नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर आजकल बच्चा चोर गिरोह को लेकर मानो अफवाहों की बाढ़-सी आ गई है। आए दिन ऐसी अफवाहों को लेकर नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। इसी तरह सोशल मीडिया के फेसबुक प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में कुछ तस्वीरें दी गई हैं जिसमें कुछ बच्चों को कार की डिग्गी में बैठा देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि जालंधर बाइपास में एक आदमी 4 बच्चों को डिग्गी में डालकर ले जा रहा था, जिसको पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
विश्वास टीम की पड़ताल में यह दावा फर्जी साबित हुआ है। असल में यह मामला जलंधर बाइपास का नहीं, बल्कि लाडवा-पिपली मार्ग कुरुक्षेत्र का है। अस्थियां विसर्जित कर एक परिवार हरिद्वार से लौट रहा था। कार में कम जगह होने के कारण 3 बच्चों को डिग्गी में बिठाया गया था। गाडी में 2 आदमी, 3 औरतें और 5 बच्चे सवार थे।
सोशल मीडिया के फेसबुक प्लेटफॉर्म पर “ਸ਼ਾਨ ੲੇ ਵਿਰਾਸਤ” नाम का पेज एक पोस्ट शेयर करता है। इस पोस्ट में कुछ तस्वीरें दी गई हैं जिसमें कुछ बच्चों को कार की डिग्गी में बैठा देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन पंजाबी भाषा में लिखा गया है: ਜਲੰਧਰ ਬਾਈਪਾਸ ਵਿਖੇ ਅੱਜ ਇੱਕ ਬੰਦਾ 4 ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਡਿੱਗੀ ਵਿੱਚ ਪਾ ਲੈ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ਜਿਸਨੂੰ ਫੜ ਪੁਲਸ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ
डिस्क्रिप्शन का हिंदी अनुवाद होता है: जालंधर बाइपास में आज एक आदमी 4 बच्चों को कार की डिग्गी में डालकर ले जा रहा था, जिसको पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
इस पोस्ट को देखते ही विश्वास टीम ने इसकी पड़ताल करने का फैसला किया। पड़ताल शुरू करने के लिए हमने पहले इस पोस्ट में यूज़र द्वारा किए गए कमेंट्स को पढ़ने का फैसला किया। एक यूज़र ने कमेंट में एक न्यूज़ की कटिंग डाल रखी थी जिसकी हेडलाइन थी- गलतफहमी: पिता की अस्थियां बहा हरिद्वार से लौट रहा था परिवार, डिग्गी में बच्चों को देख लोगों ने चोर समझ पकड़ा, डेढ़ घंटे बाद छोड़ा
इस खबर की क्लिप में वायरल तस्वीर का ही इस्तेमाल किया गया था।
इसके बाद हमने इन तस्वीरों को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। सर्च के नतीजों से यह साफ़ हो गया कि पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है। हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर एक खबर मिली जिसकी हेडलाइन थी: दंपती को थाने जाकर साबित करना पड़ा कि डिक्की में बैठे बच्चे उनके ही हैं, जानेंं क्या है मामला…
खबर के मुताबिक, जिला हिसार के गांव सहलपुर के सुरेंद्र कुमार व सुनील मंगलवार को हरिद्वार से अपने किसी परिजन का पिंडदान कराकर परिवार सहित वापस गांव जा रहे थे। उन्होंने बच्चों को कार की डिक्की में बैठा रखा था। डिक्की का लॉक नहीं लगा हुआ था जिस कारण लोगों ने बच्चों को डिग्गी में बैठा देखा और इन्हें रोक कर पकड़ लिया।
पूरी खबर को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
इसी मामले को लेकर हमें 14 अगस्त को छपी कुरुक्षेत्र के संस्करण में एक खबर भी मिली। इस खबर में इसी घटना के बारे में बताया गया था। इस खबर की हेडलाइन थी: अपने ही बच्चों को थाने जाकर अपना साबित करना पड़ा
अब हमने इस खबर के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए कुरुक्षेत्र के पुलिस प्रवक्ता रोशन लाल से बात की, जिन्होंने हमें बताया, “इस मामले में बच्चा चोरी जैसी कोई बात नहीं है, यह बच्चे गाड़ी चालक के परिवार के हैं। गाड़ी में जगह कम होने के कारण बच्चों को डिग्गी में बिठाया गया था। यह परिवार अपने पिता की अस्थियां विसर्जित कर हरिद्वार से आ रहा था।”
अब हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले पेज “ਸ਼ਾਨ ੲੇ ਵਿਰਾਸਤ” की सोशल स्कैनिंग करने का फैसला किया। हमने पाया कि इस पेज को 5,481 लोग फॉलो करते हैं। यह पेज पंजाब से जुडी खबरों को ही पोस्ट करता है।
निष्कर्ष: विश्वास टीम की पड़ताल में यह दावा फर्जी साबित हुआ है।असल में यह मामला जलंधर बाइपास का नहीं, बल्कि लाडवा-पिपली मार्ग कुरुक्षेत्र का है। अस्थियां विसर्जित कर एक परिवार हरिद्वार से लौट रहा था। कार में कम जगह होने के कारण 3 बच्चों को डिग्गी में बिठाया गया था। गाडी में 2 आदमी, 3 औरतें और 5 बच्चे सवार थे।
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