Fact Check : अयोध्या पुलिस की मॉकड्रिल के वीडियो का आतंकियों से जोड़कर दुष्प्रचार

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में अयोध्‍या में दो आतंकियों की गिरफ्तारी वाली पोस्‍ट फर्जी निकली। 29 मई को अयोध्‍या के अशर्फी भवन चौराहे के पास एक मॉकड्रिल हुई थी। कुछ लोगों ने उसी मॉकड्रिल के वीडियो को गलत दावे के साथ वायरल कर दिया।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया में एक वीडियो को वायरल करते हुए कुछ लोग यह झूठ फैला रहे हैं कि अयोध्‍या में दो आतंकी पकड़े गए हैं। वायरल वीडियो में पुलिस को कुछ लोगों को पकड़े हुए देखा जा सकता है। विश्‍वास न्‍यूज ने जब वायरल वीडियो की जांच की तो पता चला कि वायरल वीडियो दरअसल एक मॉकड्रिल का है, जो कि 29 मई को अयोध्‍या की सुरक्षा की असलियत जानने के लिए अशर्फी भवन चौराहे पर हुई थी। विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर अजय त्‍यागी ने 1 जून को हमारा देश भारत नाम के फेसबुक ग्रुप पर एक वीडियो को अपलोड किया और दावा करते हुए लिखा : ‘#अयोध्या #में #असर्फी #भवन #के ₹पास #दो #आतंकियों #को #बम #के #साथ #पुलिस #ने #किया #गिरफ्तार’

देखते-देखते यह वीडियो फेसबुक, ट्विटर के अलावा वॉट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया पर फर्जी दावों के साथ वायरल होने लगा।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो को जांचना शुरू किया। वीडियो को ध्‍यान से देखने पर हमें दो बातें समझ में आईं। पहली तो यह कि वीडियो हाल-फिलहाल का ही है, क्‍योंकि वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मियों ने मास्‍क पहना हुआ है। दूसरी बात यह कि हमें बैरिकेड पर अंग्रेजी में अयोध्‍या पुलिस लिखा हुआ दिखा।

पड़ताल की शुरुआत हमने InVID टूल से की। सबसे पहले वायरल हो रहे 30 सेकंड के वीडियो को InVID टूल में अपलोड करके कई स्‍क्रीनशॉट निकाले। इसके बाद इन्‍हें गूगल रिवर्स इमेज में सर्च करना शुरू किया। आखिरकार, हमें यूट्यूब पर एक वीडियो मिला। एक स्‍थानीय अखबार के यूट्यूब चैनल पर 29 मई को अपलोड किए गए इस वीडियो के कैप्‍शन में बताया गया कि अयोध्‍या पुलिस ने मॉकड्रिल की थी। 3 मिनट से ज्‍यादा के इस वीडियो में हमें वही शख्‍स, गाडि़यां और लोकेशन दिखीं, जो वायरल वीडियो में दिख रही थीं।

इसके बाद हमने गूगल में अलग-अलग कीवर्ड टाइप करके मॉकड्रिल की खबरों को सर्च करना शुरू किया। हमें कई न्‍यूज वेबसाइट पर अयोध्‍या में हाल में हुई मॉकड्रिल की खबरें मिलीं। एक स्‍थानीय वेबसाइट की खबर के अनुसार, 29 मई को अशर्फी भवन चौराहे के पास पुलिस की एक मॉकड्रिल हुई थी। इसे अयोध्‍या की सुरक्षा-व्‍यवस्‍था की असलियत जानने के लिए की गई थी।

पड़ताल के दौरान हमने दैनिक जागरण, अयोध्‍या के वरिष्‍ठ पत्रकार रमाशरण अवस्‍थी से संपर्क किया। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को बताया कि वायरल पोस्‍ट फेक है। यह सिर्फ एक मॉकड्रिल थी।

पड़ताल के अगले चरण में हमने अयोध्‍या के सिटी एसपी विजय पाल सिंह से संपर्क किया। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज से बातचीत में बताया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है। 29 मई को हमने अयोध्‍या कोतवाली थाना क्षेत्र में एक मॉक ड्रिल की थी। वीडियो उसी का है।

इसके बाद हमने फर्जी पोस्‍ट को करने वाले फेसबुक यूजर के अकाउंट की जांच की। हमें पता चला कि अजय त्‍यागी नाम का यह यूजर यूपी के गाजियाबाद में रहता है। इसके अकाउंट को 106 लोग फॉलो करते हैं। यह अकाउंट केवल फ्रेंड के लिए ओपन है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में अयोध्‍या में दो आतंकियों की गिरफ्तारी वाली पोस्‍ट फर्जी निकली। 29 मई को अयोध्‍या के अशर्फी भवन चौराहे के पास एक मॉकड्रिल हुई थी। कुछ लोगों ने उसी मॉकड्रिल के वीडियो को गलत दावे के साथ वायरल कर दिया।

False
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