विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फर्जी पाया। वायरल तस्वीर 2014 की है जब जॉर्डन में यह बच्चा अपने दल के साथ पलायन करते वक़्त पीछे छूट गया था। तस्वीर में बच्चे के साथ खड़े UNHCR के स्टाफ ने इस बच्चे को इसके परिवार के साथ मिलवा भी दिया था।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक तस्वीर में एक बच्चे को देखा जा सकता है। इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि सीरिया से जॉर्डन जा रहा यह बच्चा अपने मां और बहन के कपड़े लेकर जा रहा है, क्योंकि उसकी मां और बहन सीरिया में हुए एक हमले में मारे गए। तस्वीर में UNHCR के स्टाफ को भी बच्चे के साथ देखा जा सकता है।
विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है। वायरल तस्वीर 2014 की है, जब जॉर्डन में यह बच्चा अपने दल के साथ पलायन करते वक़्त पीछे छूट गया था। तस्वीर में बच्चे के साथ खड़े UNHCR के स्टाफ ने इस बच्चे को इसके परिवार के साथ मिलवा भी दिया था।
इंस्टाग्राम अकाउंट “thefactreveal” ने एक बच्चे की तस्वीर को अपलोड करते हुए लिखा: This is so heart breaking 💔😭
इस तस्वीर के ऊपर लिखा हुआ है: “Heartbreaking photo of a 4 year old migrating from Syria to Jordan by carrying only clothes of his mom and sister who died in Syria” हिंदी अनुवाद : सीरिया हमले में मारी गई अपनी मां और बहन के केवल कपड़े लेकर सीरिया से जॉर्डन जा रहा 4 साल के प्रवासी बच्चे की दिल दहला देने वाली तस्वीर
वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक।
पड़ताल की शुरुआत करते हुए हमने सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड कर सर्च किया। सर्च के नतीजों से यह साफ़ हो गया कि वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है। हमें इस तस्वीर से संबंधित कई न्यूज़ रिपोर्ट मिले। हमें इस तस्वीर को लेकर The Gaurdian का 6 साल पुराना न्यूज़ आर्टिकल मिला। यह न्यूज़ आर्टिकल 18 फरवरी 2014 में प्रकाशित किया गया था और इसके साथ हेडलाइन लिखी गई: Image of Syrian boy in desert triggers sympathy – and then a backlash
इस आर्टिकल के अनुसार: एक तस्वीर जिसमें एक बच्चा अकेला रेगिस्तान में पलायन करता नज़र आ रहा है, उसने बहुत सुर्खियां बटोरी। लोगों ने समझा के यह बच्चा अकेला ही सीरिया से आया है। यह तस्वीर UNHCR के एंड्रू हार्पर ने ट्वीट की, जिसके बाद से यह वायरल होने लगी। हालांकि, जब UNHCR के फोटोग्राफर जारेड ने मंगलवार को इस बच्चे के दल की दूसरी तस्वीर अपलोड की तो मामला साफ़ हुआ। यह बच्चा अपने परिवार के साथ ही था बस अपने परिवार से थोड़ा पीछे रह गया था।
यूनाइटेड नेशन के स्टाफ ने इस बच्चे को मारवन नाम दिया ताकि इसकी पहचान सामने न आ पाए। इस आर्टिकल को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
इस तस्वीर को लेकर 18 फरवरी 2014 को ही प्रकाशित हमें Daily Mail का आर्टिक्ल मिला। इस आर्टिकल की हेडलाइन थी: The truth behind the heartbreaking photograph of the Syrian boy cross the border separated from his family in the desert
इस आर्टिकल के अनुसार: सोशल मिडिया पर जो सीरियन बच्चे की तस्वीर वायरल हो रही है वो भ्रामक साबित हुई। लोगों ने इस बच्चे को अकेला समझा था जबकि यह अपने परिवार के साथ था बस उनसे पीछे रह गया था। इस आर्टिकल में भी UNHCR के एंड्रू और फोटोग्राफर जारेड की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था। इस आर्टिकल को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
अब हमने इस मामले को लेकर फोटोग्राफर जारेड कोहलर से सम्पर्क किया। हमारे मेल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया, “मैं हैरान हूं कि अभी तक यह तस्वीर फर्जी दावे के साथ वायरल हो रही है। यह बात बिल्कुल सही है कि यह बच्चा एक सीरियन प्रवासी है पर इसके साथ यह दावा बिल्कुल फर्जी है कि यह अकेला था और इसके मां-बहन मारे गए थे। यह बच्चा अपने दल के साथ सीरिया से जॉर्डन में पलायन कर रहा था। यह लोग सीरिया में हो रहे हमलों से परेशान होकर जॉर्डन आ रहे थे। यह बच्चा बड़ों से थोड़ा धीरे चल रहा था, जिसके कारण से थोड़ा पीछे रह गया। हालांकि, यह बच्चा अपने परिवार के साथ मिलवा दिया गया था। किसी पत्रकार ने इस बच्चे की तस्वीर को बिना जांच-पड़ताल किए वायरल कर दिया, जबकि यह बच्चा अकेला नहीं था। हमारी टीम ने इसको मारवन नाम दिया, ताकि इसकी पहचान छुपाई जा सके। उसी दिन मलाला यूसुफजई भी जॉर्डन बॉर्डर पर आई हुई थी तो वो भी इन प्रवासियों से मिली थी।”
इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर thefactreveal नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट ने शेयर किया है। इस अकाउंट को 5,428 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फर्जी पाया। वायरल तस्वीर 2014 की है जब जॉर्डन में यह बच्चा अपने दल के साथ पलायन करते वक़्त पीछे छूट गया था। तस्वीर में बच्चे के साथ खड़े UNHCR के स्टाफ ने इस बच्चे को इसके परिवार के साथ मिलवा भी दिया था।
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