Fact Check : फर्रुखाबाद के शिवलिंग की पुरानी तस्‍वीर अब अयोध्‍या के नाम पर वायरल, पोस्‍ट फर्जी है

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि फर्रुखाबाद की पुरानी तस्वीर को कुछ लोग जानबूझकर अयोध्‍या के नाम पर वायरल कर रहे हैं। वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर एक शिवलिंग की पुरानी तस्‍वीर को कुछ लोग वायरल करते हुए यह दावा कर रहे हैं कि यह शिवलिंग अयोध्‍या में मिला है। विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि वायरल पोस्‍ट का दावा फर्जी है। फरुर्खाबाद में 2016 में एक मंदिर में खुदाई के दौरान वायरल पोस्‍ट वाले शिवलिंग को जमीन से निकाला गया था। इसी शिवलिंग की तस्‍वीर अब फर्जी दावों के साथ वायरल हो रही है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर ‘शंकर के भगत’ ने 23 मई को एक तस्‍वीर को अपलोड करते हुए दावा किया : “भगवान श्रीराम जिस शिवलिंग की पूजा करते थे वो शिवलिंग मिला है अयोध्या में की जाने वाली खुदाई में 👇 #श्रीरामऔऱशिवभक्तों 🙏 जयकारे में कमी न आने पाये 🙌 🚩 #जयजयश्रीराम 🙏 #हरहरमहादेव 🚩”

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले अयोध्‍या के नाम पर वायरल हो रही शिवलिंग की तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। हमें अमर उजाला की वेबसाइट पर एक खबर मिली। इसमें इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया था। 27 जुलाई 2016 को पब्लिश खबर में बताया गया कि फरुर्खाबाद के मठिया देवी मंदिर की खुदाई के दौरान शिवलिंग का एक बड़ा हिस्‍सा जमीन के अंदर से निकला था। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि अयोध्‍या में रामजन्‍मभूमि परिसर में समतलीकरण का कार्य चल रहा है। इस दौरान बड़ी मात्रा में प्राचीन मंदिर के अवशेष सहित शिवलिंग भी मिले हैं। दैनिक जागरण अखबार के 21 मई के अयोध्‍या संस्‍करण में प्रकाशित एक खबर में इस बात की पुष्टि की गई है।

अयोध्‍या में कई प्रतीक चिह्न मिले हैं। इसमें कलश से लेकर शिवलिंग तक शामिल हैं, लेकिन वायरल फोटो का अयोध्‍या से संबंध नहीं है।

पड़ताल के अगले चरण में हमने दैनिक जागरण के अयोध्‍या के वरिष्‍ठ पत्रकार रमाशरण अवस्‍थी से संपर्क किया। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को बताया कि वायरल पोस्‍ट फेक है। तस्‍वीर अयोध्‍या की नहीं है।

अंत में हमने फेसबुक पेज ‘शंकर के भगत’ की जांच की। हमें पता चला कि इस पेज को 6 लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इसे 16 सितंबर 2015 को बनाया गया था। इसे सुमित शर्मा नाम एक शख्‍स पठानकोट से चलाता है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि फर्रुखाबाद की पुरानी तस्वीर को कुछ लोग जानबूझकर अयोध्‍या के नाम पर वायरल कर रहे हैं। वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई।

False
Symbols that define nature of fake news
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