विश्वास न्यूज की पड़ताल में ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर एट्रोसिटी एक्ट लागू होने का दावा गलत साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का कोई फैसला नहीं दिया गया है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज )। सोशल मीडिया पर एक बार फिर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है कि ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर अब एट्रोसिटी एक्ट लागू होगा।विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा फर्जी साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है।
फेसबुक यूजर Sudhir Vyas (Archive) ने वायरल दावे को शेयर करते हुए लिखा है, “ब्राह्मण जाति के लिए अपशब्द बोलने पे अब लागू होगी एट्रोसिटी एक्ट ।………….
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने दिया बड़ा फैसला। ब्राह्मण जाति के लिए अपशब्द बोलने पे अब लागू होगी एट्रोसिटी ऐक्ट । एडवोकेट मुकेश भट्ट जी ने सुप्रीम कोर्ट में फाइल किया पिटीशन जो आज सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी। कृपया सभी ब्राह्मणों को यह msg जरूर भेजे, जय परशराम।”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल दावा एक बार पहले भी वायरल हुआ था। उस समय भी विश्वास न्यूज़ ने इसकी पड़ताल की थी। उस समय दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कई कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया था, लेकिन हमें वायरल दावे से जुड़ी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई थी। हमने एक बार फिर कीवर्ड्स की मदद से ढूंढा मगर हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने कानूनी मुद्दों पर लेख प्रकाशित करने वाली वेबसाइट ‘Live Law‘ और ‘BarandBench‘ को भी खंगाला मगर हमें यहाँ भी ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली।
हमने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट को भी खंगाला, मगर हमें यहां पर भी ऐसा कोई जजमेंट नहीं मिला, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है।
अधिक जानकारी के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहित त्यागी से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है और ना ही इस तरह की कोई याचिका दायर हुई है। ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर अब एट्रोसिटी एक्ट लागू नहीं हो सकता है। एससी/एसटी (SC/ST) एट्रोसिटी एक्ट को 1989 में पारित किया गया था। यह एक विशेष तरह का कानून है, जो संविधान के अनुच्छेद 15 (4) के तहत बनाया गया था। यह समाज के दलित वर्ग के लिए विशेष प्रावधान करने की छूट देता है।
पड़ताल के अंत में हमने दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Sudhir Vyas के अकाउंट की स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर को तकरीबन 10000 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर एट्रोसिटी एक्ट लागू होने का दावा गलत साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का कोई फैसला नहीं दिया गया है।
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