FACT CHECK: यह मुहर्रम का पुराना वीडियो है, तबरेज़ के समर्थकों का नहीं

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)।सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को तलवार लिए देखा जा सकता है। वीडियो में लोग आक्रामक और जोश में दिख रहे हैं। वीडियो में साउंड भी है जिसमें लोगों को बोलते सुना जा सकता “है हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा।” वीडियो के साथ लिखे डिस्क्रिप्शन के अनुसार, यह वीडियो आगरा में तबरेज अंसारी के समर्थन में निकाला गया था। हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह वीडियो आगरा का नहीं है, बल्कि 2014, गोपालगंज में मुहर्रम के जलूस के समय का है। और वायरल वीडियो में ऑडियो से छेड़छाड़ की गयी है। ढोल की आवाज़ को नारों की आवाज़ से बदल दिया गया है।

CLAIM

वीडियो में बड़ी संख्या में लोगों को तलवार लिए देखा जा सकता है। वीडियो के साथ लिखे डिस्क्रिप्शन में लिखा है- “तबरेज अंसारी के समर्थन में आगरा में सबसे बड़ा जुलूस निकला, हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा, दलित मुस्लिम मिलकर निकाला जुलूस।” वीडियो में साउंड भी है जिसमे लोगों को बोलते सुना जा सकता “है हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा।”

https://www.facebook.com/197422351038187/videos/452591788899567/?v=452591788899567

FACT CHECK

हमने वायरल वीडियो को ठीक से देखा और इसके ऑडियो को भी जांचा। वीडियो में दिख रहा कोई भी व्यक्ति नारा बोलता नज़र नहीं आ रहा है। बस नारों की आवाज़ आ रही है। यह वायरल वीडियो 1 मिनट 48 सेकंड का है जिसमे 1 मिनट 38 सेकंड तक तो नारों की आवाज़ आती है मगर इसके बाद 5 सेकंड तक कोई साउंड नहीं आता। आखिर के 5 सेकंड ओपनिंग म्यूजिक जैसी आवाज आती है।

हमने ज़्यादा पड़ताल के लिए इस वीडियो के कमेंट्स को पढ़ा और पाया कि एक व्यक्ति ने कमेंट में लिखा था कि ये वीडियो किसी विरोध का नहीं, बल्कि गोपालगंज मे मुहर्रम के समय का है। हमने इस कमेंट को आधार बनाते हुए अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया। हमने यूट्यूब पर गोपालगंज मुहर्रम की वर्ड्स के साथ सर्च किया और हमें 2014 का वीडियो मिला जिसका डिस्क्रिप्शन था “Gopalganj Muharram 2014.” इस वीडियो को हमने देखा और सुना पर बैकग्राउंड में सिर्फ ढोल की आवाज़ आ रही है, नारों की नहीं। ये वीडियो हूबहू वायरल वीडियो से मिलता है पर इस वीडियो में पहले मुहर्रम के ताज़िया को निकलते देखा जा सकता है, जबकि वायरल वीडियो से इसे काट दिया गया है।

2014 video

इस विषय में ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने आगरा के एसएसपी बबलू कुमार से बात की जिन्होंने हमें बताया कि यह वीडियो आगरा का नहीं है।

अब हमें पता लगाना था कि यदि ओरिजिनल वीडियो में ऑडियो अलग है तो वायरल वीडियो का ऑडियो कहाँ का है। हमने सर्च किया तो हमारे हाथ एक वीडियो लगा जिसका ऑडियो हूबहू वायरल वीडियो के ऑडियो से मिलता था। यह वीडियो 8 दिसंबर, 2017 को उदयपुर शहर के चेतक सर्कल में शूट किया गया था। उदयपुर में मुस्लिम समुदाय द्वारा रैली का आयोजन शंभूलाल रैगर के विरोध में किया गया था। इसी वीडियो के ऑडियो को वहां जोड़कर दूसरा साउंड लगा दिया गया है।

2017 Rajasthan Protest Video

इस वीडियो को Dhaka New imim Club नाम के एक पेज द्वारा जुलाई 4, 2019 को शेयर किया गया था और इस वीडियो को इस स्टोरी के पब्लिश होने तक 19000 बार शेयर किया जा चूका है। इस पेज के कुल 42,993 मेंबर्स हैं।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह वीडियो आगरा में तबरेज़ की हत्या के विरोध का नहीं है, बल्कि 2014 में गोपालगंज में मुहर्रम के जुलूस के समय का है।

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