Fact Check: अहमदाबाद की मूर्ति विसर्जन की अच्छी परंपरा के दुष्प्रचार का दु:साहस!

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर आज कल एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें फुटपाथ पर रखी बहुत-सी मूर्तियों को देखा जा सकता है। पोस्ट में क्लेम किया गया है कि साबरमती नदी में विसर्जन की अनुमति न मिलने के कारण लोगों ने गणपति की मूर्तियों को फुटपाथ पर ही छोड़ दिया। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये मूर्तियां गणपति की नहीं, बल्कि दशामा देवी की हैं जिन्हें अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे पर बने फुटपाथ पर स्वच्छ साबरमती कैम्पेन के तहत रखा गया था, ताकि म्युनिसिपैलिटी इन मूर्तियों को विसर्जन के लिए बने निर्धारित कुंडों (टैंकों) में विसर्जित कर सके।

CLAIM

वायरल वीडियो में फुटपाथ पर रखी बहुत-सी मूर्तियों को देखा जा सकता है। पोस्ट में क्लेम किया गया है “क्या आप जानते हो गणपति बप्पा का विसर्जन के बाद क्या होता है। यह अहमदाबाद का साबरमती रिवर फ्रंट है। गणपति विसर्जन की अनुमति नहीं। इसलिए लोगों ने उन्हें फुटपाथ पर छोड़ दिया। भगवान के लिए इतना! “

FACT CHECK

इस वीडियो की पड़ताल के लिए हमने इस वीडियो को Invid टूल पर डाला और फिर इस वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले। इन फोटोज को देखने पर नज़र आता है कि वीडियो में दिख रही मूर्तियां गणपति की नहीं, बल्कि देवी दुर्गा की हैं।

हमने इसके बाद गूगल पर “devi idols at footpath” कीवर्ड्स को सर्च किया तो हमें अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के कमिश्नर विजय नेहर का एक ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने वायरल वीडियो जैसी ही तस्वीरें शेयर करीं थीं। इस ट्वीट को उन्होंने 11 अगस्त को शेयर किया था और लिखा था “आज # अहमदाबाद में कुछ अद्भुत हो रहा है। साधारण नागरिकों ने # साबरमती ​​नदी को साफ रखने का फैसला किया है। दशामा की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के बजाय, उन्होंने आदरपूर्वक उन्हें किनारे पर छोड़ दिया !! अविश्वसनीय परिवर्तन 🙏”

ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के कमिश्नर विजय नेहर से बात की जिन्होंने हमें बताया “साबरमती स्वच्छता और जल प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए दशामा उत्सव के दौरान उन्होंने लोगों से अपील की थी कि वो मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने की बजाये किनारे पर ही छोड़ दें, ताकि उन्हें निर्धारित कुंडों (टैंकों) में विसर्जित किया जा सके। इसी अपील के बाद लोगों ने श्रद्धापूर्ण भाव से देवी की मूर्तियों को फुटपाथ पर छोड़ दिया था जिन्हे बाद में पूरे श्रद्धाभाव से निर्धारित टैंकों में विसर्जित कर दिया गया था। इन्ही मूर्तियों के वीडियो को गलत सन्दर्भ में वायरल किया जा रहा है।”

गुजरात में मनाया जाने वाला दशामा उत्सव गणेश चतुर्थी के जैसा ही होता है। लोग देवी दशम की मूर्ति की पूजा करते हैं और 10 दिनों तक विशेष पूजा करते हैं और अंतिम दिन लोग मूर्तियों को जलस्रोतों में विसर्जित करते हैं।

इस पोस्ट को Dr Vijay Sharma नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया था। इनके 52,174 फेसबुक फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये मूर्तियां गणपति की नहीं, बल्कि दशामा देवी की हैं जिन्हें अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे पर बने फुटपाथ पर स्वच्छ साबरमती कैम्पेन के तहत और एक अच्छी परंपरा को स्थापित करने के लिए रखा गया था, ताकि म्युनिसिपैलिटी इन मूर्तियों को विसर्जन के लिए बने निर्धारित कुंडों (टैंकों) में विसर्जित कर सके।

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