नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ लड़के पुलिसवालों के साथ बदसलूकी करते हुए नज़र आ रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर इस वीडियो को NH8 पनियाला मोड़ का बताकर और चालान से जोड़कर शेयर कर रहे हैं। विश्वास टीम की पड़ताल में यह दावा फ़र्ज़ी साबित होता है। यह वीडियो गुजरात के सूरत के मांगरोल का अप्रैल 2019 का है, जहाँ गवर्नमेंट स्कूल के लड़कों ने हड़ताल के दौरान पुलिसवालों के साथ मारपीट की थी।
सोशल मीडिया यूजर Irshad Ul Hasan Syed ने 11 सितम्बर को एक वीडियो शेयर करते हुए उसका कैप्शन लिखा, ”लो काट लो चालान NH8 पनियाला मोड़” .
कुल 30 सेकंड के इस वीडियो में कुछ नौजवान पुलिसवालों को मारते और उन पर पत्थर बरसाते हुए नज़र आ रहे हैं।
सबसे पहले हमने गौर किया कि वीडियो में एक लड़के की टीशर्ट पर ‘Government boys hostel Vankal’ लिखा हुआ है। हमने यह सर्च किया और हमें मालूम हुआ यह कॉलेज गुजरात में है।
अब हमने कुछ कीवर्ड डालकर वीडियो को सर्च करने की कोशिश की और हमारे हाथ ABP Asmita के यूट्यूब अकाउंट पर 18 अप्रैल 2019 को अपलोड हुआ एक वीडियो मिला,यह वही वीडियो था जिसे अब फ़र्ज़ी हवाले के साथ वायरल किया जा रहा है। इसकी सुर्खी थी, ”Scuffle between students and police in Mangrol, Surat” .
अब हमें यह मालूम हो चुका था कि यह वीडियो गुजरात के सूरत में कॉलेज स्टूडेंट्स और पुलिस के बीच मारपीट का है। हमने इस संबंध में न्यूज़ सर्च किया और हमारे हाथ myadivasi.com नाम के वेब पोर्टल पर 16 अप्रैल को अपडेट हुई एक खबर मिली। खबर के मुताबिक, ”क्रिकेट खेल रहे सरकारी हॉस्टल के छात्रों पर पुलिस की और से की गई मारपीट के बाद कॉलेज के तक़रीबन 400 छात्रों ने हड़ताल की और पुलिसवालों पर पत्थर फेंके।”
हमने अपना न्यूज़ सर्च जारी रखा और हमारे हाथ 14 अप्रैल 2019 को gujaratsamachar.com नाम की न्यूज़ वेबसाइट पर छपी एक खबर का लिंक लगा। खबर गुजराती में थी जिसका हमने हिंदी अनुवाद किया और वो कुछ इस तरह होता है, ”मांगरोल के गांव में दो दिन पहले एक सरकारी हॉस्टल के कंपाउंड में क्रिकेट खेल रहे छात्रों को पुलिस ने धक्का मारकर गिरा दिया था। रविवार को छात्रों ने मंगरोल-तिलकवाड़ राज्यव्यापी सड़क पर नारेबाजी की और उत्पीड़न करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। चक्काजाम की जानकारी होने पर घटनास्थल के पास पहुंचे छात्रों ने पुलिस को घेर लिया और पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंके और गाड़ी के शीशे फोड़ दिए। घटना की सूचना मिलने पर डीवाईएसपी और आदिवासी आयुक्त घटनास्थल पर पहुंचे”।
गूगल ट्रांसलेट टूल की मदद से हमने खबर का अनुवाद किया, जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है।
अपनी खबर को पक्की करने के लिए हमने बड़ोली की SDPO रूपक सोलंकी से बात और उन्होंने मामले की जानकारी देते हुए बताया, ‘यह मामला इसी साल अप्रैल का है जब एक ब्वॉज हॉस्टल के बच्चे रात के 12 बजे केक काट रहे रहे थे तो इसकी शिकायत गार्ड ने पुलिस को दी थी। हालांकि, पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया ,लेकिन कार्रवाई की। दूसरे दिन इलेक्शन थे और सब मीटिंग में थे तभी खबर मिली की पुलिस की तरफ से की गयी कार्रवाई के खिलाफ हॉस्टल के छात्रों ने सड़क जाम कर दी है। दो-तीन पुलिसवालों को मामला संभालने के लिए भेजा गया, लेकिन लड़कों ने पुलिसवालों पर पत्थर बरसाए और उन्हें पीटा, जिसके बाद पुलिस की एक पूरी टीम भेजी गयी और कुछ लड़कों को हिरासत लिया गया और मामले पर एफआईआर दर्ज की गयी।” रूपक सोलंकी ने विश्वास न्यूज़ के साथ दर्ज की गयी एफआईआर भी शेयर किया।
अब बारी थी इस वीडियो को फ़र्ज़ी हवाले के साथ वायरल करने वाले फेसबुक यूजर Irshad Ul Hasan Syed की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यह यूजर महाराष्ट्र से है और अपने अबाउट सेक्शन में उन्होंने अपने आपको मुंबई जसारत वीकली अखबार का एडिटर बताया हुआ है।
निष्कर्ष: विश्वास टीम की पड़ताल में Irshad Ul Hasan Syed की तरफ से पोस्ट किये गए वीडियो के दावे को फ़र्ज़ी पाया है। मामला चालान का नहीं, बल्कि 14 अप्रैल गुजरात के सूरत के ग्रामीण इलाक़े में बने ब्वॉयज हॉस्टल के लड़कों द्वारा किये गए विरोध प्रदर्शन का है, जिसमें लड़कों ने कुछ पुलिसवालों पर पत्थर बरसाए थे और बदसलूकी की थी।
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