Fact Check : अतिक्रमण की पुरानी तस्वीर को नूंह हिंसा से जोड़कर किया जा रहा वायरल 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि अतिक्रमण की वायरल तस्वीर का नूंह से कोई संबंध नहीं है। असल में यह तस्वीर साल 2022 में मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई कार्रवाई की है। 

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। हरियाणा के नूंह में भड़की हिंसा के बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण अभियान चलाया। हालांकि, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते इस एक्शन पर रोक लगा दी है। इसी अतिक्रमण से जोड़ते हुए एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में देखा जा सकता है कि एक बिल्डिंग पर बुलडोजर चलाया जा रहा है और एक शख्स सामने खड़े होकर देख रहा है। इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह नूंह में एक मुस्लिम शख्स के घर पर चलाए गए बुलडोजर की है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर का नूंह से कोई संबंध नहीं है। असल में यह तस्वीर साल 2022 में मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई कार्रवाई की है। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘कुलदीप जलालना’ ने 8 अगस्त 2023 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “नूह में भाजपा प्रशासन द्वारा अपना घर तोड़े जाने को बस खड़े-खड़े देखते रहने को मजबूर एक मुसलमान! 750 से अधिक घरों, दुकानों को चुन-चुन कर तोड़ने, 57 एकड़ जमीन उजाड़े जाने के बाद अब “आदरणीय” अदालत ने इन “गैर-कानूनी” बिल्डिंगों को तोड़ने पर रोक लगाई है। सैकड़ो परिवार बेघर हुए, बेरोज़गार हुए, जीवन तबाह हुए पर यह “आदरणीय” अदालत सब देखती रही, क्योंकि मुसलमानों के अंदर दहशत भरनी ज़रूरी थी, क्योंकि ऊपर से हुकुम ही ऐसा था और अब जब मुसलमानों को “सबक” सिखा दिया गया, तो अदालत ने नींद से “जागते” हुए इस फैसले द्वारा अपने अक्स को भी साफ़ साबित करने की कवायद पेश कर दी। यह अदालत अगर इतनी निष्पक्ष है तो उन गुंडों, उन पुलिस वालों, उन प्रशासनिक अधिकारियों, भाजपा के उन राजनीतिक नेताओं जिन्होंने नूह, गुड़गांव की इस सारी सांप्रदायिक कार्यवाही को अंजाम दिया या खुली शह दी, उनके खिलाफ़ यह अदालत कब मुंह खोलेगी? कब उनको कटहरे में खड़ा किया जाएगा? ज़ाहिर है ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि ये अदालतें बहुत सोचे-समझे ढंग से इस लुटेरी राज्यसत्ता का ही पक्ष लेने के लिए बैठी हैं, इनकी निष्पक्षता के दावे इनके द्वारा ओढ़ा हुआ भद्दा ओढ़ना है जो दिन ब दिन और तार तार होता जा रहा है।।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें यह तस्वीर फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट में मिली। रिपोर्ट को 11 अप्रैल 2022 को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, “वायरल तस्वीर मध्य प्रदेश के खरगोन की है।”

पड़ताल के दौरान हमें वायरल तस्वीर स्क्रॉल की वेबसाइट पर  19 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली। रिपोर्ट के अनुसार, “रामनवमी के दौरान मध्य प्रदेश के खरगोन में दंगे भड़क उठे थे, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने दंगाइयों पर कार्रवाई करते हुए अवैध तरीके से कब्जा की गई जमीनों पर बुलडोजर अभियान चलाया था।”

विश्वास न्यूज स्वतंत्र रूप से इस बात की पुष्टि नहीं करता कि वायरल तस्वीर कब की है। लेकिन, हमारी पड़ताल से यह बात साफ हुई कि तस्वीर पुरानी है और हालिया नूंह हिंसा से इसका कोई संबंध नहीं है।

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण मेवात के चीफ रिपोर्टर सत्येंद्र सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल दावा गलत है। यह तस्वीर नूंह हिंसा से जुड़ी हुई नहीं है।”

अंत में हमने तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को 3.5 हजार लोग फॉलो करते हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यूजर हरियाणा का रहने वाला है। 

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि अतिक्रमण की वायरल तस्वीर का नूंह से कोई संबंध नहीं है। असल में यह तस्वीर साल 2022 में मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई कार्रवाई की है। 

False
Symbols that define nature of fake news
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