विश्वास टीम की पड़ताल में यह वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुआ। पोस्ट में इस्तेमाल की जा रही तस्वीर पुरानी है और भारत की भी नहीं है। यह तस्वीर 2018 में भारतीय मंदिर सिडनी में हुए हमले की है, जिसे पठानकोट का बताकर वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (Vishvas Team). सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक कमरे में चारों तरफ हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरों को बिखरा पड़ा देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि पंजाब के पठानकोट में एक रामलीला के पंडाल में जमकर तोड़फोड़ की गई है।
विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक पाया। पोस्ट में इस्तेमाल की जा रही तस्वीर पुरानी है और भारत की भी नहीं है। यह तस्वीर 2018 में भारतीय मंदिर सिडनी में हुए हमले की है, जिसे पठानकोट का बताकर वायरल किया जा रहा है।
फेसबुक यूज़र Lalit Soni ने 24 अक्टूबर को इस तस्वीर को अपलोड करते हुए लिखा: “यह देखिए किस प्रकार रामलीला में तोड़फोड़ की गई हिंदू धर्म का अपमान कब तक सोता रहेगा हिंदू समाज पठानकोट पंजाब“
इस तस्वीर को समान दावों के साथ कई यूज़र शेयर कर रहे हैं। इस पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक यहां देख सकते हैं।
तस्वीर की पड़ताल हमने गूगल रिवर्स इमेज पर की। रिवर्स इमेज के नतीजों से हम एक फेसबुक पोस्ट पर जा पहुंचे, जिसे Bhartiye Mandir Sydney द्वारा 18 अक्टूबर 2018 को अपलोड किया गया था। इस पोस्ट में वायरल तस्वीर के साथ-साथ घटना की अन्य एंगल से तस्वीरें शेयर की गई थी। पोस्ट के मुताबिक, यह तस्वीर सिडनी के एक भारतीय मंदिर की है, जहां 2018 में कुछ हुड़दंगियों द्वारा तोड़फोड़ की गई थी। इस पोस्ट को क्लिक कर देखा जा सकता है।
इस मामले को लेकर SBS Hindi की खबर क्लिक कर पढ़ी जा सकती है।
यह साफ़ हो चुका था कि तस्वीर पुरानी है और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी की हैं। अब हमें जानना था कि क्या ऐसा कोई मामला पंजाब के पठानकोट में हुआ है। हमें दैनिक जागरण की 23 अक्टूबर को प्रकाशित एक खबर मिली, जिसकी हेडलाइन थी: कोठे मनवाला में शरारती तत्वों ने श्रीरामलीला में डाली बाधा, मंचन में मचाया हुड़दंग; कलाकारों को पीटा
खबर के अनुसार: “पठानकोट के नज़दीक पड़ते गांव कोठे मनवाल में शरारती तत्वों ने श्रीरामलीला मंचन में हुड़दंग मचाया। बुधवार रात को रामलीला मंचन में आ घुसे और कलाकारों के साथ दुर्व्यवहार करने के साथ ही मारपीट भी की। रामलीला की बिजली काटने के साथ पोस्टर व बैनर भी फाड़ दिए। इस वारदात को लेकर लोगों ने विरोध जताया और। आस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।” पूरी खबर यहां पढ़ें।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने हमारे सहयोगी पंजाबी जागरण के पठानकोट इंचार्ज सुरिंदर महाजन से सम्पर्क किया। सुरिंदर ने हमारे साथ पूरे मामले को साझा करते हुए बताया, “पठानकोट के नज़दीक पड़ते गांव कोठे मनवाल में कुछ दिनों पहले कुछ शराबियों ने एक रामलीला में हुड़दंग मचाया था। उन्होंने पहले रामलीला पंडाल की लाइट काटी और तोड़फोड़ की। बाकी जिस तस्वीर की आप बात कर रहे हैं वो पठानकोट के किसी रामलीला पंडाल की नहीं है।“
सुरिंदर ने हमारे साथ एक फेसबुक वीडियो का लिंक भी शेयर किया, जिसमें कोठे मनवाल रामलीला के अध्यक्ष का इस मामले को लेकर बयान सुना जा सकता है। वीडियो यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
यह साफ़ हो चुका था कि तस्वीर पठानकोट की नहीं है इसलिए अब बारी थी इस झूठ को फैलाने वाले फेसबुक अकाउंट की सोशल स्कैनिंग करने की। फेसबुक यूज़र Lalit Soni अबोहर में रहता है और इसके 5,000 फेसबुक मित्र हैं।
निष्कर्ष: विश्वास टीम की पड़ताल में यह वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुआ। पोस्ट में इस्तेमाल की जा रही तस्वीर पुरानी है और भारत की भी नहीं है। यह तस्वीर 2018 में भारतीय मंदिर सिडनी में हुए हमले की है, जिसे पठानकोट का बताकर वायरल किया जा रहा है।
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