Fact Check : चार साल पहले की घटना को सांप्रदायिक एंगल के दावे के साथ किया जा रहा है वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर एक निर्वस्त्र जोड़े की फोटो वायरल हो रही है। इस तस्‍वीर के बारे में दावा किया जा रहा है कि एक ईसाई को उसकी पत्‍नी के साथ निर्वस्‍त्र करके मार्च करने के लिए मजबूर किया गया। घटना यूपी की है।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में दावा फर्जी साबित हुआ। तस्‍वीर में दिख रहा जोड़ा ईसाई नहीं था। घटना अभी की नहीं, 7 अक्‍टूबर 2015 की यूपी के ग्रेटर नोएडा के दनकौर पुलिस स्‍टेशन की है। घटना की तस्‍वीरों को अब गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यूजर्स सांप्रदायिक एंगल के साथ पुरानी तस्‍वीर को वायरल कर रहे हैं।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक पर मौजूद पेज Good Morning God ने 15 नवंबर को एक पोस्‍ट डालते हुए दावा किया, “Christian Pastor and his wife being humiliated by Indians in Utter Pradesh- India, for preaching the Gospel, they were made naked and march around town as punishment.”

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज और Yandex में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। वायरल तस्‍वीर हमें कई वेबसाइट पर मिली। एक ऐसी ही फोटो हमें इंडिया टुडे की वेबसाइट पर प्रकाशित स्‍टोरी में मिली। इससे हमें पता चला कि घटना ग्रेटर नोएडा के दनकौर पुलिस स्‍टेशन की है। वहां सुनील गौतम नाम का एक शख्‍स पुलिस स्‍टेशन में एक एफआईआर दर्ज करवाना चाहता था। लेकिन कई चक्‍कर काटने के बाद भी जब उसकी शिकायत नहीं लिखी गई तो वह पूरे परिवार के साथ निर्वस्‍त्र हो गया।

इसके बाद हम गूगल सर्च में गए और वहां ‘दनकौर में दलित निर्वस्‍त्र’ टाइप करके सर्च किया। हमें 9 अक्‍टूबर 2015 की एक खबर मिली। इसमें बताया गया, “लूट के मामले में पुलिस कार्रवाई को लेकर दलित परिवार बुधवार को दनकौर में निर्वस्त्र हो गया था। पीड़ित परिवार ने पुलिस पर लूट का मामला दर्ज व आरोपियों की गिरफ्तारी न करने का आरोप लगाया था। कस्बे में हुए हाइवोल्टेज ड्रामे में पुलिस ने दलित परिवार पर पिस्टल लूटने व जानलेवा हमला करने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज की थी। कस्बे के लोगों ने भी दलित परिवार पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने तीन महिलाओं समेत परिवार के पांच लोगों को जेल भेज दिया है।” पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अगले चरण में हमें Youtube पर एक वीडियो मिला। यह वीडियो इंडिया टुडे के यूटयूब चैनल पर 9 अक्‍टूबर 2015 को अपलोड किया गया था। वीडियो दनकौर वाली ही घटना का था। इस खबर में बताया गया कि 7 अक्‍टूबर को दलितों ने दनकौर पुलिस स्‍टेशन के सामने नग्‍न प्रदर्शन किया था। इसके बाद इन्‍हें अरेस्‍ट करके जेल भेजा गया था।

वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए हमने दैनिक जागरण के ग्रेटर नोएडा के क्राइम रिपोर्टर प्रवीण विक्रम सिंह से संपर्क किया। उन्‍होंने हमें बताया कि वायरल पोस्‍ट में जैसा दावा किया जा रहा है, वैसा नहीं था। घटना अक्‍टूबर 2015 की। इस घटना का एक राहगीर ने वीडियो बना लिया था। इन लोगों ने अपने कपड़े खुद ही फाड़े थे। बाद में आरोप पुलिसवालों पर लगा दिया था। जांच में यह साबित भी हो चुका था।

पूरे मामले को लेकर दनकौर पुलिस स्‍टेशन के प्रभारी अखिलेश प्रधान का कहना है कि घटना पुरानी है। तस्‍वीर में दिख रहे लोग ईसाई नहीं थे। यह दावा फर्जी है।

अंत में हमने फेसबुक पेज Good Morning God की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि इस पेज से एक खास धर्म से जुड़ी पोस्‍ट ही अपलोड की जाती है। इस पेज को 300 से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। पेज को 31 अक्‍टूबर 2019 को बनाया गया था।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ईसाई दंपती के निर्वस्‍त्र होने का दावा करने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। यह पोस्‍ट पहले भी कई बार वायरल हो चुकी है। 7 अक्‍टूबर 2015 को ग्रेटर नोएडा के दनकौर पुलिस स्‍टेशन के सामने एक परिवार ने अपने कपड़े उतार कर प्रदर्शन किया था। तस्‍वीर उसी दौरान की है। अब इसे ईसाई दंपती के नाम पर वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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