यहां माहौल शांतिपूर्ण है।

अंत में हमने पुराने वीडियो को अटाली के नाम पर वायरल करने वाले आरके साहू के फेसबुक अकाउंट की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता लगा कि यह अकाउंट मार्च 2012 को बनाया गया था। दिल्‍ली के रहने वाले आरके साहू एक खास पार्टी से जुड़े हुए हैं।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की जांच में पता चला कि वायरल हो रहा वीडियो 4 साल पुराना है। अभी ऐसी कोई घटना फरीदाबाद के अटाली में नहीं हुई है।

पूरा सच जानें…

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews।com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

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Symbols that define nature of fake news
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