Fact Check: कोरोना के नाम पर किडनी निकाली बताकर वायरल किया जा रहा है राजस्थान का 2 साल पुराना वीडियो

विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी पाया। यह वीडियो 2 साल पुराना है, जिसका कोरोना से कोई लेना-देना नहीं है। वीडियो में दिख रहे मृतक के गुर्दे भी नहीं निकाले गए थे।

नई दिल्ली (Vishvas News). सोशल मीडिया पर एक वीडियो को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि राजस्थान के कोटा में स्थित सुधा हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने कोरोना मरीज की किडनी निकाल डाली। वीडियो में एक परिवार हॉस्पिटल के स्टाफ पर आरोप लगाता नज़र आ रहा है।

विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी पाया। यह वीडियो 2 साल पुराना है, जिसका कोरोना से कोई लेना-देना नहीं है। वीडियो में दिख रहे मृतक के गुर्दे भी नहीं निकाले गए थे।

क्या हो रहा है वायरल?

फेसबुक यूज़र Kiran Kaur Kamra ने वायरल वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा: “Rajsthan कोटा सुधा अस्पताल,,,,कोरोना मरीज बता कर भर्ती फिर निकाली किडनी,,,,,ज्यादा गुंडागर्दी तीस मार खा बनते हो तो जाओ इनके खिलाफ कार्यवाही करो जाकर ,,,,🙏🙏अपील है राजस्थान में जो भी NGO और दल है,,,अब लगाओ नारा लगा दो जोर सारा ,,,इन लोगो ने इंसान को घास फूंस का पुतला बना कर रख दिया,,,बन्द कराओ,,,,ये सब 🙏🙏😓😩😭”

इस पोस्ट का फेसबुक और आर्काइव्ड लिंक।

पड़ताल

पड़ताल की शुरुआत करते हुए हमने इस वीडियो के कीफ्रेम्स को InVid टूल की मदद से निकाला और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड कर सर्च किया। सर्च के नतीजों से हमें यूट्यूब पर अपलोड यह समान वीडियो 6 नवंबर 2018 का अपलोड मिला। इस वीडियो के साथ लिखा गया: कोटा के सुधा हॉस्पिटल पर मृतक की किडनी निकालने का गंभीर आरोप लगाया मृतक के परिजनों ने।

इस वीडियो से यह साफ़ हुआ कि वायरल वीडियो हालिया नहीं, बल्कि 2 साल पुराना है।

अब हमें यह जानना था कि वीडियो में दिख रहा असल मामला क्या था? कीवर्ड सर्च से खोजने पर हमें पत्रिका डॉट कॉम पर अपलोड इस मामले से जुडी एक खबर मिली। यह खबर 4 नवंबर 2018 को प्रकाशित की गई थी और इस खबर के साथ हेडलाइन लिखी गई: किडनी अंदर ही थी, परिजनों ने बना डाला वीडियो

खबर के अनुसार: कोटा के एक निजी अस्पताल में एक मृतक के परिवार ने डॉक्टरों पर किडनी निकालने का आरोप लगाया, जो झूठा साबित हुआ। परिजनों को शक था कि डॉक्टरों ने मृतक की किडनी निकाली और इसलिए उन्होंने इसका वीडियो बनाया। पुलिस की जांच और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह साबित हुआ कि पेशेंट की किडनी नहीं निकाली गई थी।

थोड़ा और सर्च करने पर हमें India Tv का इस मामले को लेकर एक वीडियो मिला, जिसमें वायरल वीडियो के भाग को देखा जा सकता है। इस वीडियो में डॉक्टर के बयान को भी सुना जा सकता है। यह वीडियो नीचे देखा जा सकता है।

पड़ताल के अगले चरण में हमने इस मामले को लेकर सुधा अस्पताल में सम्पर्क किया। हमारी बात स्त्रीरोग विशेषज्ञ (Gynaecologist) डॉक्टर सुधा अग्रवाल से हुई। सुधा ने हमारे साथ इस मामले से जुडी FIR और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को शेयर करते हुए हमें बताया, “यह वीडियो पूरी तरह फर्जी है। 2 साल पहले कुछ परिचारकों ने एक मरीज का यह वीडियो बनाया था, जिसके लिए क्रैनियोटॉमी की गई थी और खोपड़ी की हड्डी को पेट की दीवार में रखा गया था। रोगी बीमार था और वह मृत हो गया था। उपस्थित लोगों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों द्वारा किडनी चुरा ली गई है। पोस्टमॉर्टम किया गया और यह पाया गया कि आरोप निराधार था। अब 2-3 दिनों से यह वीडियो फिर से एक संपादित फुटनोट के साथ घूम रहा है, जिसमें कहा गया है कि एक कोविड मरीज की किडनी चुरा ली गई है। यह कुछ लोगों द्वारा अस्पताल को बदनाम करने की कोशिश है।”

इस मामले की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को नीचे देखा जा सकता है।

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं और इन्हीं में से एक है Kiran Kaur Kamra नाम की फेसबुक यूज़र। यह यूज़र दिल्ली की रहने वाली है।

निष्कर्ष: विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी पाया। यह वीडियो 2 साल पुराना है, जिसका कोरोना से कोई लेना-देना नहीं है। वीडियो में दिख रहे मृतक के गुर्दे भी नहीं निकाले गए थे।

False
Symbols that define nature of fake news
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