Fact Check: बंगाल में सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए हिंसा के पुराने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ करते लोगों का वायरल वीडियो किसी हालिया घटना का नहीं है। असल में वायरल वीडियो साल 2019 में पश्चिम बंगाल में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का है, जिसे अब सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। 

नई दिल्ली (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ करते हुए लोगों का वीडियो तेजी से शेयर किया जा रहा है। वीडियो को सांप्रदायिक रंग देते हुए दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो बंगाल के नवपाड़ा महिषासुर रेलवे स्टेशन का है। जहां पर ट्रेन की सीटी की आवाज आने के कारण लोगों को नमाज पढ़ने में परेशानी हो रही हैं। इसलिए उन्होंने रेलवे स्टेशन पर आकर तोड़फोड़ करना शुरू कर दी। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो किसी हालिया घटना का नहीं है। असल में वायरल वीडियो साल 2019 में पश्चिम बंगाल में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का है, जिसे अब सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘रोहताश बंसल’  ने 7 अक्टूबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नाओपारा महिषासुर रेलवे स्टेशन को यह कहते हुए पूरी तरह से तोड़-फोड़ दिया गया और व्यावहारिक रूप से नष्ट कर दिया गया कि *ट्रेन की सीटी की आवाज़ उनकी नमाज़ में खलल डाल रही है*। देखिए गुंडों की उम्र, मदरसे की उपज? क्या आप बंगाल के साथ-साथ भारत का भी भविष्य देख पा रहे हैं?”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने इनविड टूल की मदद से वीडियो के कई कीफ्रेम निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। हमें यह वीडियो वाइल्ड फिल्म्स इंडिया नामक एक यूट्यूब चैनल पर 18 नवंबर 2020 को अपलोड हुआ मिला। मौजूद जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो बंगाल में हुए सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का है। हमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते कई अन्य वीडियो फेसबुक पर साल 2019 में इसी जानकारी के साथ शेयर हुए मिले कि वीडियो बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेलवे स्टेशन का है।

पड़ताल के दौरान हमें वायरल वीडियो का एक लंबा वर्जन मोहम्मद एजाज अहमद नामक एक यूट्यूब चैनल पर 14 दिसंबर 2019 को शेयर हुआ मिला। यहां पर भी वीडियो को सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का बताया गया है। 

प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट बंगाल की स्थानीय वेबसाइट ईआई पर 15 दिसंबर 2019 को प्रकाशित हुई मिली। बंगाल में लिखी इस रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल में सीएए के खिलाफ कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे। लोगों ने कई शहरों में तोड़फोड़ और हिंसा की थी। मुर्शिदाबाद जिले के रेलवे स्टेशन पर आग लगाने और तोड़फोड़ की खबरें आने के बाद प्रदेश सरकार ने लोगों से हिंसा न करने की अपील की थी।

हमें बंगाल के एक स्थानीय यूट्यूब चैनल एनटीवीडब्ल्यूबी न्यूज पर भी दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली। वीडियो रिपोर्ट में वायरल वीडियो से मिलते-जुलते वीडियो को शेयर करते हुए जानकारी दी गई है कि मुर्शिदाबाद जिले के नवपाड़ा महिषासुर स्टेशन की लाइन को सीएए का विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों ने तोड़ दिया। वीडियो रिपोर्ट को 14 दिसंबर 2019 को अपलोड किया गया है।

इस वीडियो को लेकर हमने मुर्शिदाबाद जिले के स्थानीय पत्रकार आनंद साहा से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया, “वायरल वीडियो हाल-फिलहाल की किसी घटना का नहीं, बल्कि साल 2019 का है। साल 2019 में लोगों ने यहां पर  सीएए को लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए थे। ये विरोध प्रदर्शन काफी हिंसक था। इस दौरान लोगों ने नवपाड़ा महिषासुर समेत कई अन्य रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ की थी। ये वीडियो उसी घटना के दौरान का है।”

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को करीब सौ लोग फॉलो करते हैं। यूजर एक विचारधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है। 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ करते लोगों का वायरल वीडियो किसी हालिया घटना का नहीं है। असल में वायरल वीडियो साल 2019 में पश्चिम बंगाल में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन का है, जिसे अब सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। 

False
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