Fact Check: 2015 में पंजाब में हुए पुलिस एक्शन की तस्वीर को किसान आंदोलन से जोड़कर किया जा रहा है वायरल

Vishvas News की जांच में दावा भ्रामक निकला। यह तस्वीर 2015 पटियाला की है। इसका चंडीगढ़ में हाल में पुलिस और किसानों के बीच हुए संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है।

Fact Check: 2015 में पंजाब में हुए पुलिस एक्शन की तस्वीर को किसान आंदोलन से जोड़कर किया जा रहा है वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों को एक बूढ़ी औरत को जबरन ले जाते हुए देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर हाल में चंडीगढ़ में पुलिसकर्मियों और किसानों के बीच हुई झड़प की है। Vishvas News की जांच में दावा भ्रामक निकला। यह तस्वीर 2015 पटियाला की है। 

क्‍या हो रहा है वायरल

ट्विटर पर ‘Navneet’ नाम के यूजर ने इस पोस्ट को शेयर किया और साथ में लिखा “Shameful and disgraceful acts of Chd police. I’m appalled! I didn’t expect this from Chd police. @DgpChdPolice  #WhyChandigarhPolice_AntiFarmer #FarmersProtest”


पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

हमने इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। हमें hindustantimes.com/पर 7 अगस्त 2015 को अपलोडेड एक खबर में यह तस्वीर मिली। यहां दी गयी जानकारी के अनुसार, “पटियाला के पास हरिओआ गांव में गुरुवार को पुलिस की लाठीचार्ज में 12 किसान और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। गांव में पंचायत की जमीन पर कब्जा करने के जिला प्रशासन के कदम का किसान विरोध कर रहे थे।”


कुछ इसी तरह की जानकारी के साथ हमें tribuneindia.com/की वेबसाइट पर भी 7 अगस्त 2015 को अपलोडेड मिली। 

इस विषय में ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने पंजाबी जागरण के चंडीगढ़ संवाददाता गुरतेज सिंह से संपर्क साधा। उन्होंने हमें बताया, “यह तस्वीर हाल की नहीं, बल्कि 2015 की है। हालांकि, यह बात सही है कि 26 जून को प्रदर्शनकारी किसान चंडीगढ़ में पुलिस से भिड़ गए थे। किसान राजभवन में एक ज्ञापन देने जा रहे थे और जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने बैरिकेट्स तोड़ दिए। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था।”
26 जून को प्रकाशित दैनिक जागरण की खबर की हेडलाइन थी, “मोहाली व पंचकूला में किसानों व पुलिस के बीच टकराव, बैरिकेट्स तोड़ चंडीगढ़ पहुंचे पंजाब के किसान, अफसर खुद पहुंचे ज्ञापन लेने।” पूरी खबर यहां पढ़ी जा सकती है। 

वायरल दावे को साझा करने वाले ट्विटर यूजर ‘@NavJammu’ के अकाउंट की सोशल स्कैनिंग से पता चला कि प्रोफ़ाइल के 4044  फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: Vishvas News की जांच में दावा भ्रामक निकला। यह तस्वीर 2015 पटियाला की है। इसका चंडीगढ़ में हाल में पुलिस और किसानों के बीच हुए संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है।

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