Quick Fact Check: ग्‍वालियर GRP का पुराना वीडियो दिल्‍ली पुलिस की बर्बरता के नाम पर वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि दिल्‍ली पुलिस की बर्बरता के नाम पर वायरल हो रही पोस्‍ट फर्जी है। मप्र के ग्‍वालियर के जीआरपी के पुराने वीडियो को कुछ लोग जानबूझकर दिल्‍ली के नाम पर वायरल कर रहे हैं।

Quick Fact Check: ग्‍वालियर GRP का पुराना वीडियो दिल्‍ली पुलिस की बर्बरता के नाम पर वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)।सोशल मीडिया में पुलिस की बर्बरता की एक वीडियो को वायरल करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह घटना दिल्‍ली की है। इससे पहले भी यह वीडियो कई फर्जी दावों के साथ वायरल हो चुका है। विश्‍वास न्‍यूज ने पहले भी इस वीडियो की पड़ताल की थी। हमारी पड़ताल में पता चला कि मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर जीआरपी के पुलिसवाले ने कुछ महिलाओं की पिटाई की थी। जिसके बाद इस पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया था। यह वीडियो हरियाणा पुलिस के अत्‍याचार के नाम पर भी वायरल हो चुका है। पूरी पड़ताल आप यहां पढ़ सकते हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल?

फेसबुक पेज Labone ने 29 फरवरी 2020 को एक वीडियो को दिल्‍ली पुलिस की बर्बरता का बताते हुए अपलोड किया। इस पेज पर लिखा गया : দিল্লি পুলিশের বর্বরতা দেখুন, দিল্লির এই ভিডিও ছরিয়ে দিন😪😪😪

जिसका अनुवाद होता है कि दिल्‍ली पुलिस की बर्बरता देखो। दिल्‍ली का ये वीडियो फैलाओ।

इस वीडियो को अब तक 27 हजार से ज्‍यादा बार शेयर किया जा चुका है। कई दूसरे यूजर्स भी लगातार इस वीडियो को वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल

हमारी पड़ताल में पता चला कि वायरल वीडियो दिल्‍ली नहीं, बल्कि मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर का है। इस वीडियो में महिलाओं को पीटने वाला पुलिसकर्मी ग्‍वालियर जीआरपी का प्रधान आरक्षक सुभाष मिश्रा था। मई 2019 में वीडियो के वायरल होने के बाद प्रधान आरक्षक को निलंबित कर दिया गया था।

वायरल पोस्‍ट को लेकर नईदुनिया के ग्‍वालियर संवादाता अजय उपाध्याय कहते हैं कि मई में जब यह वीडियो सामने आया था, तभी यह कहा जा रहा था कि यह पुराना है। उस समय जीआरपी ने भी इसे एक साल पुराना वीडियो बताया था। यह घटना किस दिन हुई थी, यह साफ नहीं हो पाया है।

पूरी पड़ताल विस्‍तार से आप यहां पढ़ सकते हैं।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले फेसबुक पेज Labone की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि इस पेज को 95 हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इस पेज पर वायरल वीडियो को ज्‍यादा पोस्‍ट किए जाते हैं। पेज को 5 अक्‍टूबर 2017 को बनाया गया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि दिल्‍ली पुलिस की बर्बरता के नाम पर वायरल हो रही पोस्‍ट फर्जी है। मप्र के ग्‍वालियर के जीआरपी के पुराने वीडियो को कुछ लोग जानबूझकर दिल्‍ली के नाम पर वायरल कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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